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आशीष नैथानी 'सलिल''s Blog – February 2013 Archive (2)

हैदराबाद से - एक ग़ज़ल !!!

आँख जैसे लगी, ख़ाक घर हो गया

जुल्म का प्रेत कितना निडर हो गया ।



कुछ दरिन्दों ने ऐसी मचाई गदर

खौफ की जद में मेरा नगर हो गया ।



थी किसी की दुकाँ या किसी का महल

चन्द लम्हों में जो खण्डहर हो गया ।



है नजर में महज खून ही खून बस

आज श्मसान 'दिलसुखनगर' हो गया ।



थी ख़बर साजिशों की मगर, बेखबर !

ये रवैया बड़ा अब लचर हो गया ।



कौन सहलाये बच्चे का सर तब 'सलिल'

जब भरोसा बड़ा मुख़्तसर हो गया ।



------  आशीष 'सलिल'…

Continue

Added by आशीष नैथानी 'सलिल' on February 22, 2013 at 10:00pm — 24 Comments

ग़ज़ल - हम तलक ही रहे !!!

राज की बात हम तलक ही रहे
ये मुलाक़ात हम तलक ही रहे ।

कुछ सवालात पूछ बैठे हम
कुछ सवालात हम तलक ही रहे ।

उनके इल्ज़ाम सब थे झूठे मगर
मेरे इस्बात हम तलक ही रहे ।

डर है तुझको बहा न ले जाये
ऐसी बरसात हम तलक ही रहे ।

इन सितारों को बाँट ले दुनिया
चाँदनी रात हम तलक ही रहे ।

(इस्बात - प्रमाण/सुबूत)

Added by आशीष नैथानी 'सलिल' on February 17, 2013 at 11:31pm — 33 Comments

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