मेरा कुत्ता मुझपर ही भौंकता है
मेरे हर आहट पर चौंकता है
कटकटाता है, गुर्गुराता है
जबड़े को भींच, लाल आँखें दिखाता है
उसके सफ़ेद नुकीले दांतों में मैं अपने
मांस का टुकड़े देखता हूँ
अपनी अंतड़ियों को काट-काट
उसकी ओर फेंकता हूँ
मेरे आस्तित्व को मिटाने के लिए
अपनी सारी उर्जा झोंकता है
मेरा कुत्ता ही अब मेरा मालिक है
मुझ पर भौंकता है
लेकिन जब अहम की भूख
सांझ…
ContinueAdded by Shashi Ranjan Mishra on November 30, 2011 at 9:00am — 5 Comments
अन्वेषण स्वयं का
जैसे
अनंत शून्य में भटकना
क्या सत्य है मेरा ,
या कोई मिथ्या
अंतरद्वंद या छलावा
मैं बुद्ध नहीं
महावीर भी नहीं हूँ
जो संसार के कष्टों से भाग चलूँ |
नहीं बैठ सकता कंदराओं में…
Added by Shashi Ranjan Mishra on April 21, 2011 at 6:39pm — 10 Comments
(आज देश की हालत ये है कि हर नुक्कड़ पर के आवारा दोपाये अपने आपको नेता समझ बैठे हैं, देश के शीर्ष भवन में बैठ ये विभिन्न सुरों में भौंकते हैं | इस तस्वीर को देश समझें और टूटते झोपडी को देश का संसद...
Added by Shashi Ranjan Mishra on February 24, 2011 at 8:50am — No Comments
मालिकों के मलाईदार जूठे को खाया है
भौंक-भौंक कर किया कपालभाति
कभी लेट कर किया वज्रासन…
ContinueAdded by Shashi Ranjan Mishra on February 22, 2011 at 8:00am — 9 Comments
Added by Shashi Ranjan Mishra on October 21, 2010 at 8:28pm — 11 Comments
Added by Shashi Ranjan Mishra on October 11, 2010 at 7:00pm — 1 Comment
Added by Shashi Ranjan Mishra on October 7, 2010 at 4:35pm — 7 Comments
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