For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Blog – March 2014 Archive (4)

बहाकर अश्क भी यारो - ग़ज़ल

1222    1222     1222     1222

****

सिखाते  क्यों  हमें  हो  तुम वही इतिहास की बातें

दिलों में  घोलकर  नफरत  नये  विश्वास  की बातें

*

बताओ  घर   बनेगा  क्या  हमारा   आसमानों  में

जमीनें  छीन   के   करते  सदा  आवास  की  बातें

*

कहाँ  से  हो  कठौती  में   हमारे   गंग  की  धारा

बिठाई  ना  मनों  में जब  कभी रविदास  की बातें

*

बहाकर  अश्क  भी  यारो  कहाँ  दुख  दूर  होते हैं

गमों  से  पार  पाने  को  करो   परिहास  की…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 29, 2014 at 7:30am — 29 Comments

चादरें छोटी मिली हैं किश्मतों की-ग़ज़ल

2122    2122    2122  

***

आदमी  को  आदमी  से  बैर  इतना

भर रहा अब खुद में ही वो मैर इतना

*

दुश्मनो  की  बात  करनी व्यर्थ है यूँ

अब  सहोदर  ही  लगे  है गैर इतना

*

चादरें  छोटी  मिली हैं  किश्मतों की

इसलिए भी मत  पसारो  पैर इतना

*

दे रहे  आवाज  हम  हैं  बेखबर  तुम

कर  रहे  हो किस  जहाँ  में सैर  इतना

*

किस तरह आऊं बता तुझ तक अभी मैं

गाव! उलझन  दे  गया  है  नैर  इतना

*

झूठ  होते  हैं  सियासत  के …

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 24, 2014 at 8:30am — 20 Comments

सिखाता रावणों के गुर - ग़ज़ल - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

1222    1222    1222    1222



किया माथे तिलक झट से कहा नाकाम भी मुझको

बहुत  ठोका  लुहारों  सा  दिया आराम  भी मुझको

*

गिरा तो भी  समझ मेरी  न आयी  शातिरी उसकी

बिठाया  पास  भी अपने किया बदनाम भी मुझको

*

पता  है  साथ  उसके तो  न आया  था कभी  सूरज

जलाता क्यो न जाने फिर शरद का घाम भी मुझको

*

हसाता  चोट  देकर  भी  बड़ा  जालिम  खुदा  पाया

रूला  देता  न मरने  का सुना  पैगाम  भी  मुझको

*

अजब सी रहमतें  उसकी  अजब ही  सब…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 20, 2014 at 6:30am — 14 Comments

गरल रख पास शिव जैसा - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

1222    1222    1222    1222



हमारे   दुख  दिखाई  कब  दिए  हैं  देवताओं को

हमेशा  आँकते वो   कम  हमारी  आपदाओं  को

*

मरें  या  जी रहे  हों हम  उन्हें  पूजा  करें  हरदम

न जब भी पूज पाए हम निकल आए सजाओं को

*

नहीं फिर भी हुए खुश वो भले ही सब किया अर्पण

गरल रख पास शिव जैसा सदा सौपा सुधाओं को

*

पुकारा  जब  गया  उनको  दुखों से  हो  परेशा ढब

किया है  अनसुना बरबस  हमारी सब सदाओं को

*

लगा करता जरूरी नित न जाने क्यों उन्हे…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 6, 2014 at 11:30am — 17 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service