For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सद्यः समाप्त हुए ’चित्र से काव्य तक’ प्रतियोगिता-सह-आयोजन (अंक - १०) में अनुष्टुप छंद पर भी प्रविष्टि आयी.  ऐडमिन के सुझाव के अनुसार उक्त प्रविष्टि के साथ छंद पर लिखे फुट-नोट को पाठकों की सुविधा के लिये इस ग्रुप में डाला जा रहा है.


**********

यह संस्कृत भाषा का एक अत्यंत ही प्रसिद्ध वार्णिक छंद है. श्रीमद्भग्वद्गीता, श्रीसुक्तम, गायत्री कवचम्, विष्णु सहस्रनाम आदि-आदि की रचना इसी छंद में हुई है.
इस छंद के चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में आठ-आठ वर्ण होते हैं, घनक्षरी की प्रथम पंक्ति के दोनों चरणों की तरह. किन्तु एक विशेष विन्यास होता है --
छंद के विषम चरण में पाँचवाँ, छठा और सातवाँ वर्ण क्रमशः लघु, गुरू, गुरू होता है,  जबकि सम का पाँचवाँ, छठा और सातवाँ वर्ण क्रमशः लघु, गुरू, लघु होता है. 
 
एक बात और, वैसे तो दोनों चरणों के आठवें वर्ण को लेकर कोई विशेष संकेत नहीं किया गया है.  किन्तु संस्कृत भाषा में इस छंद के पाठ के समय दोनों चरणों के आठवें वर्ण पर विशेष स्वर-बल दिया जाता है. यह उस वर्ण के गुरू होने का आभास देता है, भले ही आठवाँ वर्ण किसी दीर्घ स्वर से संयुक्त न हो, अथवा मात्र एक अक्षर भर क्यों न हो (अकारांत अक्षर).  चूँकि, हिन्दी में ह्रस्व स्वर युक्त अक्षर या अकारांत अक्षर को लघु गिना जाता है.  अतः, पाठ के आधार पर आठवें वर्ण को हिन्दी पद्य में गुरू  का रूप माना जा रहा है. 
 
इस लिहाज से हिन्दी पद्य में अनुष्टुप छंद के चरण निम्न विस्तार में होंगे --
विषम चरण - वर्ण क्रमांक पाँचवाँ, छठा, सातवाँ, आठवाँ क्रमशः लघु, गुरू, गुरू, गुरू
सम  चरण -  वर्ण क्रमांक पाँचवाँ, छठा, सातवाँ, आठवाँ  क्रमशः लघु, गुरू, लघु, गुरू

श्रीमद्भग्वद्गीता का ही एक विशिष्ट श्लोक का उदाहरण दे रहा हूँ, तीसरे अध्याय से तीसरा श्लोक - 

लोकेऽस्मिन द्विधा निष्ठा पुरा प्रोक्ता मयान

ज्ञानयोगेन सांख्यानां कर्म योगेन योगिनां ॥

प्रथम पंक्ति के सम चरण में मयानघ  संधि-शब्द अत्यंत सटीक उदाहरण है, जहाँ ’’ पर पाठ के क्रम में स्वर-बल दिया जाता है किन्तु, इस ’’ से कोई दीर्घ स्वर नहीं जुड़ा है.


अन्य उदाहरण -

तेरा दिल बसेरा हो, घरौंदा प्यार-भाव का  

धर्म सर्वसमाही हो, कर्म धारे विशालता  
 

न भेद नौनिहालों में, भेद मानें पढ़े-लिखे 
’’पन्थ है जरिया ही तो, धर्म तथ्य उभारता’’ 

 
गूढ़ बातें नहीं हैं ये, किन्तु बेशक जानिये --
होंगे राम अजानों में, दिखे कान्हा सलीम का 

 
बने यों जिंदग़ी आसां, होगा संयत आदमी 
हर मंदि शोभेगा,  ईश के दरबार सा
 
चप्पा-चप्पा भरोसे से, आप्लावित रहे सदा 

तभी समाज में व्यापे, आत्मीयता, उदारता


विश्वास है, प्रायस करने से छंद में कहना सरल हो जायेगा.  सुधि-पाठकों की प्रतिक्रिया का इंतज़ार है.

********************

--सौरभ

 

Views: 6220

Replies to This Discussion

आदरणीय सौरभ बड़े भईया अनुष्टुप छंद के सम्बन्ध में जानने के पश्चात अभी श्री मदभगवत गीता के श्लोक पढ़ने में अलग ही आनंद आ रहा है.... इस मनोहारी छंद के सम्बन्ध में सुन्दर/सहज/तथ्यात्मक जानकारी उपलब्ध करा कर विस्तार से समझाने के लिए सादर आभार....

जय ओ बी ओ

इस भगीरथ प्रयास हेतु आपको हार्दिक आभार व कोटिश: बधाई माननीय  सौरभ सर। 

"गुरु पंचश्लोकी"

सद्गुरु-महिमा न्यारी, जग का भेद खोल दे।
वाणी है इतनी प्यारी, कानों में रस घोल दे।।

गुरु से प्राप्त की शिक्षा, संशय दूर भागते।
पाये जो गुरु से दीक्षा, उसके भाग्य जागते।।

गुरु-चरण को धोके, करो रोज उपासना।
ध्यान में उनके खोकेेे, त्यागो समस्त वासना।।

गुरु-द्रोही नहीं होना, गुरु आज्ञा न टालना।
गुरु-विश्वास का खोना, जग-सन्ताप पालना।।

गुरु की गरिमा भारी, आशीर्वाद प्रताड़ना।
हरती विपदा सारी, मीठी मधुर ताड़ना।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
22-07-2016

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई सुशील जी, सुंदर दोहावली हुई है। हार्दिक बधाई।"
10 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भूल सुधार - "टाट बिछाती तुलसी चौरा में दादी जी ""
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ.गिरिराज भंडारी जी, नमस्कार! आपने फ्लेशबैक टेक्नीक के  माध्यम से अपने बचपन में उतर कर…"
10 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी।"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service