For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आलोक पाण्डेय
  • Male
Share on Facebook MySpace
 

आलोक पाण्डेय's Page

Latest Activity

आलोक पाण्डेय updated their profile
Dec 17, 2019

Profile Information

Gender
Male
City State
VARANASI
Native Place
VARANASI
Profession
AUTHOR , POET ,PHILOSOPHER , ENVIRONMENTALIST , SCIENTIST
About me
SOCIAL REFORMER

बन्धुवर अब तो आ जा गांव !

बन्धुवर अब तो आ जा गांव !

खोद रहे नित रेत माफिया नदिया की सब रेती
चर डाले हरियाली सारी धरती की सब खेती ।
आम-पीपल-नीम-बरगद काट ले गए, लग रहे बबूल पर दांव
बन्धुवर अब तो आ जा गांव !
समरसता अब खो चुकी धर्म खतरे में घट रहा
स्वदेशी घुट रही घर में समाज देश भी बंट रहा ।
भाई भाई को लूटे , सर्वत्र विघटन के पांव
बन्धुवर अब तो आ जा गांव !
होली और दशहरा में लोग हिल-मिल सब डोले
सारे झगड़े वैर भुला, प्रिय मधुर सरसमय बोले।
दुर्लभ वह चौपाल हो गई और वह दुर्लभतम् भाव
बन्धुवर अब तो आ जा गांव !
रामायण की कथा खो गई , खो गई बूढ़ी मां की अमर कहानी ,
खो गये वीर शिवा पेशवा महाराणा, वीरांगना झांसी की रानी ।
दुर्लभ वह संस्कार हो गए ,मिट रहे नित सभ्यता के नांव;
बन्धुवर अब तो आ जा गांव !
बिलख रही धरती सारी सिसक रही जननी प्यारी
सिमट रही दुख की भारी ,तडप रही पग पग हारी ।
खग-विहग , जलचर दुखिया आहत सब प्राणी , कहां एक भाव से ठांव ;
बन्धुवर अब तो आ जा गांव !
सुख रहे नदी सरोवर लूट रहे वन उपवन
लूट रहा पर्वत धरा-व्योम ,लूट रहा हर क्षण यौवन ।
स्वार्थ में परमारथ लूटे मिल रहे नित नए घाव ।
बंधुवर अब तो आ जा गांव !
हा-हा कार मचा निशिदिन क्रूरता का प्रतिरूप खड़ा,
दगाबाज चहुं ओर लुटेरे हिंसा-पशुता का रूप अड़ा।
नित द्रौपदी पर लगते कौरव पांडव के दांव ;
बन्धुवर अब तो आ जा गांव !
वन उपवन अब कहां हंसते वृक्ष लता गुल्म नहीं खिलते,
सहस्त्रों गाय कटने पर भी वह शौर्य हुंकार नहीं दिखते ।
कंपित कत्ल की धार खड़ी अवध्या , हाय! लेकर दैन्य भाव ;
बंधुवर अब तो आ जा गांव !
आकाश चांदनी विलसे , मलयाचल चोटी शिर से
कर रही विलाप वसुधा आक्रांत , करुण पुकार आहत स्वर से ।
जलते छप्पर-छाजन आज , नहीं शांति सुस्थिरता की छांव !
बन्धुवर अब तो आ जा गांव !
वर्षों से शीतल सुरभित समीर व्यथित ,
मुरझा रहे सुमन खिले बहु रीत ।
हर सांझ सबेरे अनाचार , डूब रही सत्य की नाव ,
बन्धुवर अब तो आ जा गांव !

आलोक पाण्डेय
(वाराणसी,भारतभूमि)

मौलिक व अप्रकाशित

आलोक पाण्डेय's Photos

  • Add Photos
  • View All

आलोक पाण्डेय's Blog

ज्वार उठाना होगा , मस्तक कटाना होगा

महासमर की बेला है

वीरों अब संधान करो,

शत्रु को मर्दन करने को,

त्वरित अनुसंधान करो |

मातृभू की खातिर फिर

लहू बहाना होगा;

ज्वार उठाना होगा,

मस्तक कटाना होगा|

सिंहासन की कायरता से ,

संयम अब डोल रहा

चिरस्थायी संस्कृति हित ,

कडक संघर्षों को खोल रहा|

अखिल विश्व की दिव्य मनोरथ,

अधरों में अब डोल रहा,

लुट रही मानवता नित-क्षण

लंपट सदा कायरों की भाषा

बोल रहा|

वीरों को आगे आना होगा,

संघर्ष शिवाजी सा –

सतत्…

Continue

Posted on September 9, 2018 at 12:00pm — 1 Comment

पूछ रहा मुझसे स्वदेश

पूछ रहा मुझसे हिमालय,

पूछ रहा वैभव अशेष

पूछ रहा क्रांत गौरव भारत का,

पूछ रहा तपा भग्नावशेष

अनंत निधियाँ कहाँ गयी,

क्यों आज जल रहा तपोभूमि अवशेष;

कैसे लूटी महान सभ्यता प्राचीन,

क्यों लुप्तप्राय वीरोचित मंगल उपदेश !

कितने कलियों का अन्त हुआ भयावह,

कितने द्रोपदियों के खुले केश,

बता,कवि! कितनी मणियाँ लुटी,

कितनों के लुटे संसृति-चीर विशेष !

चढ़ तुंग शैल शिखरों से देख!

नहीं सौंदर्य बोध,विघटन के विविध क्लेश;

कहाँ…

Continue

Posted on September 4, 2018 at 5:00pm — 4 Comments

Comment Wall

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

  • No comments yet!
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Loading… Loading feed

Latest Activity

Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
16 seconds ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, आप का बहुत धन्यवाद।  "दोज़ख़" वाली टिप्पणी से सहमत हूँ। यूँ सुधार…"
1 minute ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"//दोज़ख़ पुल्लिंग शब्द है//... जी नहीं, 'दोज़ख़' (मुअन्नस) स्त्रीलिंग है।  //जिन्न…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, बहतर है।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। आशा है कि…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की  टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये हेर शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ है, फिर भी…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह ख़ूब, अमित जी की टिप्पणी…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी आदरणीय यही कि जिस मुक़द्दमे का इतना चर्चा था उसमें हारने वाले को सज़ा क्या हुई उसका भी चर्चा…"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service