For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जीवन के इस मोड़ पे

शब्दों से घटाने

और कविताओं के जोड़ में

अनुभवों के सागर में

और इस धरती पे जीवन के

निचोड़ से

क्या सीखा मैंने?

रोता रहा हूँ कई बार

और कोसा भी सबको मैंने

किस्मत के आगे भीख मागी

और पुकारा रब को भी मैंने

पर आज सीख गया मैं

कि उन लोगों में क्या है बात ऐसी ख़ास

जो इतिहास का रुख मोड़ दें

जो किस्मत की कलाई मरोड़ दें

और सारी मुश्किलों के होने पर भी

अपनी चेतना और साहस से

उस अनचाही बेडी को तोड़ दें ?

जज़्बा



सागर को पार करने के लिए

पक्की नाव नहीं....

मज़बूत इरादा चाहिए

शिखर पे ध्वज लहराने को

पैरों में ताक़त नहीं.....

निगाह में वो ऊँचाई चाहिए

जीवन को जीने के लिए सुख सुविधा

के साधन नहीं.....

जीवट चाहिए

उसको खुश बनाने के लिए

कुछ नहीं बस….

एक मुस्कुराहट चाहिए

मंजिलें उन्ही को मिलती हैं

जिनके सपनो में जान होती है

पंखों से कुछ नहीं होता

हौसलों से उड़ान होती है

ऐसा जज़्बा चाहिए

बस ऐसा जज़्बा चाहिए



तालीम नहीं दी जाती परिंदों को

उड़ानों की

वो खुद ही समझ जाते हैं

ऊँचाई आसमानों की

ऐसे परिन्दों के पर कुतरे भी जाएँ तो क्या

उन्हें फिर भी ज़रुरत नहीं पड़ती

हम इंसानो की

बार बार हारे तो भी क्या

पैर लड़खडाएं तेरे तो भी क्या

बस जीतने का जज़्बा चाहिए.....

बैसाखी पे हों तेरी टाँगे भी तो क्या

औरों का सहारा बनने का

बस चट्टान सा जज़्बा चाहिए.....

तेरा पेट भूखा हो तो क्या

खाली हो तेरा कटोरा तो भी क्या

दाता बन ने का बस देने का जज़्बा चाहिए......

बुझ रहा हो तेरा दिया

शम्मा कमज़ोर हो तेरी तो भी क्या

ज़माने की रौशनी

ज़माने की मशाल बनने के लिए

लगातार जलने का बस जज़्बा चाहिए....

जज़्बा चाहिए



परिन्दों की तरह अगर उड़ने की

इच्छा रखता है तो मत घबरा

आँखे बंद कर और हौसले

की छलांग लगा

जीत का सेहरा पेहेनना चाहता है

तो बस सांस भरले

और हिम्मत से दौड़

बस उस जीत को गले लगा

तेरी हार और जीत

तेरा भविष्य और तेरा अतीत

इतिहास में तेरा दर्ज नाम

या आने वाले कल की तेरी ढलती शाम

सब तेरे जज्बे से है

सब तेरे जज्बे से है

वो जज़्बा है तो तू है

वो जज़्बा नहीं तो तू नहीं

तो साहिल के सुकून पे न खुश हो

मोती चाहिए तो

अपनी नाव तूफ़ान में उतार

कमर कस ले और

मोती हासिल करने का वो जज़्बा दिखा

वो जज़्बा दिखा

वो जज़्बा दिखा…..!!

Views: 370

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Priyanka singh on July 3, 2013 at 7:59pm

बढ़िया रचना........खूब बधाई...

Comment by अनुपम ध्यानी on August 14, 2010 at 11:32am
Dhanyavaad Bagi jee

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 13, 2010 at 8:11am
बहुत खूब , क्या कमाल की बात कही है आपने अपनी कविता मे, बढ़िया रचना और सुंदर प्रस्तुति, धन्यवाद,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय तिलकराज भाईजी, मुझे उचित प्रतीत नहीं होता कि मैं उपर्युक्त संवाद-प्रक्रिया पर कुछ…"
38 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
43 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय लक्ष्मण धामहजी जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
44 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथलेश जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
45 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"एक छोटा सा अंतर है किसी को अपना उस्ताद या गुरु मानते हुए संबाेधित करने और मंच पर किसी…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने गिरह भी ख़ूब है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय दयाराम जी नमस्कार एक ग़ज़ल क ही आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"इतनी मुश्किल भी नहीं सच्ची कहानी लिखना एक राजा की मुहब्बत में है रानी लिखना उसकी तारीफ़ में जो…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय लक्ष्मण जी  बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय Aazi जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service