For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सबको दसहरा की हार्दिक बधाई..

दसहरा कल था और बधाई आज....दरअसल मैंने आज ही ज्वाइन किया है आप सबों के बीच और better late than never . खैर कल आपने भी लुत्फ़ उठाया होगा रावण दहन का...मैंने भी देखा...देख के सोंच रही थी, ये कईसी विजय...किसकी विजय..एक रावण का दहन दुसरे रावण के हांथो? जी हाँ चौंकिए नन्ही...क्या हम सबों में कंही ना कंही रावण छूपा नन्ही बैठा है? क्या हम अपनी मर्यादाओं में बंधे हैं...क्या हम अपनी हर सही या गलत इक्षा की पूर्ती का येन केन प्रकारेण कोई भी रास्ता अख्तियार करने के लिए तैयार नन्ही बैठे हैं....

ये कैसी विजय..किसकी विजय...किसपर विजय? क्या असत्य पर सत्य की विजय हो गयी? क्या कल से सत्य हावी रहेगी असत्य पर? ऐसे अनेकानेक सवाल मेरे मन मस्तिष्क में उथल पुथल कर रहे हैं..और मैं निरुत्तर हूँ.

Views: 1031

Reply to This

Replies to This Discussion

आपको भी बहुत बधाई|वैसे मैं रावण दहन नही देख पाया , मेरे पास पीएमओ का पास भी था मगर नही जा सका|वैसे एक बात है ,ना ही कभी वो रावण जला था , ना ही आज का रावण जला है. जली है तो सिर्फ़ इन इंसानी दिलों मे छुपी हुई कुछ भ्रांतियाँ जो कभी भी मूर्त रूप नही ले सकी हैं|इस दुनिया मे हर एक दूसरा इंसान तो रावण से भी बड़े बड़े दानवों का रूप लेकर बैठा पड़ा हैं,सही और ग़लत की पहचान बहुत कठिन काम है,
बहुत बहुत धन्यवाद आपकी टिपण्णी के लिए.

सहमत...
सबसे पहले तो मैं आपसे ये जानना चाहूँगा की आप विजय दशमी में बारे में क्या सोचती है? ,की हम हमारा पूरा देश विजय दशमी और रावन का पुतला दहन कर के ये साबित करता है की हमने रावन को मार दिया ,मतलब बुराइयों को ख़तम किया.तो ऐसा नहीं ये तो हम एक परंपरा मना रहे है ,खुसी का इजहार करते है की नहीं आज ही के दिन रावन का वध हुआ था .जब भगवन राम को रावन को मारने इतना वक़्त लगा तो हम फिर क्या है उनके सामने ,और वो रावन तब का था आज के इस कलयुग का रावन तो उससे भी शक्तिशाली और बलवान है फिर हम कैसे मार सकते है .और फिर हम मारने की कोसिस भी क्यों करे ?
आज के इस दौर में उसी रावन वाले विचार पे हम चलते है तो हम आगे बढ़ते है ,नाम कमाते है ,धन ,बल,शोहरत,ऐश्वर्य सब कुछ मिलता है तो फिर हम क्यों मारने की कोसिस करे रावन जैसे विचारो को .
जैसा की हम सबको पता है की मनुष्य के जीवन में चार चीजो का ही महत्व है --धर्म ,अर्थ,काम और मोक्ष .
तो इनमे से तीन हमारे समाज को रावण वाले राह पर चलने से ही मिलती है ,मोक्ष का तो मैं बता नहीं सकता .
तो भला हम रावन को मारने की सोचे भी तो कैसे ?
आज भले ही मैं यह सबकुछ लिख रहा हु ,लेकिन सच तो ये है की मैं भी इससे परे नहीं हु ,कोई भी परे नहीं है ,सभी सलिप्त है इसमें .
अगर आप सच में रावन का वध देखना चाहती है तो सबसे पहले आप बदलिए,हम बदले,हमारे बदले,तब जाकर कुछ होगा अन्यथा ये सारी बातें सिर्फ कहने को ही है .
और हम अपने आप से पूछे की क्या हम बदलना चाहते है तो --आवाज आएगी नहीं.
फिर आप ही बताइए कैसे संभव है यह
रत्नेश जी आपकी चिंता जायज है ...शायद आप भी उतने ही उद्वेलित हैं जितना मैं....रावण मरा नन्ही...मैं भी रावण, आप भी रावण...अर्थ से ही अर्थ है आज के युग में...बिलकुल सही कहा आपने...तो क्या राम का कोई महत्व नन्ही रहा? क्या सोने की लंका आज ज्यादा महत्वपूर्ण हो गयी? मानती हूँ की आज के समय में राम और राम के आदर्शों के बारे में बात करना भी पागलपन की संज्ञा का द्योतक बन गया है...

पैसा पैसा पैसा...क्या येन केन प्रकारेण पैसा कमा लेने में ही जीवन की सार्थकता है..आखिर कितना धन प्रयाप्त धन है? क्या अभिलाषाएं कभी कम हुई हैं? ज़रा बड़े बुजुर्गों पे एक नजर डालियेगा...जीवन में एक क्षण ऐसा भी आता है..जब लगता है की बहुत हो गया अब...बस अब और नन्ही..अब और नन्ही..लेकिन तब तक शायद काफी देर हो चुकी होती है अपने अन्दर के रावण को मरने में....

वैसे आपके जवाब से ये साफ़ जाहिर होता है की आपमें भी एक आक्रोश है... तो चलिए थोडा मैं अपने अन्दर के रावण को मारने की कोशिश करती हूँ थोड़ा आप करें...
.बेहतर यही है इस को ख़त्म करने के लिए ,की एक कदम आप चलिए -एक कदम हम चलेंगे -एक कदम आप चलाईये -एक कदम हम चलाएंगे ,तभी हम लक्ष्य के करीब होंगे .पहले हम बदलेंगे फिर दुसरे को बदलेंगे और फिर हमारा परिवार बदलेगा ,मोहल्ला बदलेगा,शहर बदलेगा ,और एक दिन पूरा देश बदलेगा ...लेकिन उद्घाटन हमें करना होगा
बिलकुल बिलकुल...
सहमत..
रत्नेश जी और प्रीति जी आप लोग बहुत अच्छा काम के बीरा उठाये हैं , जो कभी पूरा नहीं होगा , भगवन करे पूरा हो जाये मैं भी कोशिश करूँगा अपने अन्दर की रवां को मारने का ,

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
3 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service