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Shalini kaushik's Blog (23)

पुष्प समान समझ कर

पुष्प समान समझ कर तुमको,
    सुगंध तुम्हारी बन जायेंगे.
जग में खो दिया जो तुमको,
   शायद कुछ न फिर पाएंगे.
मस्त हवा सा चलना तेरा,
   अपलक मुझको देखना तेरा.
तेरे हस्त को न छू पाए,
   क्या फिर कुछ हम छू पाएंगे.
ये जीवन है इक कठपुतली,
  चलना इसका हाथ में तेरे.
तुमने हाथ जो नहीं हिलाए,
   कैसे फिर हम चल  पाएंगे.
नहीं जानते तेरे मन को,
  क्या देखा है…
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Added by shalini kaushik on January 23, 2011 at 9:46am — 2 Comments

ये हाल है तो कौन अदालत में जायेगा ?

"इंसाफ जालिमों की हिमायत में जायेगा,

ये हाल है तो कौन अदालत में जायेगा."

                      राहत इन्दोरी के ये शब्द और २६ नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ के द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट  पर किया गया दोषारोपण कि "हाईकोर्ट में सफाई के सख्त कदम उठाने की ज़रुरत है क्योंकि यहाँ कुछ…

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Added by shalini kaushik on January 21, 2011 at 1:00pm — No Comments

उचित निर्णय युक्त बनाना

सुधरे जो बनते हैं सबके अपने,

निशदिन दिखाते हैं नए सपने,

ऊपर-ऊपर प्रेम दिखाते,

भीतर सबका चैन चुराते,

ये लोगों को हरदम लूटते रहते हैं;

तब भी उनके प्रिय बने रहते हैं.

**************************************************

ये करते हैं झूठे वादे,

भले नहीं इनके इरादे,

ये जीवन में जो भी पाते,

किसी को ठग के या फिर सताके

ये देश को बिलकुल खोखला कर देते हैं;

इस पर भी लोग इन पर जान छिड़कते… Continue

Added by shalini kaushik on January 12, 2011 at 12:30pm — 2 Comments

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ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
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