For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हम बोलेगा तो बोलो गे की बोलता है ...




देखो मित्रो ! अब हम बोलें भी तो क्या बोलें। क्यों बोलें ?! देखो न कुछ लोग बोलते हैं सुनते नहीं और कुछ लोग सिर्फ बोलते हैं सुनते नही और कुछ कुछ भी बोले बिना सिर्फ सुनते जाते हैं .यूं की बोलने वालों पे हम क्या बोलें ,कुछ क्यों बोलें ?
इस तथ्य से तो आप सुधि जन विदित हों गे की आज कल बोलना एक फैशन हो चला है । आप चाहो तो धाराप्रवाह दहेह पर बोलो किंतु मात्र बोलना , कहीं आप ने आपने भाषण का अल्पांश भी अपना लिया तो समझना की गयी भैंस पानी में । आप अपनी बिटिया की शादी के समय यथोचित भाषण को मूर्त रूप दे सकते हैं किंतु अपने बेटे की शादी के समय हरगिज़ नही । अब बेटे बहु को जो जो मिल रहा है वो तो स्नेह्सुमन हैं दहेज तो नही है न ? दहेज तो तब होता अगर आप को देना पड़ता।
फैशन की बात चल निकली है तो एक और फैशन की बात भी करते चलें वो फैशन है कन्या भ्रूण हत्या की निंदा करने का फैशन
हजारों सरकारी गैरसरकारी समारोहों में धड़ल्ले से इस विषय पर बोला जा रहा है । कानून साज़ और कानून छेदक अपना अपना कार्य किए जा रहे हैं । एक सीए जा रहे हैं एक उधडे जा रहे हैं । अब देखिये न समाचार पत्रों की जठराग्नि को शांत भी करना है और कुछ अपनी अपने अहम को चारा भी डालना है ,एक पंथ दोउ काज सुहावा वाली बात यूँ ही हो पाएगी न !!
अब और देखिये कभी फैशन के लिए जूते बदले जाते थे , सुइट साड़ी बदली जाती थी ,गारंटी वाली वस्तु को ग्घ्र लाया जाता था किंतु आज आज किसी भी चीज़ की कोई गारंटी नही ।
आज दूकानदार महोदय अपनी दूकान पर आने वालों का स्वागत ही इस भित्तिचित्र के साथ करते हैं
" फैशन के दौर में गारंटी की अपेक्षा न करें "
कदाचित वो सही भी हैं । आज जब किसी नेता की कोई गारंटी नही की वो कब तोला जाए और कब बिक जाए !
किसी अभिनेता की कोई गारंटी नही की वो कितनी संख्या का हरम बनाये बैठा है !किसी धर्माधिकारी की कोई गारंटी नही की वो कहाँ तक अह्र्मी/विधर्मी निकल सकता है !किसी तर्कशील की कोई गारंटी नही की वो मात्र लेबल से तर्कशील है या कार्यशेली से भी तर्कशील है !किसी डाक्टर की कोई गारंटी नही की उस ने किस किस से कितना कितना कमिशन बाँध रखा है और किस किस रोगी को अनावश्यक टेस्ट करवाने की कही है !किसी अध्यापक की कोई गारंटी नही की उसने अपने विद्यार्थियों को स्कूल समय से अधिक प्राइवेट टूशन के समय भी पढाया भी या की नही !न्याय पालिका की कोई गारंटी नही की लम्बित मामलो का निर्णय वादी/प्रतिवादी सुने गे की उन के पुत्र/पौत्र !कार्य पालिका की कोई गारंटी नही की वो अपने अफसरों की फिजूल खर्ची पर नकेल कसेगी ही ! यहाँ
सरकारें बे रोज़गार को रोज़गार देने की गारंटी नही देती ,भूखे को अन्न लाशों को कफन देने की गारंटी नही देती , राजनेतिक ऊहापोह में किसी की विश्वसनीयता की गारंटी नही !नीतिनिर्मान के समय देश हित की गारंटी नही!
सरमाये की कठपुतलियों से गरीब जीर्ण शीर्ण भारतोदय की कोई गारंटी नही ! वहां दुकानदार गारंटी कैसे दे क्यो दे ??!
हाँ ,इस सब पर बोला जा सकता है सो मात्र बोला जा रहा है । राजनेतिक रोटियां सेंकने वालों से पूछने वाले प्रश्न अनेक हैं किंतु व्ही बिल्ली ,वही गला, वोही घंटी !?
चलिए हम भी नही बोलेंगे !!!!
हम बोलेगा तो बोलो गे की बोलता है

Views: 2157

Reply to This

Replies to This Discussion

.....आपकी रचना...इसमें किये गए व्यंग्य...इसमें उठाये गए मुद्दे...... और उस पर आपका अंदाज़....कुल मिला कर यह बहुत ही अच्छी रचना बन पड़ी है....
dhnyawaad
भाई आपको तो किसी ने नही रोका आप हीं क्यों नही शुरु कर देते जो बोलते हैं वह करना । आप भी तो भाई साहब बोलने में हीं मग्न हो गयें। एक बार शुरुआत कर के तो देखिये ।
madan kumar tiwary JEE; PEHLA PG BOLNA HAI VO UTHA LIYA HUM NE AAGEY BHEE SUDHREINGAY NHI...

दीप रिजवी साहब आपने जो जवाब दिया , उसका मतलब मैं नहीं समझ पाया । पी जी शब्द का उपयोग आपने किस संर्दभ में किया है । यह समझ में नही आया। वैसे अगर मेरी टिप्पणी से तकलीफ़ पहुंची हो तो माफ़ी चाहता हूं। आदत है हंसी करने की , इसलिये हंसी वाली टिप्पणी भी कर देता हूं। आपका व्यंग्य काबिले तारीफ़ है। मैने भी व्यंग्य का जबाब व्यंग्य में हीं देने का छोटा सा प्रयास किया। एक बात और हम - आप हीं तो आपस में एक दुसरे पर चुटकी ले सकते हैं बिना डरे । वरना नेताओं पर चुटकी ली नही कि चमचों की लात घुसे की बौछार शुरु। आप कम से कम शब्दों से हीं तो मारेंगे लात घुसों से नही। कभी मेरे ब्लाग पर भी आयें

PG STEP KO HINDI MEIN YEHI KEHTAY HAI.. BHAAYI JAAN.. AAP KI TIPPNIAA TNKEED MERE KHURAAK HAI, MERI PRVRISH HAIN . DHNYAWAAD
आपकी पहल काबिले तारीफ़ है दीप जी |

"अब मुअज्जन की सदायें कौन सुनता है
चीख चिल्लाहट अजानों में पहुँचती है "(दुष्यंत कुमार )
अपना और पराया मौन

मित्रो , गुलाबी सा मौसम है . लेकिन सोच के दायरे उलझे उलझे है . जनाब आप की सोच के नहीं ,मेरी सोच के दायरे उलझे उलझे से हैं. क्या पूछते हो जनाब क्यूँ? क्यों उल्झे हैं ?
बताता हूँ ,बताता हूँ ...
सुनिए मोहतरम ! दुर्गा -अष्टमी के अगले रोज़ ही अख़बार कन्याओं की घट रही संख्या को ले कर काफी कुछ लिखा,पढा रहे थे. हम हर साल इस मौके पर ऐसा लोइख पढ़ते हैं छोड़ देते हैं .कन्या भ्रूण हत्या को ले कर काफी कुछ लिखा जाना एक लम्बे समय से जारी है .
मित्रो गर्भ से बच कर जन्म लेने वाली कन्या को कब कब कितनी बार मरना पड़ता है इस के बारे भी ये सुधि जन जानते होंगे . मैली नजरों के वार ,रह चलते कानों में पिघले सीसे की सी पडती फ्बतिआं,दहेज उत्पीड़न , बलात्कार , दुराचार ,शोषण ,इत्यादी इत्यादी कितने मोडों पर मरने को विवश होती है लडकियाँ ...
कन्या भ्रूण हत्या पर लिखने वाले सुधि जन ,कदाचित इस का निदान भी जानते होंगे और उपचार भी .
हम बोले गा तो बोलोगे की बोलता है
deepzirvi@yahoo.co.in
बाद मुद्दत के दिल ऊहापोह से निकल ही नही सका तो सोचा कि क्यों न लिख डाला जाये . दिल बड़ा रखने कि बात करने वाले हम ,जाये तो कहा जाएँ??
हमारी नगरी का बाबा आदम निराला है ,यहा ज़हनो में अँधेरा है सडकों पे उजाला है .हम लोग क्यों जन्म लेते हैं? जीना किसको कहते हैं हम जानते भी नही . चारों तरफ निगाह डालिए कोई चेहरा भी चिंता रेखाओं से रीता नही मिले गा . भगत सिंह के नाम के व्यपारी माफ़ कीजिये सभ्य शब्दों में दुबारा लिखता हूँ भगत सिंह के नाम के मोखोटा धारी पुजारी साल में अब दो बार भगत सिंह को याद करने लगे है .ऐसा करने से एक तीर से कई कई चिडिया का शिकार हो जाते हैं .
अब अंदर कि कहूं अगर भूले भटके भगत सिंह दुबारा भारत में आ गये और इन के हत्थे चढ़ गये तो अब की बार भगत सिंह को जिन्दा जला डालें गे ये लोग .
हमारी नियति के कर्णधार कौन है ?मिशन कमिशन के पुरोधा????
जो जब दाल निर्यात करते हैं तब भी कमिशन खरा ... जब दोगुने दाम दे कर दाल आयात करते हैं उन का कमिशन तब भी खरा .सैनिक साज़.ओ सामान ... यहाँ तक के कफनों में भी कमिशन खा जाने कि फिराक में रहने वाले..हमारी नियति के निर्धारक हैं ऐसे में जाऊं कहाँ बता ऐ दिल..
हम बोले गा तो बोलो गे कि बोलता है...
आप का क्या विचार है हम और आप ख़ुद को जो आम आदमी कहते हैं , क्या सच में आम आदमी हैं ? हम और आप जो छोटे हों अथवा बडे , विद्यार्थी हो अथवा अध्यापक , नर हों अथवा मादा , क्या आप आम हो ?क्या हम आम हैं ? हम जिन के बूते पर लोक तंतर है क्या हम आम हो सकते हैं? हमारी चेतना सुप्त है कदाचित येही कारण है की वो कुर्सी के पिस्सू हमे आम आदमी कहते हैं । हम जलते हैं तो उन की राजनीति की रोटियाँ सिकती हैं । यदि हम १०० प्रतिशत मतदान करना आरम्भ कर दें तो राज नीति की गंदगी दूर कर सकते हैं । आप का क्या विचार है ?आप अपनी भावनाओ से भी अवगत करवाएं गे तो चर्चा आगे चलाई जा सकती है .
जब माफियां थीं.दिल बडा था. गोदाम की तरह. किसी को भी माफ कर देते थे. सोचा ही नहीं कि बाज वक्त में माफी देने की जरूरत पडेगी तो कहां से लाएंगे.
आप कह रहे होंगे कि मांग लो किसी से. कैसे मांग लें? उसने पता नहीं किस जरूरत के लिए रखी हो बचाकर. आपको दे दे. यार माफी भी कोई मांगने की चीज है. दोस्तों की तरफ देखता हूं. तो लगता है वे भी माफी
मांग रहे हैं.कई सारी माफियां चाहिए. इतनी सारी माफी कहां से लाउं..फिर सोचता हूं इन्हें माफ कर देने भर से क्या होगा. इन सबको माफ करने का जुगाड कर भी लिया, तो ये वरुण गांधी को करने के लिए चाहिए होगी, कोई और सिंह, शर्मा, सिन्हा, झा होगा, जो तैयारी कर रहा होगा, दुनिया को बदसूरत बनाने की.
नहीं माफ करने से काम नहीं चलेगा. अब नहीं दूंगा माफी. है ही नहीं. होती तब भी नहीं देता. तुम भी मुझे माफ मत करना. सारी माफियां बहा दो अरब सागर में. दिल बडा है तो क्या सबको माफ ही करते रहें? इस दुनिया को प्रेम करने के लिए है ये दिल बडा, या इन मनुओं को माफ करने के लिए? तुम जो आज पैदा हुए हो मार्क्स, तुम ही बताओ कल को हिटलर आ गया तो क्या उसे भी माफी दे देंगे हम सब?

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मतभेद
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
6 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मार्गशीर्ष (दोहा अष्टक)

कहते गीता श्लोक में, स्वयं कृष्ण भगवान।मार्गशीर्ष हूँ मास मैं, सबसे उत्तम जान।1।ब्रह्मसरोवर तीर पर,…See More
6 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
6 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय दयारामजी"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मतभेद
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
19 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
Monday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-169

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बेहतरीन 👌 प्रस्तुति और सार्थक प्रस्तुति हुई है ।हार्दिक बधाई सर "
Monday
Dayaram Methani commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, अति सुंदर गीत रचा अपने। बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"सही कहा आपने। ऐसा बचपन में हमने भी जिया है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
Sunday
Sushil Sarna posted blog posts
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service