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 बूझो तो जाने ....   

 

टिक- टिक ,टिक- टिक करती

चलते चलते कभी न थकती

दिन भर करती काम

लेती न एक दाम

बूझो तो कौन ......... ?

 

एक बार लगाओ अगर

बार बार पाओ मगर

जीवन भर देते रहते

कभी देते घनेरी छाया 

मीठे फल लकड़ी काया

बूझो तो कौन ................. ?

 

काले काले पंखों वाली

दिखती वो पूरी काली

छोटी सी प्यारी सी वो

सबके दिल मे रहती है

गीत मधुर सुनाती है

बूझो तो कौन ............... ?

 

चोट तुम्हें जब लगती है

दौड़ कर अंक लिपटाती है

अपने आंचल की छाया मे सुलाती है

खुद से पहले तुम्हें कौर खिलाती है

थपकी दे कर पहले तुम्हें सुलाती है

बूझो तो कौन ............. ?

 

धूप मे छाँव देता

ठंड मे आराम देता

बारिश से हमे बचाता

कहीं भी जाओगे पर

लौट के बुद्धू आओगे

बूझो तो कौन ................. ?

 

--अन्नपूर्णा बाजपेई

 

अप्रकाशित एवं मौलिक

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Replies to This Discussion

वाह! वाह! आदरणीया अन्नपूर्णा जी,

नन्हे मुन्नों के लिए पहेलियों को बहुत सुंदरता से प्रस्तुत किया है....आनंद आ गया.............बहुत बहुत बधाई.

वैसे पदों में सम मात्रिकता निर्वहन से गेयता को कई गुणा बढ़ाया जा सकता है...इन पहेलियों पर थोड़ा सा और प्रयास करें..

शुभकामनाएँ 

धन्यवाद आ० प्राची जी , मात्राओं पर भी अब मै थोड़ा ध्यान दूँगी । आपका कथन सही है । सादर ।

बच्चों की रचनाओं में सटीक तुकान्तता एक बहुत महत्त्वपूर्ण फैक्टर है. तभी रचनाएँ या राइम्स कण्ठस्थ हो सकते हैं. 

इस प्रयास के लिए धन्यवाद आदरणीया अन्नपूर्णाजी.

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