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जब कभी भी आजमाया जायेगा  

आदमी औकात पर आ जायेगा

शख्सियत औ कद बड़ा जिस का मिला 

वो यकीनन बुत बनाया जायेगा 

क़ैद कर मेरी सहर की रोशनी 

भोर का तारा दिखाया जायेगा 

जिद पे गर बच्चा कोई आ ही गया 

चाँद थाली में सजाया जायेगा 

गर वो वादों पर यकीं करने लगे 

उस से रोज़ी पर न जाया जायेगा 

फ़र्ज़दारी का सिला जो दे चुके

कत्लगाहों में बसाया जायेगा

ये जहां तो इक मुसलसल मांग है

इक खुदा से कब निभाया जायेगा  

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Comment by Brij bhushan choubey on January 24, 2012 at 4:47pm

जब कभी भी आजमाया जायेगा  

आदमी औकात पर आ जायेगाvah kaya bat .....

शख्सियत औ कद बड़ा जिस का मिला 

वो यकीनन बुत बनाया जायेगा  ..lajvab ek sandar gajl 

Comment by ASHVANI KUMAR SHARMA on January 24, 2012 at 4:39pm

shukriya vinas keshari ji ,saurabh pandey sahab ,arun kumar pandey sahab

Comment by वीनस केसरी on December 11, 2011 at 11:23pm

यदि मिसरा-सानी में अलोत ’उनको’ शब्द ’दीख’ जाय. जो कि वास्तव में है.

और स्पष्ट करें


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 11, 2011 at 11:11pm

अश्विनी कुमार जी,  इस ग़ज़ल पर बधाई कुबूल करें.

वीनस जी, उक्त शे’र में वचन दोष नहीं है.  यदि मिसरा-सानी में अलोत ’उनको’ शब्द ’दीख’ जाय. जो कि वास्तव में है.

धन्यवाद.

Comment by वीनस केसरी on December 11, 2011 at 3:57pm

वाह वा अश्वनी जी
खूब शेर कहे हैं... ढेरों दाद कबूल करमायें

क़ैद कर मेरी सहर की रोशनी 

भोर का तारा दिखाया जायेगा

क्या कहने



फ़र्ज़दारी का सिला जो दे चुके

कत्लगाहों में बसाया जायेगा

इस शेर में मुझे वचन दोष लग रहा है ...एक बार फिर से देख लें

सादर

Comment by ASHVANI KUMAR SHARMA on December 11, 2011 at 1:39am

abhaar arun pandey sahab 

Comment by Abhinav Arun on December 9, 2011 at 7:09am
Vartmaan sandarbhon ko rekhankit karti is sashakt Ghazal hetu Hardik badhai Ashvani ji

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