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Krish mishra 'jaan' gorakhpuri's Blog – March 2021 Archive (4)

ग़ज़ल: खिड़की पे माहताब बैठा है।

2122 1212 22

आँख में भरके आब बैठा है।

खिड़की पे माहताब बैठा है।

**

रातभर वाट्सऐप पे है लड़ा

नोजपिन पे इताब बैठा है।

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सुर्ख़ आँखें अफ़ीम हों गोया

पलकों को ऐसे दाब बैठा है।

**

यूँ ग़ुलाबी सी शॉल है ओढ़े

जैसे कोई गुलाब बैठा है।

**

धूप में खिल रही हैं पंखुरियाँ

खुश्बू में लिपटा ख़्वाब बैठा है।

**

सुब्ह से पढ़ रहा हूँ मैं उसको'

और वो लेके किताब बैठा…

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Added by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 15, 2021 at 10:32pm — 16 Comments

ग़ज़ल~ तुझसे मिलकर

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तुझसे मिलकर हम जो रो लेते तो अच्छा होता..

जख्मी दिल को नमक से धो लेते तो अच्छा होता।



हम अपने सर को रखकर कुछ पल तेरे दामन में..

कतरा कतरा आँसू बो लेते तो अच्छा होता।

सहरा सहरा दरिया दरिया पर्वत पर्वत वन वन..

पल भर खुद को खुद से खो लेते तो अच्छा होता।



हर पल है जब आंखों में तेरे सपनों का जगना.

कोई दिन हम तुझमें सो लेते तो अच्छा होता।

जब अपनों के हो न सके,तेरा होना हो न सका …

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Added by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 12, 2021 at 8:00am — 4 Comments

'जब मैं सोलह का था': ग़ज़ल

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जब मैं सोलह का था, और तुम तेरह की थी

मैं भी  भोला  सा था, तुम  भी  मीरा  सी थी।

दिल तब बच्चा सा था, आलम अच्छा सा था..

बातें सच्ची सी थीं, आँख वो वीणा सी थी।

शामें खुशबू सी थीं, रातें जादू सी थीं..

दुनिया दिलकश सी थी, मोहब्बत पहली थी।



बारिश प्यारी सी थी, पतझड़ क्यारी सा था..

गर्मी शीतल सी थी, सर्दी आँचल सी थी ।



दुपहर साया सा था, तुमको पाया सा था..

दिल के द्वारे पे धक-धक दस्तक तेरी…

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Added by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 4, 2021 at 11:00pm — 6 Comments

ग़ज़ल: 'इश्क मुहब्बत चाहत उल्फत'

22 22 22 22

इश्क मुहब्बत चाहत उल्फत

रश्क मुसीबत रंज कयामत।

**

किसको क्या होना है हासिल

कोई न जाने अपनी किस्मत।

**

क्यूँ मैं छोडूं यार तेरा दर

हक है मेरा करना इबादत।

**

देख ली हमने सारी दुनिया

तुझसी न भायी कोई सूरत।

**

जोर आजमा ले तू भी पूरा..

देखूँ इश्क़ मुझे या वहशत?

**

'जान' ये दिन भी कट जायेंगे

देखी है जब उनकी नफरत।

**

तेरे ही दम से सारे भरम हैं

वर्ना क्या दोज़ख़ क्या…

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Added by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 4, 2021 at 5:00pm — 11 Comments

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गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
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