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Shalini kaushik's Blog – July 2011 Archive (2)

पर ये तन्हाई ही हमें रहना सिखाती है.

ये जिंदगी तन्हाई को साथ लाती है,

हमें कुछ करने के काबिल बनाती है.

सच है मिलना जुलना बहुत ज़रूरी है,

पर ये तन्हाई ही हमें रहना सिखाती है.



यूँ तो तन्हाई भरे शबो-रोज़,

वीरान कर देते हैं जिंदगी.

उमरे-रफ्ता में ये तन्हाई ही ,

अपने गिरेबाँ में झांकना सिखाती है.



मौतबर शख्स हमें मिलता नहीं,

ये यकीं हर किसी पर होता नहीं.

ये तन्हाई की ही सलाहियत है,

जो सीरत को संजीदगी सिखाती है.



शालिनी कौशिक…



Continue

Added by shalini kaushik on July 17, 2011 at 2:30pm — No Comments

पीछे देखोगे साथ में भीड़ जुट जाएगी.

है अगर चाहत तुम्हारी सेवा परोपकार की,

तो जिंदगी समझो तुम्हारी पुरसुकूं पायेगी.

दुनिया में किसी को मिले न मिले

दुनिआवी झंझटों से मुक्ति मिल जाएगी.



हैं फंसे आकर अनेकों इस नरक के जाल में,

मुक्ति चाह जब उनकी आत्मा तरपाएगी .

तब उन्हें देख तुमको हँसते मुस्कुराते हुए

जिंदगी जीने की नयी राह एक मिल जाएगी.



मोह अज्ञानवश फिर रहे भटक रहे,

मौत के आगोश में गर जिंदगी जाएगी.

अंत समय ज्ञान पाने की ललक को देखना

इच्छा अधूरी है ये मन में दबी रह… Continue

Added by shalini kaushik on July 2, 2011 at 12:43am — 2 Comments

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