For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन.

ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव, अंक- 31 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है.


छंदोत्सव के नियमों में कुछ परिवर्तन किये गए हैं इसलिए नियमों को ध्यानपूर्वक अवश्य पढ़ें | 

(प्रस्तुत चित्र अंतरजाल से साभार लिया गया है)

तो आइये, उठा लें अपनी-अपनी लेखनी और कर डालें इस चित्र का काव्यात्मक चित्रण !

 

आपको पुनः स्मरण करा दें कि छंदोत्सव का आयोजन मात्र भारतीय छंदों में लिखी गयी काव्य-रचनाओं पर ही आधारित होगा. इस छंदोत्सव में पोस्ट की गयी छंदबद्ध प्रविष्टियों के साथ कृपया सम्बंधित छंद का नाम व उस छंद की विधा का संक्षिप्त विवरण अवश्य लिखें. 

ऐसा न होने की दशा में आपकी प्रविष्टि ओबीओ प्रबंधन द्वारा अस्वीकार कर दी जायेगी.

नोट :

(1) 19 अक्टूबर 2013 तक Reply Box बंद रहेगा, 20 अक्टूबर दिन रविवार से 21 अक्टूबर दिन सोमवार यानि दो दिनों के लिएReply Box रचना और टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

सभी प्रतिभागियों से निवेदन है कि रचना छोटी एवं सारगर्भित हो, यानी घाव करे गंभीर वाली बात हो. रचना भारतीय छंदों की किसी विधा में प्रस्तुत की जा सकती है. यहाँ भी ओबीओ के आधार नियम लागू रहेंगे और केवल मौलिक एवं अप्रकाशित सनातनी छंद की रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

 

विशेष :

यदि आप अभी तक www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बारsign up कर लें.

 

अति आवश्यक सूचना :

ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव, अंक- 31  की आयोजन की अवधि के दौरान सदस्यगण अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक के हिसाब से पोस्ट कर सकेंगे. ध्यान रहे प्रति दिन एक, न कि एक ही दिन में दो रचनाएँ.

 

रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

 

नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.

 

सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

 

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.

 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.

 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.

 

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

 

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहा...

 

 

मंच संचालक

सौरभ पाण्डेय

(सदस्य प्रबंधन समूह)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

 

Views: 15234

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीया, उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद

आदरणीय सत्यनारायण जी,

श्यामल गात जवान, छरहरा देह गठीला।

कटि पर गमछा लाल, सोहे युवक रंगीला।।........उसकी काठी पर ध्यान दिलाने के लिये बधाई. 

बेचारे प्रशासन को को नानी याद दिला दी...

सुन्दर रचना है...बधाई.

सादर.

आ. शुभ्रांशु जी सादर
   उत्साहवर्धन के लिए आपका आभारी हूँ.

आदरणीय सत्यनारायणजी, आपके दोनों छंद प्रदत्त चित्र की भौतिकता को उपयुक्त शब्द दे रहे हैं, विशेषकर पहला छंद. इस गंभीर कोशिश के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद और बधाई.

कुण्डलिया के रोला वाले भाग में तनिक परिवर्तन छंदों को वैधानिक रूप से अत्यंत संयत कर देगा. जैसे,

करे हजामत युवक की,  नाई चतुर सुजान।
कुर्सी पर आसीन है, श्यामल गात जवान।।
श्यामल गात जवान, देह छरहरा गठीला ।
कटि पर गमछा लाल, युवक सोहे रंगीला।।
शीशा कर में धार, युवक निज रूप निहारत।
नाई भी पतलून, मोड़कर करे हजामत।।

विश्वास है, आप उपरोक्त सुधार को समझ कर तदनुरूप छंद रचना करेंगे.
सादर

haaaaa waah waah saurabh ji ati sundar , kya baat hai is baar chhnd ka band bada accha laga raha hai :)

आदरणीया शशिजी, उपरोक्त छंद में जो परिवर्तन हुए हैं वे वैधानिक हैं. इसी कारण आपको छंद-प्रवाह अच्छा लगा होगा.

और आप कैसे बीच से ही रचनाएँ देख लेती हैं ! हम जैसे लोग तो एक-एक पृष्ठ करते हुए बढते हैं... :-(((

सादर

परम आदरणीय सौरभ जी सादर,

           रचना पर आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया से रचना धन्य धन्य हो गई तथा रचना पर आपका सुझाव भी शिरोधार्य  है.  उत्साहवर्धन के साथ साथ आपके अमूल्य मार्गदर्शन हेतु आपका आभारी हूँ.  आदरणीय.

   

परम आदरणीय सौरभ जी सादर,

//कुण्डलिया के रोला वाले भाग में तनिक परिवर्तन छंदों को वैधानिक रूप से अत्यंत संयत कर देगा. जैसे,

करे हजामत युवक की,  नाई चतुर सुजान।
कुर्सी पर आसीन है, श्यामल गात जवान।।
श्यामल गात जवान, देह छरहरा गठीला ।
कटि पर गमछा लाल, युवक सोहे रंगीला।।
शीशा कर में धार, युवक निज रूप निहारत।
नाई भी पतलून, मोड़कर करे हजामत।।

विश्वास है, आप उपरोक्त सुधार को समझ कर तदनुरूप छंद रचना करेंगे. //
उपरोक्त सुझावानुसार मैंने रचना में निम्नवत परिवर्तन का प्रयास किया है. किन्तु वैधानिक रूप से वह संशोधन सफल हुआ भी या नहीं मैं नहीं जानता.  वैधानिक रूप के बारे में जानने की मन में अभिलाषा जगी है अतएव आपसे विनम्र निवेदन है की,  कृपया इस विषय को अधिक  विषद करें जिसके लिए मैं आपका आभारी रहूँगा.

श्यामल गात जवान, हरे मन देह  गठीला । (देह है चुस्त गठीला)
कटि पर गमछा लाल, युवक सोहे रंगीला।।

धन्यवाद

आप द्वारा हुए संशोधन में पहला सार्थक है, आदरणीय सत्यनारायणजी, जबकि दूसरे की यानि युवक सोहे रँगीला  की मात्रा गडबड है.

आप कुण्डलिया में प्रयुक्त दोहा और रोला के पदों के शब्द-संयोजन के क्रम में यह समझ लें कि -

१. दोहे का आदि चरण यानि विषम चरण विषम शब्दों से यानि त्रिकल से प्रारम्भ हो तो संयोजन ३, ३, २, ३, २ होगा  और चरणांत रगण (ऽ।ऽ) या नगण (।।।)  होगा.

२. दोहे का आदि चरण यानि विषम चरण सम शब्दों से यानि द्विकल या चौकल से प्रारम्भ हो तो संयोजन ४, ४, ३, २ होगा और चरणांत रगण (ऽ।ऽ) या नगण (।।।) होगा.

३. दोहे के सम चरण का संयोजन ४, ४, ३ या ३, ३, २, ३ होता है. 

४. रोला के विषम चरण का संयोजन या विन्यास दोहा के सम चरण की तरह ही होता है, यानि ४, ४, ३ या ३, ३, २, ३

५. रोला के सम चरण का संयोजन ३, २, ४, ४ या ३, २, ३, ३, २ होता है.

इसी को आधार मानें आदरणीय.

इस हिसाब से

हरे मन देह गठीला - हरे (३) / मन (२) / देह (३) / गठी (३) / ला (२) ..  यानि यह सही है

युवक सोहे रंगीला - युवक (३) / सो (२) / हे रँ (३) / गी (२) / ला (२)... . गी  वाले फैलेन्ग में त्रिकल होना था.

सादर

परम आदरणीय सौरभ जी सादर धन्यवाद.

विस्तृत अमूल्य  जानकारी साझा करने हेतु आपका ह्रदयतल से आभार व्यक्त करता हूँ.

waah satynarayan ji bahut sundar kundaliyaan , dono bahut acchi lagi

करे हजामत युवक की,  नाई चतुर सुजान।

कुर्सी पर आसीन है, श्यामल गात जवान।।

श्यामल गात जवान, छरहरा देह गठीला।

कटि पर गमछा लाल, सोहे युवक रंगीला।।

शीशा कर में धार, युवक निज रूप निहारत।

नाई भी पतलून, मोड़कर करे हजामत।।............... haaaaaaaa kya baat hai waah waah ,

आदरणीया, उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी।"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"नमस्कार। प्रदत्त विषय पर एक महत्वपूर्ण समसामयिक आम अनुभव को बढ़िया लघुकथा के माध्यम से साझा करने…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीया प्रतिभा जी आपने रचना के मूल भाव को खूब पकड़ा है। हार्दिक बधाई। फिर भी आदरणीय मनन जी से…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"घर-आंगन रमा की यादें एक बार फिर जाग गई। कल राहुल का टिफिन बनाकर उसे कॉलेज के लिए भेजते हुए रमा को…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदाब। रचना पटल पर आपकी उपस्थिति, अनुमोदन और सुझाव हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।…"
4 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आपका आभार आदरणीय वामनकर जी।"
5 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आपका आभार आदरणीय उस्मानी जी।"
5 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीया प्रतिभा जी,आपका आभार।"
5 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"  ऑनलाइन शॉपिंग ने खरीदारी के मापदंड ही बदल दिये हैं।जरूरत से बहुत अधिक संचय की होड़ लगी…"
7 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीय मनन सिंह जी जितना मैं समझ पाई.रचना का मूल भाव है. देश के दो मुख्य दलों द्वारा बापू के नाम को…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"जुतयाई (लघुकथा): "..और भाई बहुत दिनों बाद दिखे यहां? क्या हालचाल है़ंं अब?""तू तो…"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service