For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वाराणसी में ओबीओ सदस्यों की काव्य-गोष्ठी सम्पन्न

दिनांक 15 नवम्बर 2011 की संध्या इस मायने में यादगार हो गयी कि वाराणसी के काशी विद्यापीठ के निकट स्थित होटल जाह्नवी इण्टनेशनल में ओबीओ के सदस्यों   --सर्वश्री अफ़सोस ग़ाज़ीपुरी, बेखुद ग़ाज़ीपुरी, मंजरी पाण्डेय ’मंजरी’, अरुण कुमार पाण्डेय ’अभिनव’, शमीम ग़ाज़ीपुरी और सौरभ पाण्डेय--  का आत्मीय सम्मिलन हुआ जो कि परस्पर भावनाओं के प्रगाढ़ होने का काव्यमय कारण बन गया.  निस्सृत काव्य-रसधार में सभी सदस्य देर तक बहते रहे, गोते लगाते रहे.  कहना न होगा, इस गोष्ठी के अधिकतर सदस्यों का इण्टरनेट की आभासी दुनिया से निकल कर भौतिक या यथार्थ की दुनिया में हुआ यह आपस में प्रथम परिचय ही था. 

 

मैंने एक दिन पूर्व ओबीओ की कार्यकारिणी समिति के ऊर्जस्वी सदस्य अरुण कुमार जी पाण्डेय ’अभिनव’ को अपने वाराणसी में होनी की सूचना दी तथा वार्तालाप के क्रम में ही यह तय हुआ कि जहाँ तक बन पड़े भौगोलिक परिधि में सहज उपलब्ध सदस्यों की एक परिचयात्मक गोष्ठी हो जिसमें परस्पर परिचय के उपरांत ओबीओ के बहुमुखी विकास, प्रचार और प्रसार से सम्बन्धित चर्चा के साथ-साथ काव्य-संध्या का भी आयोजन हो. अभिनवजी के सद्-प्रयास का ही परिणाम था कि सभी सदस्य होटल जाह्नवी इण्टरनेशनल के कमरा नं. 102 में जमा हुए जहाँ मैं वाराणसी प्रवास के दौरान ठहरा हुआ था.

 

अफ़सोस ग़ाज़ीपुरी जो कि वयस तथा अनुभव में हम सभी सदस्यों के लिये आदरयोग्य अग्रज हैं ने ओबीओ के मंच के प्रचार और प्रसार से सम्बन्धित कई विन्दुओं पर अपनी बातें कहीं यह बात शिद्दत से महसूस की गयी साहित्य की समझ रखने और लिखने वालों का बहुसंख्यक वर्ग अभी भी नेट की आभासी दुनिया से नितांत विलग है. उनका एक महत्त्वपूर्ण सुझाव यह भी था कि सभी सदस्य आपस में एक विशेष अंतराल पर किसी आयोजन के तहत अवश्य मिलें तथा उसमें केवल और केवल ओबीओ के ही लेखक-रचनाकार प्रस्तुतकर्ता के रूप में शिरकत करें. उनका यह भी मानना था कि उक्त आयोजन चाहे जहाँ कहीं स्थूल रूप में आकार ले, पूरी तरह से स्पॉन्सर्ड हो.  इसकी आगे की रूपरेखा पर तफ़्सील से फिर आगे बात होगी कह कर साहित्य और आजका पाठक पर भी चर्चा हुई.  ज्ञातव्य है कि अफ़सोस ग़ाज़ीपुरी जी  विगत आठ वर्षों से वाराणसी में ’परिवर्तन’ नामक साहित्यिक संस्था का सफलतापूर्वक संचालन कर रहे हैं  जिसके सद्र मोहतरम बेखुद ग़ाज़ीपुरी जी हैं.  मुझे यह भी जानकारी  हुई कि ’परिवर्तन’ के तत्त्वावधान में अफ़सोस जी के निवास पर प्रत्येक शनिवार को साहित्यिक-गोष्ठी सम्पन्न होती है. आज वाराणसी में स्थापित और नव-हस्ताक्षर दोनों तरह के रचनाकारों के लिये ’परिवर्तन’ एक अभिनव मंच है. 

 

परिचय सत्र और विचार-गोष्ठी के उपरांत मन्जरी पाण्डेय जी ’मन्जरी’ जी की सधी हुई आवाज़ में सरस्वती वन्दना तथा अफ़सोस ग़ाज़ीपुरी के नात से काव्य-गोष्ठी की शुरुआत हुई. बेखुद ग़ाज़ीपुरीजी की सदारत में गोष्ठी का सफलतापूर्वक संचालन किया अभिनवजी ने.  शमीम साहब ने मुलामियत भरे तरन्नुम में कमाल के मिसरे पढ़े. बताता चलूँ कि शमीम साहब हाल ही में सम्पन्न अखिल भारतीय मुशायरा में साग्रह न्यौते गये थे जहाँ भारत और पाकिस्तान के आला दर्ज़े के शाइरों और कवियों ने शिरकत की थी. ’मन्जरी’जी, जो कि केन्द्रीय विद्यालय, वाराणसी से सम्बन्धित हैं,  ने अपनी पुरकशिश और लयबद्ध आवाज़ में गीत और ग़ज़ल कह कर समां बांध दिया.  अफ़सोस ग़ाज़ीपुरी जी ने माज़ी के कई लम्हात से सभी को दो-चार कराया.  अफ़सोसजी की रचनाओं और ग़ज़ल दोनों में इन्सानी जज़्बात और दर्द का ज़िन्दा दरिया बहता है. अभिनव जी की ग़ज़ल की तासीर और आकाश से ओबीओ के पाठक बखूबी परिचित हैं. उनके पढ़ने के अंदाज़ से हम सभी सदस्य हृदय से अभिभूत हुए. सद्र बेखुदजी की ग़ज़ल के अश’आर सीधे दिल पर असर करते हैं. आपकी ज़ुबान गंगा-जमुनी तहज़ीब की मोहक मिसाल है.  मुझ ख़ाक़सार को भी सभी ने सुना जो मुझ जैसे के लिये किसी महती उपलब्धि से कम नहीं है.

 

गोष्ठी की सदारत कर रहे बेखुद जी तथा वरिष्ठ सदस्य अफ़सोसजी की इस सद्-इच्छा के साथ, कि हम अगली बार कुछ और संयत हो कर कुछ बेहतर ढंग से मिलेंगे, कुल पाँच घण्टे चली इस गोष्ठी का संतुष्टिकारक समापन हुआ जिसकी अनुगूँज अभी भी मेरे दिलोदिमाग़ में बनी है.

 

--सौरभ

 

Views: 2350

Attachments:

Reply to This

Replies to This Discussion

आपकी शुभकामनाएँ ओबीओ के साथ हैं, शन्नोजी.  हार्दिक धन्यवाद.

 

mujhe ye jaankar behad khushi hui ki koi karykram aisa bhi hua. aur behad safal bhi raha| 

आपकी खुशी ही ध्येय है.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-169

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बेहतरीन 👌 प्रस्तुति और सार्थक प्रस्तुति हुई है ।हार्दिक बधाई सर "
yesterday
Dayaram Methani commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, अति सुंदर गीत रचा अपने। बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"सही कहा आपने। ऐसा बचपन में हमने भी जिया है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
Sunday
Sushil Sarna posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
Dharmendra Kumar Yadav posted a blog post

ममता का मर्म

माँ के आँचल में छुप जातेहम सुनकर डाँट कभी जिनकी।नव उमंग भर जाती मन मेंचुपके से उनकी वह थपकी । उस पल…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
Nov 30

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service