For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अनहद गुंजन
Share on Facebook MySpace
 

अनहद गुंजन's Page

Profile Information

Gender
Female
City State
फरीदाबाद हरियाणा
Native Place
कासगंज

अनहद गुंजन's Blog

*मन मनोरम* छ्न्द में गीत.....

*रोज चौकन्नी रहूँ मै,*

*किन्तु हरजाई न आये |*

*और मेरे मन भवन में,*

*मौन परछाईं न आये |*



खिल रहे थे पुष्प उर में,

साँझ आते ये झरे हैं।

भूल मैं सुधि-बुधि गयी हूँ,

साख उर के ये हरे हैं।

आंख मेरी ये थकी हैं।

लौट तरुणाई न आये।



*रोज चौकन्नी रहूँ मै,*

*किन्तु हरजाई न आये |



चाँदनी बिखरी पड़ी थी,

भर लिया दामन में है।

जब भी पिघले अश्रुजल ये,

चख लिया सावन में है।

वेदना बढ़ती गयी थी,

किन्तु करुणाई न… Continue

Posted on August 17, 2017 at 4:00pm — 5 Comments

श्याम रात श्याम वात श्याम गूँज साथ साथ।

आप सभी मित्रों को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं

श्याम रात श्याम वात श्याम गूँज साथ साथ।
चन्द्रमा प्रकाश लुप्त हाथ को दिखे न हाथ।
गूँजता रहा विहान कृष्ण जश्न गीत गान।
धन्य धन्य देव और धन्य धन्य ये जहान।

टूट बेड़ियां गयीं खुले अवाक जेल द्वार।
कृष्ण जन्म साथ कंस नीच का ढले खुमार
जन्म जश्न गैल गैल ढोल पे उड़े गुलाल।
गोल हैं कपोल गाल नंद के भए गुपाल।

.....अप्रकाशित/मौलिक

Posted on August 16, 2017 at 12:30pm — 3 Comments

विरह गीत

हृदय पटल को तेरी यादें , देती चीर।

आकुल रहता मन ये मेरा, सुन बेपीर।



विस्मित होती आत्ममुग्ध सी, थी ये गूँज।

तुझमें सिमटी रहती थी जो, ये अनुगूँज।

पुलकित हो जाया करती थी, हुई अधीर।

हृदय पटल को तेरी यादें, देती चीर।



सुधियों में कर याद तुझे भर , लेती आह।

हुआ हमें अहसास नही अब, बाकी चाह।

किन्तु नही समझे ये आंखें , भरती नीर।

हृदय पटल को तेरी यादें, देती चीर।



आद्र नयन ये हस भी जाएँ, फिर से देख।

प्रेम पुनः जो अंकित करते, हिय… Continue

Posted on July 23, 2017 at 11:44am

Comment Wall

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

  • No comments yet!
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया लक्ष्मण भाई।"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये अमित जिनकी टिप्पणी से सीखने को मिला…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service