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Krish mishra 'jaan' gorakhpuri's Blog – February 2021 Archive (3)

ग़ज़ल: 'नेह के आँसू'

नेह के आंसू को सरजू कहता हूँ

अपनेपन से तुझको मैं तू कहता हूं।

                    **

रात छत पे जब निकल आता है तू

इन सितारों को मैं जुगनू कहता हूँ।                      **   

       

 ये जो तन से मेरे आती है महक़..

मैं इसे भी तेरी खुशबू कहता हूँ।

                      **

ये अदब,शोख़ी, नज़ाकत, लहज़े में..

मैं इसी लहज़े को उर्दू कहता हूँ।

                      **

सब थकन मेरी पी जाती है ये धूप

मैं सदा को तेरी…

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Added by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on February 19, 2021 at 7:00pm — 26 Comments

ग़ज़ल: 'एक पल को''

2122 1212 22 (112)

मुझको तू गर मिला नहीं होता

इश्क़ है क्या पता नहीं होता।

               **

एक पल को जुदा नहीं होता.

ग़म तेरा बेवफ़ा नहीं होता।

                 **

रोज इक ख़त मैं लिखता हूँ तुझको

और तेरा 'पता' नहीं होता।

                

                  **

दो जहाँ हमने एक कर डाले

दर्द बढ़कर दवा नहीं होता।

                   **

इश्क़ है गर तो सोचता है क्या?

इश्क़ होता है या नहीं होता।

   …

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Added by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on February 15, 2021 at 3:00pm — 9 Comments

ग़ज़ल~ 'इनकार मुझे'

2122 1122 2(11)2

ये अलग बात है इनकार मुझे

तेरे साये से भी है प्यार मुझे।

                **

सामने सबके बयाँ करता नहीं

रोज दिल कहता है, सौ बार मुझे।

                 **

लफ्ज़ दर लफ्ज़ मैं बिक जाऊं अगर

तू खरीदे सरे बाजार मुझे।

                  **

था हर इक दिन कभी त्यौहार की तर्ह

भूल अब जाता है इतवार मुझे।

                  **

चाहकर मैं तुझे, मुजरिम हूँ तेरा

क्यूँ नहीं करता गिरफ़्तार मुझे

   …

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Added by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on February 6, 2021 at 11:30pm — 10 Comments

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