जी करे जब, यार का दीदार होना चाहिए
इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिए
राम हों या कृष्ण हों या गुरु हों या ईसा मसीह
इस जहां में फिर कोई अवतार होना चाहिए
लेखनी की धार से या विष बुझी तलवार से
जुर्म का जैसे भी हो प्रतिकार होना चाहिए
कर सकें अन्ना हजारे या कि बाबा रामदेव
देश से अब दूर भ्रष्टाचार होना चाहिए
क्यूँ नहीं हम खींच सकते रहबरों की कुर्सियां
खुल के अब इस बात पर *इज़्कार होना चाहिए
*इज़्कार - चर्चा,
(3)
ज़िक्र इसका इक नहीं सौ बार होना चाहिए
इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिए
बेगुनाही की सजा मिलने लगे जिस दौर में
आपके हांथों गुनह दो चार होना चाहिए
आसमां ओढ़न, बिछौना है जमी जिनके लिए
या खुदा उनको तेरा दीदार होना चाहिए
खत्म तो हो जायेंगे जो मसअले हैं दरमियां
जज़्बएकामिल हो, दिल बेख्वार होना चाहिए
ढो रही कोहसार जो सीने पे हंसकर ये जमीं
दिल भले हो सख्त, लालाजार होना चाहिए
दिल गया तो क्या हुआ गम क्यूँ करें उसके लिए
था उन्ही का, उनका ही अधिकार होना चाहिए
टूटना मंजूर पर झुकना नहीं मंजूर हो
ऐसा अपनी सख्सियत से प्यार होना चाहिए
क्यों छुपा दिल में अभी इकरार होना चाहिए,
इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिए|
दुश्मनों में जा बसे वो जो रिसाले यार हैं,
जान की परवा नहीं दीदार होना चाहिए |
शाख पर उल्लू जमे है उल्लुओं से वास्ता,
राज हंसों का करिश्मा यार होना चाहिए |
पा चुके जो देखिये हैं आज सारी नेमतें,
रूह बेचे क्यों कोई व्यापार होना चाहिए|
फख्र से इस जुर्म का इकरार होना चाहिए
इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिए
तीर नज़रों का जिगर के पार होना चाहिए
अब ख्यालों का नगर मिस्मार होना चाहिए,
इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिये.
कशमकश के आब में गोते लगाऊं कब तलक,
अब ज़हन से दूर ये मझधार होना चाहिये.
अब मुझे जीनी नहीं है बा घुटन ये जिंदगी,
अब मिरा हर रंज ये संगसार होना चाहिये.
हैं बड़े नाज़ुक मिरे महबूब के दस्तो बदन,
उनकी गलियों का मुझे मनिहार होना चाहिये.
उसका दिल है अब ठिकाने या के बेतरतीब है,
नब्ज़ पुरसी को मुझे अत्तार होना चाहिये.
अब शहर की हर ज़बां पर है हमारी दास्ताँ,
इक नहीं इकरार अब सौ बार होना चाहिये.
आज मजनू कह दिया है इस ज़माने ने मुझे,
अब तो लैला का मुझे दीदार होना चाहिये.
माफ़ कर देना सनम 'इमरान' की तू हर खता,
इन्सान के सीने में अस्तग्फार होना चाहिये.
मिस्मार: नष्ट, बा घुटन : घुटन भरी,संगसार : मृत, दस्तो बदन : हाथ और बदन, मनिहार : चूड़ी पहनाने वाला, नब्ज़ पुरसी : नब्ज़ की जांच, अत्तार : हकीम, अस्तग्फार : दया भावना
***
(2)
आशिकी में क्यों कोई बीमार होना चाहिए ?
इश्क का बस ठीक से इज़हार होना चाहिए ....
राह में जब इश्क की निकले तो फिर कैसी शरम
कायदा बस इश्क में शुमार होना चाहिए
इश्क के दीवानों को मत जान से मारो यारो
थोड़ी तो दीवानगी दरकार होना चाहिए
क्यों छिपाते फिर रहे हो प्यार को ऐ जाने मन
प्यार में तो मौत भी स्वीकार होना चाहिये
इश्क की तहजीब है यह इश्क का ही कायदा
इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिए
इश्क गर धोखा नहीं है तो इबादत है ज़नाब
इश्क से इंसानियत को प्यार होना चाहिए
ज़ुल्म खूब ढाए गए हैं आशिकों पे हर समय
आशिकी पे फख्र तो इस बार होना चाहिए
इश्क का आगाज़ भी अखबार होना चाहिए
इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिए
***
हो गया है प्यार तो, इकरार होना चाहिए
चाहता है दिल हमेशा ज़िंदगी महकी हुई
पास थोडा सा शमीमे-यार होना चाहिए
खेलती है खेल दुनिया साथ अपने बारहा
ज़िंदगी में आदमी फ़नकार होना चाहिए
यूँ अकेली जान सौ ग़म झेलती है रात दिन
दिल हमेशा के लिए गुलज़ार होना चाहिए
नाज़ुकी इतनी जिगर की,काम की होती नहीं
तीर खाने के लिए तैयार होना चाहिए....
सिर्फ यादों में डुबोना रास अब आता नहीं,
रू-ब-रू दिलदार का दीदार होना चाहिए
***
ऐहसासों का नहीं व्यापार होना चाहिए.
प्रेम ही संसार का आधार होना चाहिए.
आशिकी है धडकनों की एक प्यारी दास्ताँ,
इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिए.
आँख से मेरी मिलीं उनकी निगाहें ऐ खुदा!
इस समंदर में कभी ना ज्वार होना चाहिए.
खूब तो बातें हुई हैं दर्द की मजबूरी की,
काम भी तो या रब असरदार होना चाहिए.
फैसला जो भी हुआ सब आँख सर में रख लिया,
आज लगता है ज़रा इब्सार होना चाहिए.
जो सजाते गर्द किस्मत में रियाया की सदा,
मर्म पे उनके करारा वार होना चाहिए.
जान की बाज़ी लगाते हैं सुकूं देने हमें,
उन जवानों को नमन शतबार होना चाहिए.
दो पलों में आसमां की हर उंचाई नाप ली,
और भी ज्यादा सफ़र पुरखार होना चाहिए.
इन्तहां है बेकसी की, बेदिली की, ज़ुल्म की,
अब हबीब हमें ही खबरदार होना चाहिए.
***
ज़िन्दग़ी का रंग हर स्वीकार होना चाहिये
जोश हो, पर होश का आधार होना चाहिये ||1||
एक नादाँ आदतन खुशफहमियों में उड़ रहा
कह उसे, उड़ने में भी आचार होना चाहिये ||2||
साहिबी अंदाज़ उसपे सब्ज़चश्मी या खुदा
साहिबों के हाथ अब अख़बार होना चाहिये ||3||
जा गरीबों की गरीबी वोट में तब्दील कर
है सियासी ढंग पर साकार होना चाहिये ||4||
बीड़ियों से बीड़ियाँ जलने लगी हैं गाँव में
हर धुँआती आँख में अंगार होना चाहिये ||5||
झुर्रियाँ कहने लगीं अब वक़्त उसका थक रहा
उम्र के इस मोड़ पे इतवार होना चाहिये ||6||
शब्द होठों पे चढ़े तो आप क्यों चिढ़ने लगे
शब्द का हर होंठ पे अधिकार होना चाहिये ||7||
गो’ ये रातें सर्द हैं पर यार इनमें ताब है
मौसमों में है मज़ा, बस प्यार होना चाहिये ||8||
तुम हुये तो हो गये हम ज़िन्दग़ीवाली ग़ज़ल
अब लगा हर सुर सनम दमदार होना चाहिये ||9||
खैर खाँसी खूँ खुशी पर्दानशीं कब, इश्क़ भी !
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिये ||10||
आपके आजू नहीं तो आपके बाजू सही
देखिये ‘सौरभ’ सभी का यार होना चाहिये ||11||
***
इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिये,
दूरियों के बाद भी बस प्यार होना चाहिये
आज फिर कुछ ऐसा चमत्कार होना चाहिये,
गहरी नींद के बाद भी खुमार होना चाहिये,
बेवफाई-वफाई का फैसला कौन करेगा आज,
मुहब्बत को मुहब्बत का ऐतबार होना चाहिये.
आज खुद से ही नज़र अपनी छुपा रही हयात,
फैसला ये आज बस आर-पार होना चाहिये,
दिल की बातें दिल में छुपाये कब तक रखें
लोग कहते हैं इसे अखबार होना चाहिये
***
श्री दुष्यंत सेवक
(1)
इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिए
मुश्किलें आयें तो, दो चार होना चाहिए
किनारा मिलता है मझधार के बाद
साथ बस हौंसलों की पतवार होना चाहिए
तख़्त भी गिरेंगे ताज भी उछाले जाएँगे
दम खेज़ अवाम की ललकार होना चाहिए
सियासत तो अब बद से बदतर हुई
इस सडांध पर हमें बेज़ार होना चाहिए
(2)
इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिए
आशिकों का यही रोज़गार होना चाहिए
श्री अश्वनी रमेश
(1)
गुल-ओ गुलशन गुलज़ार होना चाहिए
गर ये नहीं तो चमन बेज़ार होना चाहिए
माना कि जिंदगी गमों का बोझ है लेकिन
खुद पे अपने दिल पे एतबार होना चाहिए
बदले मौसम की कैसी है ये सबा
इज़हार-ए खुशी बेशुमार होना चाहिए
कब तलक वोह आएंगे अंजुमन में
पलके बिछाए इंतज़ार होना चाहिए
दर्दे-दिल में सकूने दिल तलाशते हैं हम
ज़िंदगी का कोई सरोकार होना चाहिए
मुस्कुराते फूलों से कुछ न सीखा तुमने
जिंदगी मुस्कुराता किरदार होना चाहिए
अश्क छलक्तें हैं तो छलकने दो इन्हें
दिल-ए जज़्बात का इज़हार होना चाहिए
कह दो हवाओं से खुशी बिखेरतें है हम
जिंदगी का मकसद इकरार होना चाहिए
(2)
(मैं अपनी दूसरी गज़ल आपकी पेशे खिदमत कर रहा हूँ! गुज़ारिश है कि 'बह'पर बहस न की जाए ! जिसको पसंद न हो वह नज़रंदाज़ कर दे)
दिले आशना को आशिकी पे एतबार होना चाहिए
हिज्र मैं भी दिले बेसब्री से इंतजार होना चाहिए
इश्क में जिस्म के फासले कोई फासले नहीं होते
इश्क है तो रूह से रूह का दीदार होना चाहिए
इश्क में कोई न पूछे आशिकों की तबीयत
इश्क में तो यूँ ही दिल बेक़रार होना चाहिए
इश्क में कुछ दिल खास इंतखाब होते हैं
दिल की लगी का बस इज़हार होना चाहिए
दीवाने इश्क को अपनी आतिश में जलना है
इश्क वालों को इसके लिए तैयार होना चाहिए
बेवफाई में कभी इश्क परवान नहीं चढ़ता
बेवफा को बावफा का गुनहगार होना चाहिए
वोह इश्क ही नहीं जो दीवानगी तक न पहुंचे
मायूस दिलों को 'रमेश' ये करार होना चाहिए
(3)
आदमी कुदरत का कदरदार होना चाहिए
आदमी, आदमी का मददगार होना चाहिए
ये सोचते क्यों नहीं तुमको किसने बनाया
तुमको तो कुदरत का फर्मानबरदार होना चाहिए
दीले सकून तलाशते हो कुदरत को समझे बगैर
कुदरत के रहमोकरम पर खुशगवार होना चाहिए
अपनी किस्मत के लिए कुदरत को इल्जाम न दो
तुम्हे खुद अपनी कमायी का जिम्मेदार होना चाहिए
तुमको जो बनाया क्या गुनाह कर दिया
तुमको इस सोच का गुनहगार होना चाहिए
हम कुदरत हैं 'रमेश' कुदरत के ही रहेंगे
कुदरती दुनिया से हमें प्यार होना चाहिए !!
***
श्री राकेश गुप्ता
(1)
आज ही के दिन जिसने, पैदा किये भगत,
उस कोख का सौ बार, शुक्रगुजार होना चाहिए
खेत में बंदूके, बोई जा रही सरहद के पार,
छोड़ गफलत, नींद, खबरदार होना चाहिए
बत्तीस रूपये ने, गरीबों को बनाया है अमीर,
अरबपति अब सारा, संसार होना चाहिए
साशक पगलाए और, तानाशाह हो गये,
रक्त क्रान्ति को मंच अब, तैयार होना चाहिए
भगत सिंह ने जो किया, अपनी माटी के लिए,
हम सभी के दिल ये जज्बा, हर बार होना चाहिए
दीवानगी की हद थी ये,फाँसी पे हंसके चढ़ गये,
हो सके तो सबको ऐसा, प्यार होना चाहिए
दिल की बात लव तलक, आ ना सकी बेकार है,
इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिए
(2)
ऑनर किलिंग की शमशीर, सर पे लटकी है अगरचे,
इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिए
लैला ओ मजनू की तरह, संग ना तू सह "दीवाना'
संगकारो के लिए तुझे, संगकार होना चाहिए
बेटियों को कोख में ही, मारने का दौर है ये,
मर्द मर्द की शादी को, तैयार होना चाहिए
सत्ता पे काबिज हुआ, सियारों का झुण्ड ये,
जाग नींद से सिंह की हुंकार होना चाहिए
सामने दुश्मन खड़ा गुर्रा रहा जबकि दोस्त,
अहिंसा की रट छोड़ हाथ तलवार होना चाहिए
सोयी हुई जवानी नींद से जगा दे जो,
क्रान्ति मशाल जला दे वो फ़नकार होना चाहिए
महल जिनके हैं खड़े मेरी मेहनत मार कर,
तिहाड़ ही उनके लिए घर बार होना चाहिए
घोटाले ही सह रही है जनता उनके राज में,
अब तो होगा सोचना क्यूँ ऐसा सरदार होना चाहिए?
(3)
पूर सुकून ये सारा संसार होना चाहिए,
आदमी को आदमियत से प्यार होना चाहिए
दुधारी तलवार पर चलना है माना इश्क पर,
इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिए
ओकत कुछ भी नही पाक ओ चीन की,
चौधराहट अमरीकन को भी इनकार होना चाहिए
दहशत से दहशतगर्दों का वास्ता पढ़ा नही,
रूबरू ऐ दहशत इन्हें सरे बाजार होना चाहिए
किट्टी पार्टी, पब, डिस्को हमको जाना है जरूर,
बेशक घर माँ बाप को बीमार होना चाहिए
फिर कुर्बानियाँ इस देश पे देने की रुत आ गई,
बाद मेरे मरने के चमन लालाजार होना चाहिए
बात से माने है कब लातों के जो भूत हैं,
चार सू इन पर जूतम पैजार होना चाहिए
बत्तीस रूपये के अमीर का पेट भरे ना भरे ,
लाख रुपया सांसद की पगार होना चाहिए
मुल्क बिकता है बिके इसका गम इनको कहाँ,
इस सौदे में इनका हिस्सा यार होना चाहिए
ता जिन्दगी चखना हमे सत्ता सुख है अगर,
हर नोजवान मुल्क का बेकार होना चाहिए
मतला, मकता, बहर की रवायतों को लांघ कर,
शब्द शब्द धधकता अंगार होना चाहिए
***
श्री अविनाश बागडे
(1)
साहिल जिसे था समझा ,मंझधार होना चाहिए,
(2)
कुछ इंतजार कुछ तकरार कुछ ऐतबार होना चाहिए,
श्री सुरिंदर रत्ती
ज़ुल्म का दिल भी अलम से तार होना चाहिए
गाज बन कर मैं रकीबों पर गिरा यह सोच कर
इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिए
माननीयों ने मुझे बाकायदा धोकर कहा
हो चुकी मनुहार, अब उपचार होना चाहिए
चार थप्प्ड मारे कोई, आठ की तुम जिद करो
जानेमन सबसे जुदा मेयार होना चाहिए
यह अगर टूटे तो तारे दिन में आ जाएँ नज़र
आशिकी में वो नशा हर बार होना चाहिए
जो शरारत के लिए भी मांगे लिख लिख कर रज़ा
क्या भला ऐसा किसी का यार होना चाहिए
माना औरत इक बला है, रोग है आफत भी है
आदमी को हौसला इक बार होना चाहिए
काट डाले जो हमारे ख़्वाब के सब पोस्टर
इश्क में शमशीर जैसी धार होनी चाहिए
वो जिन्होंने जानते औ बूझते भी शादी की
उन जवानों को नमन शतबार होना चाहिए
पिल पडो, रगड़ों बहुत पर, कपडे भी गंदे न हों
जोश हो पर होश का आधार होना चाहिए
बचपना मंडे था यारों,, थी जवानी फ्राईडे
उम्र के इस मोड पर इतवार होना चाहिए
फावड़े से खोद डालो उसकी सारी धमनियां
हो न हो उसके भी दिल में प्यार होना चाहिए
साथ रहना,, घर बसा लेना ही तो काफी नहीं
आदमी को आदमी से प्यार होना चाहिए
घी जलेगा, होम में अंगार होना चाहिए
शेर है तो भाव का शृंगार होना चाहिए
टूट कर अब खून के रिश्ते हमें सिखला रहे
प्रेम हर संबंध का आधार होना चाहिए
कह रहे हैं छंद तुलसी, सूर, मीरा के सदा
इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिए
है चमन की भूख खुशबू से कभी मिटती नहीं
कुछ गुलाबों को यहाँ फलदार होना चाहिए
लग रहा विज्ञान को जिसमें न हों हम तुम जुदा
एक ऐसा भी कहीं संसार होना चाहिए
इस कदर बदबू सियासत से उठे लगता यही
हर सियासतदाँ यहाँ बीमार होना चाहिए
***
फूल हैं तो बाग़ में कुछ खार होना चाहिए.
मुहब्बत में बाँह को गलहार होना चाहिए.
लयरहित कविता हमेशा गद्य लगती है हमें.
गीत हो या ग़ज़ल रस की धार होना चाहिए.
क्यों डरें आतंक से हम? सामना डटकर करें.
सर कटा दें पर सलामत यार होना चाहिए.
बढ़ रहे आतंक का प्रतिकार होना चाहिये !
आवाम को खुद भी खबरदार होना चाहिये !!१!!
न कोई सिंदूर उजड़े न राखी ही रोये कोई,
न कॊई मासूम इसका शिकार होना चाहिये !!२!!
हर धर्म का हर कौम का आशियां है हिन्द,
सभी को इस मुल्क से प्यार होना चाहिये !!३!!
आंच आने न पाये आबरू पे वतन की,
हिफ़ाज़त में हरेक को तैयार होना चाहिये !!४!!
इस मुल्क की आन पर जांन देने वाला,
फिर शहीदे-आज़म सरदार होना चाहिये !!५!!
किसको कितनी मोहब्बत है इस मुल्क से,
इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिये !!६!!
लाशें उठाने से कंधों ने इनकार कर दिया,
अम्नो-अमांन हे परवरदिगार होना चाहिये !!७!!
शेर कहने पे दाद यकीनन मिलती है "राज़"
शर्त ये है कि शेर भी असरदार होना चाहिये !!८!!
***
श्री आलोक सीतापुरी
यार से शिकवा कभी तकरार होना चाहिए,
सिर्फ इतना ही नहीं बस प्यार होना चाहिए|
खून का कतरा बहे ना काट दें दुश्मन का सर,
प्यार की तलवार में वह धार होना चाहिए|
दर्द बेचैनी तपिश आंसू सभी पी जाएगा,
दिल को दरिया ही नहीं सरदार होना चाहिए|
सारी दुनिया की ख़बर से बाख़बर हो जायेंगें,
बस जरा पेश-ए-नज़र अखबार होना चाहिए|
काले धन को जब्त करके मुफलिसों में बाँट दें,
इस तरह अब ख़त्म भ्रष्टाचार होना चाहिए|
मंजिल-ए-मक़सूद फिर कैसे न चूमेगी कदम,
हमसफ़र बस वक्त की रफ़्तार होना चाहिए|
लूट ले जो रहनुमा बन करके अपने मुल्क को
सर कलम उसका सर-ए-बाज़ार होना चाहिए|
मोहर-ए-खामोशी लबों पर लग गयी है किस लिए,
इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिए|
इल्तजा 'आलोक' की सुन लीजिये परवर दिगार,
वक्त-ए-रुखसत बस तेरा दीदार होना चाहिए|
***
श्री राजेंद्र स्वर्णकार
आर होना चाहिए जी पार होना चाहिए
चार दिन की ज़िंदगी है ; …प्यार होना चाहिए
हर घड़ी हर वक़्त औ’ हर बार होना चाहिए
आदमी ; हर हाल में ख़ुद्दार होना चाहिए
हर घड़ी मनहूसियत चिपकी रहे क्यों शक़्ल से
रेगज़ारों को ज़रा गुलज़ार होना चाहिए
लोग बातें कर रहे थे – चांद पूनम का खिला
मैं ये समझा उनका ही रुख़सार होना चाहिए
जश्ने-दीवाली मने घर-घर में हर दिन आज से
ईद-सा हर दिन हसीं त्यौंहार होना चाहिए
आड़ में मज़हब की , बातें नफ़रतों की जो करे
शर्तिया वो भेड़िया ख़ूंख़्वार होना चाहिए
छेद थाली में करे जो पेट भर लेने के बाद
वह कमीना हिंद का गद्दार होना चाहिए
दुश्मनी को भी छुपाना है हक़ीक़त में ग़लत
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए
दिल में तेरे जो भी है मेरे लिए ; बिंदास कह
क्यों दिल-ए-मा’सूम पर कुछ भार होना चाहिए
कौन कहता है तुझे राजेन्द्र तू दीवान लिख
शे’र चाहे एक कह , …दमदार होना चाहिए
फूंक कर इस अंजुमन में पांव तू राजेन्द्र रख
यां छुपा कोई मुलम्माकार होना चाहिए
***
श्री नविन सी. चतुर्वेदी
रूप होना चाहिये, आकार होना चाहिये|
हर अना, हर सोच का, आधार होना चाहिये|१|
रंग-मस्ती-रोशनी, इसमें भला क्या कुछ नहीं|
ज़िंदगी का नाम तो त्यौहार होना चाहिये|२|
गर तना कमज़ोर हो तो, बढ़ नहीं पाता दरख़्त|
फ़लसफ़ा तालीम का, दमदार होना चाहिये|३|
भीड़ में शामिल रहे, पर भीड़ से हट कर दिखे|
शख़्सियत का रंग, दर्ज़ेदार होना चाहिये|४|
चेतना-संवेदना 'शापित-अहिल्या' बन गयीं|
फिर से कोई 'राम' सा अवतार होना चाहिये|५|
और कितनी मर्तबा इस बात को दोहराऊँ मैं|
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिये|६|
***
श्री पल्लव पंचोली "मासूम"
आज तेरे प्यार का इकरार होना चाहिए
इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिए
डूबने का है मजा अपना मोहब्बत मे सनम
क्या जरूरी है की दरया पार होना चाहिए
याद उसकी रोज़ आती क्यों है मुझको ए खुदा
याद के भी हिस्से मे इतवार होना चाहिए
इश्क है क्या कैसे समझाऊं ये उसको ए खुदा
उसको भी मेरी तरह बीमार होना चाहिए
हाल ए दिल कह देती है ये नज़र तेरी
चेहरे को अब तेरे अखबार होना चाहिए
देश का सौदा यहाँ हर रोज़ होता है तो फिर
अब इसे संसद नही बाज़ार होना चाहिए
ताज़ मेरे देश का कहता है मुझसे यार अब
पहने जो भी बस उसे खुद्दार होना चाहिए
आए खुद मिलने जमीं से आसमां तो है मजा
कुछ गजब ऐसा यहाँ इस बार होना चाहिए
बस तमन्ना इक यही बाकी मेरी है "मासूम"
उस के दिल भी मेरे लिए प्यार होना चाहिए
--समाप्त--
नोट :- गजलों को संकलित करने में व्यापक सावधानी रखी गयी है. फिर भी यदि किसी सदस्य की ग़ज़ल संकलित करते समय छूट गयी हो तो कृपया संज्ञान में अवश्य लायें.
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आदरणीय श्री बागी जी ! इस तरही में नहीं रहने का अफ़सोस रहेगा | शहर में नहीं था सो भाग नहीं ले सका | यहाँ एक स्थान पर समस्त प्रस्तुतियों को संकलित कर आपने बहुत बढ़िया कार्य किया अब इनको पढने का मज़ा ले रहा हूँ धीरे धीरे | हो सका तो इस तरही की पंक्ति पर कुछ कहने का प्रयत्न करूंगा | बहुत शुभकामनाये रचनाकारों को और बधाई !!
अरुण भाई, आप की कमी सभी को खली और मुझसे सभी लोग आपके बारे में पूछते रहे, मैंने एक बार ओ बी ओ पर आपका स्टेटस मैसेज देखा था की आप बाहर जा रहे है सो यह बताकर सबको तुष्ट करता रहा | मेरे प्रयास को सराहने हेतु आभार आपका |
Bagi ji Abhaar aapka sneh ka shukriya !!
मैं मुशायरा में आपको याद कर रहा था फिर बागी जी ने बताया कि अभिनव जी कहीं बाहर गए हैं
आपकी ग़ज़ल का इंतज़ार रहेगा
ji zaroor par ho sakta hai ki aap sabke BAHAR ke manak khara n utaroon :-))
आप बे बह्र भी अच्छा लिखते है मगर अगर बह्र हो तो क्या कहने ....
आ अपनी व्यस्तता से जैसे ओ बी ओ के लिए समय निकलते हैं उस तरह थोडा समय बह्र के लिए भी निकालें
मैं चैलेन्ज करता हूँ कि आप बह्र को समझने के बाद बे-बह्र ग़ज़ल लिख ही नहीं सकेंगे,,,
क्योकि आपका दिल ही नहीं मानेगा :)))
भाई बाग़ीजी, संकलन के क्रम में आपके धैर्य की परीक्षा हो गयी है. कहना न होगा, आप सफल हो कर मुशायरे के अंक के - 15 की प्रस्तुत सभी ग़ज़लों को लेकर हमसब के सामने हैं ! इस बार मुख्य सर्वर के अटपटेपन ने सारे सदस्यों को एकदम से चौंका दिया. विश्वास है, ऐसी विकट घड़ी भविष्य में न आवे.
सधन्यवाद.
हाँ,,, पेज जम्पिंग ने तो मुझे भी थोडा परेशान कर दिया था
आपने मेहनत गज़ब की सारी गज़लें आ गईं,
चमचमाया ओ बी ओ आभार होना चाहिए |
आदरणीय भाई बागी जी ! ओ बी ओ तरही की समस्त ग़ज़लों को एक साथ संकलित करके प्रस्तुतीकरण के लिए आपका हार्दिक आभार !
आदरणीय बागी जी,
पोस्ट में संकलित इन ग़ज़लों में से बा-बह्र शेर छाँटने का प्रयास किया है
जिन शाइर के अशआर/शेर इस लिस्ट में आये हैं उन्हें बधाई देता हूँ ,, कुछ अच्छे शेर किसी शब्द के सही वज्न में न बंधे होने के कारण भी छोड़ने पड़े जिसका मुझे बेहद अफ़सोस है जैसे - दफन का शुद्ध उच्चारण दफ्न (२१) है इसी तरह न (१) को भी कई शेर में ना (२) में बाँधा गया है जो कि ग़ज़ल विधा में गलत है
जो शेर मुझे व्यग्तिगत तौर पर खूब पसंद आये हैं उन्हें बोल्ड किया है उन शायरों को विशेष बधाई देता हूँ
दिल हमारा आज का अखबार होना चाहिए
इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिये
इश्क हो या मुश्क, ये हर हाल में होता अयाँ
खेल तो दिल का 'सरे बाजार' होना चाहिए
जीत से मख़्सूस होती हार दिल के खेल में
जीतने वाला मगर दिलदार होना चाहिए
शौक जो तीमारदारी का हमें है दोस्तों
इस बिना पर क्या तुम्हे बीमार होना चाहिए ?
कोशिशें अब तक उरूजी की यहाँ जाया हुईं
हो चुकी मनुहार, अब उपचार होना चाहिए
जंग का मैदां नहीं ये पाठशाला है जनाब
जो यहाँ हो अब, सलीकेदार होना चाहिए
कट चुका फीता चलो मैदान में उतरो सभी
खेल तो इस बार कुछ दमदार होना चाहिए
जी करे जब, यार का दीदार होना चाहिए
इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिए
राम हों या कृष्ण हों या गुरु हों या ईसा मसीह
इस जहां में फिर कोई अवतार होना चाहिए
लेखनी की धार से या विष बुझी तलवार से
जुर्म का जैसे भी हो प्रतिकार होना चाहिए
कर सकें अन्ना हजारे या कि बाबा रामदेव
देश से अब दूर भ्रष्टाचार होना चाहिए
क्यूँ नहीं हम खींच सकते रहबरों की कुर्सियां
खुल के अब इस बात पर इज़्कार होना चाहिए
ज़िक्र इसका इक नहीं सौ बार होना चाहिए
इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिए
बेगुनाही की सजा मिलने लगे जिस दौर में
आपके हांथों गुनह दो चार होना चाहिए
आसमां ओढ़न, बिछौना है जमी जिनके लिए
या खुदा उनको तेरा दीदार होना चाहिए
खत्म तो हो जायेंगे जो मसअले हैं दरमियां
जज़्बएकामिल हो, दिल बेख्वार होना चाहिए
ढो रही कोहसार जो सीने पे हंसकर ये जमीं
दिल भले हो सख्त, लालाजार होना चाहिए
दिल गया तो क्या हुआ गम क्यूँ करें उसके लिए
था उन्ही का, उनका ही अधिकार होना चाहिए
टूटना मंजूर पर झुकना नहीं मंजूर हो
ऐसा अपनी सख्सियत से प्यार होना चाहिए
इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिए,
आदमी को आदमी से प्यार होना चाहिए|
बेईमानी से भले हैं मुफलिसी के रास्ते,
जानेमन सबसे जुदा मेआर होना चाहिए |
जिंदगी है चार दिन की जिंदगी खुल के जियो,
प्यार से जो गर मिले अभिसार होना चाहिए |
सारी दुनिया का समंदर आंसुओं से है बना,
रेत पर गम के निशां हैं ज्वार होना चाहिए|
आस 'अम्बर' की न टूटे प्यास धरती की बुझे,
आशिकी में वो नशा हर बार होना चाहिए |
दुश्मनों में जा बसे वो जो रिसाले यार हैं,
जान की परवा नहीं दीदार होना चाहिए |
शाख पर उल्लू जमे है उल्लुओं से वास्ता,
राज हंसों का करिश्मा यार होना चाहिए |
पा चुके जो देखिये हैं आज सारी नेमतें,
रूह बेचे क्यों कोई व्यापार होना चाहिए|
दौलतों में खेलते हैं आज गद्दार ए वतन,
इनकी गर्दन पर कोई तलवार होना चाहिए |
हैं लुटे वो लोग 'अम्बर', जो अभी मजनू बने,
कह रहे हैं प्यार में गुफ्तार होना चाहिए |
फख्र से इस जुर्म का इकरार होना चाहिए
इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिए
इस जहाँ में कोई तो ग़म ख्वार होना चाहिए
सबके दिल में प्यार ही बस प्यार होना चाहिए
तेज़ चलने के लिए ही मुझसे क्यूं कहते है आप
आप को भी कुछ तो कम रफ़्तार होना चाहिए
ग़मज़दा देखे मुझे औ हंस पड़े बेसाख्ता
क्या भला ऐसा किसी का यार होना चाहिए
उफ़ तेरा तिरछी नज़र से मुस्कुराकर देखना
तीर नज़रों का जिगर के पार होना चाहिए
आदमी को हौसला इक बार होना चाहिये।
इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिये।
ज़िन्दगी की बन्द गलियों में उलझकर रह गया,
अब तो आगे रास्ता बस पार होना चाहिये।
अब हुकूमत बदगुमानी की हदों से पार है,
क्या उसी को अब तलक सरदार होना चाहिये।
अब ख्यालों का नगर मिस्मार होना चाहिए,
इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिये.
हैं बड़े नाज़ुक मिरे महबूब के दस्तो बदन,
उनकी गलियों का मुझे मनिहार होना चाहिये.
उसका दिल है अब ठिकाने या के बेतरतीब है,
नब्ज़ पुरसी को मुझे अत्तार होना चाहिये.
अब शहर की हर ज़बां पर है हमारी दास्ताँ,
इक नहीं इकरार अब सौ बार होना चाहिये.
आज मजनू कह दिया है इस ज़माने ने मुझे,
अब तो लैला का मुझे दीदार होना चाहिये.
अश्कों में डूबा हुआ तो इश्क हो सकता नहीं
इश्क में शमशीर जैसी धार होना चाहिए
हैं यह माना आशिकी नाज़ुक मिजाजी की ज़मीं
पर यह दरिया आग का तो पार होना चाहिए
आशिकी में क्यों कोई बीमार होना चाहिए ?
इश्क का बस ठीक से इज़हार होना चाहिए ....
क्यों छिपाते फिर रहे हो प्यार को ऐ जाने मन
प्यार में तो मौत भी स्वीकार होना चाहिये
इश्क की तहजीब है यह इश्क का ही कायदा
इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिए
इश्क गर धोखा नहीं है तो इबादत है ज़नाब
इश्क से इंसानियत को प्यार होना चाहिए
इश्क का आगाज़ भी अखबार होना चाहिए
इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिए
हो गया है प्यार तो, इकरार होना चाहिए
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए
चाहता है दिल हमेशा ज़िंदगी महकी हुई
पास थोडा सा शमीमे-यार होना चाहिए
खेलती है खेल दुनिया साथ अपने बारहा
ज़िंदगी में आदमी फ़नकार होना चाहिए
यूँ अकेली जान सौ ग़म झेलती है रात दिन
दिल हमेशा के लिए गुलज़ार होना चाहिए
नाज़ुकी इतनी जिगर की,काम की होती नहीं
तीर खाने के लिए तैयार होना चाहिए....
सिर्फ यादों में डुबोना रास अब आता नहीं,
रू-ब-रू दिलदार का दीदार होना चाहिए
आशिकी है धडकनों की एक प्यारी दास्ताँ,
इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिए.
फैसला जो भी हुआ सब आँख सर में रख लिया,
आज लगता है ज़रा इब्सार होना चाहिए.
जो सजाते गर्द किस्मत में रियाया की सदा,
मर्म पे उनके करारा वार होना चाहिए.
जान की बाज़ी लगाते हैं सुकूं देने हमें,
उन जवानों को नमन शतबार होना चाहिए.
दो पलों में आसमां की हर उंचाई नाप ली,
और भी ज्यादा सफ़र पुरखार होना चाहिए.
ज़िन्दग़ी का रंग हर स्वीकार होना चाहिये
जोश हो, पर होश का आधार होना चाहिये
एक नादाँ आदतन खुशफहमियों में उड़ रहा
कह उसे, उड़ने में भी आचार होना चाहिये
साहिबी अंदाज़ उसपे सब्ज़चश्मी या खुदा
साहिबों के हाथ अब अख़बार होना चाहिये
जा गरीबों की गरीबी वोट में तब्दील कर
है सियासी ढंग पर साकार होना चाहिये
बीड़ियों से बीड़ियाँ जलने लगी हैं गाँव में
हर धुँआती आँख में अंगार होना चाहिये
झुर्रियाँ कहने लगीं अब वक़्त उसका थक रहा
उम्र के इस मोड़ पे इतवार होना चाहिये
शब्द होठों पे चढ़े तो आप क्यों चिढ़ने लगे
शब्द का हर होंठ पे अधिकार होना चाहिये
गो’ ये रातें सर्द हैं पर यार इनमें ताब है
मौसमों में है मज़ा, बस प्यार होना चाहिये
तुम हुये तो हो गये हम ज़िन्दग़ीवाली ग़ज़ल
अब लगा हर सुर सनम दमदार होना चाहिये
खैर खाँसी खूँ खुशी पर्दानशीं कब, इश्क़ भी !
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिये
आपके आजू नहीं तो आपके बाजू सही
देखिये ‘सौरभ’ सभी का यार होना चाहिये
इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिये,
दूरियों के बाद भी बस प्यार होना चाहिये
बात है बस एक दिल में प्यार होना चाहिये
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिये
चांद ताकता आसमां से छुप के तेरी हर अदा,
है निशानी इश्क़ की इज़हार होना चाहिये
एक तरफा प्यार बढती बेक़रारी क्या देगी,
बारहा अब चाह बस गुफ़्तार होना चाहिये
चोट मारी है जिगर पे हमसफर ने ख़ाब में,
रु-ब-रु नज़दीक से वार होना चाहिये
जब किसी साये ने छेड़ा झट से बोली रूह भी,
फासला तहज़ीब का सरकार होना चाहिये
ज़ुल्म का दिल भी अलम से तार होना चाहिए
तेज़ इतनी तो लहू की धार होना चाहिए
है बहोत मुख्लिस तो दुनिया समझेगी पागल तुझे
दौर ए हाज़िर में ज़रा ऐयार होना चाहिए
हर तरफ मतलबपरस्ती, रहज़नी, हिर्स ओ हवस
अब तो बेज़ारी का कुछ इज़हार होना चाहिए
खाए जाते हैं वतन को चंद इशरत के ग़ुलाम
अब किसी सूरत हमें बेदार होना चाहिए
जी लिए अब तक बहोत मर मर के लेकिन दोस्तों
हम को अब कल के लिए तैयार होना चाहिए
क्या मज़ा चलने का गर राहों में पेच ओ ख़म न हों
रास्ता थोडा बहोत दुशवार होना चाहिए
नाम पे मज़हब के अब काफी सियासत हो चुकी
अब तअस्सुब का महल मिस्मार होना चाहिए
आँख कह देती है सब लेकिन जुबां भी कुछ कहे
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए
कब तलक 'मुमताज़' बैठें धर के हम हाथों पे हाथ
इन्केसारी छोड़, अब यलग़ार होना चाहिए
घी जलेगा, होम में अंगार होना चाहिए
शेर है तो भाव का शृंगार होना चाहिए
टूट कर अब खून के रिश्ते हमें सिखला रहे
प्रेम हर संबंध का आधार होना चाहिए
कह रहे हैं छंद तुलसी, सूर, मीरा के सदा
इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिए
है चमन की भूख खुशबू से कभी मिटती नहीं
कुछ गुलाबों को यहाँ फलदार होना चाहिए
लग रहा विज्ञान को जिसमें न हों हम तुम जुदा
एक ऐसा भी कहीं संसार होना चाहिए
इस कदर बदबू सियासत से उठे लगता यही
हर सियासतदाँ यहाँ बीमार होना चाहिए
क्यों डरें आतंक से हम? सामना डटकर करें.
सर कटा दें पर सलामत यार होना चाहिए.
आम लोगों को न नेता-दल-सियासत चाहिए.
फ़र्ज़ पहले बाद में अधिकार होना चाहिए.
ज़हर को जब पी सके कंकर 'सलिल' शंकर बने.
त्याग को ही राग का शृंगार होना चाहिए..
दुश्मनी हो तो 'सलिल' कोई रहम करना नहीं.
इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिए.
यार से शिकवा कभी तकरार होना चाहिए,
सिर्फ इतना ही नहीं बस प्यार होना चाहिए|
दर्द बेचैनी तपिश आंसू सभी पी जाएगा,
दिल को दरिया ही नहीं सरदार होना चाहिए|
सारी दुनिया की ख़बर से बाख़बर हो जायेंगें,
बस जरा पेश-ए-नज़र अखबार होना चाहिए|
काले धन को जब्त करके मुफलिसों में बाँट दें,
इस तरह अब ख़त्म भ्रष्टाचार होना चाहिए|
मंजिल-ए-मक़सूद फिर कैसे न चूमेगी कदम,
हमसफ़र बस वक्त की रफ़्तार होना चाहिए|
लूट ले जो रहनुमा बन करके अपने मुल्क को
सर कलम उसका सर-ए-बाज़ार होना चाहिए|
मोहर-ए-खामोशी लबों पर लग गयी है किस लिए,
इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिए|
इल्तजा 'आलोक' की सुन लीजिये परवर दिगार,
वक्त-ए-रुखसत बस तेरा दीदार होना चाहिए|
आर होना चाहिए जी पार होना चाहिए
चार दिन की ज़िंदगी है ; …प्यार होना चाहिए
हर घड़ी हर वक़्त औ’ हर बार होना चाहिए
आदमी ; हर हाल में ख़ुद्दार होना चाहिए
हर घड़ी मनहूसियत चिपकी रहे क्यों शक़्ल से
रेगज़ारों को ज़रा गुलज़ार होना चाहिए
लोग बातें कर रहे थे – चांद पूनम का खिला
मैं ये समझा उनका ही रुख़सार होना चाहिए
जश्ने-दीवाली मने घर-घर में हर दिन आज से
ईद-सा हर दिन हसीं त्यौंहार होना चाहिए
आड़ में मज़हब की , बातें नफ़रतों की जो करे
शर्तिया वो भेड़िया ख़ूंख़्वार होना चाहिए
छेद थाली में करे जो पेट भर लेने के बाद
वह कमीना हिंद का गद्दार होना चाहिए
दुश्मनी को भी छुपाना है हक़ीक़त में ग़लत
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए
दिल में तेरे जो भी है मेरे लिए ; बिंदास कह
क्यों दिल-ए-मा’सूम पर कुछ भार होना चाहिए
कौन कहता है तुझे राजेन्द्र तू दीवान लिख
शे’र चाहे एक कह , …दमदार होना चाहिए
फूंक कर इस अंजुमन में पांव तू राजेन्द्र रख
यां छुपा कोई मुलम्माकार होना चाहिए
रूप होना चाहिये, आकार होना चाहिये|
हर अना, हर सोच का, आधार होना चाहिये|१|
रंग-मस्ती-रोशनी, इसमें भला क्या कुछ नहीं|
ज़िंदगी का नाम तो त्यौहार होना चाहिये|२|
गर तना कमज़ोर हो तो, बढ़ नहीं पाता दरख़्त|
फ़लसफ़ा तालीम का, दमदार होना चाहिये|३|
भीड़ में शामिल रहे, पर भीड़ से हट कर दिखे|
शख़्सियत का रंग, दर्ज़ेदार होना चाहिये|४|
चेतना-संवेदना 'शापित-अहिल्या' बन गयीं|
फिर से कोई 'राम' सा अवतार होना चाहिये|५|
और कितनी मर्तबा इस बात को दोहराऊँ मैं|
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिये|६|
आज तेरे प्यार का इकरार होना चाहिए
इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिए
डूबने का है मजा अपना मोहब्बत मे सनम
क्या जरूरी है की दरया पार होना चाहिए
इश्क है क्या, कैसे समझाऊं ये उसको ए खुदा
उसको भी मेरी तरह बीमार होना चाहिए
देश का सौदा यहाँ हर रोज़ होता है तो फिर
अब इसे संसद नही बाज़ार होना चाहिए
ताज़ मेरे देश का कहता है मुझसे यार अब
पहने जो भी बस उसे खुद्दार होना चाहिए
आए खुद मिलने जमीं से आसमां तो है मजा
कुछ गजब ऐसा यहाँ इस बार होना चाहिए
दिल हमारा आज का अखबार होना चाहिए
इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिये
इश्क हो या मुश्क, ये हर हाल में होता अयाँ
खेल तो दिल का 'सरे बाजार' होना चाहिए
जीत से मख़्सूस होती हार दिल के खेल में
जीतने वाला मगर दिलदार होना चाहिए
शौक जो तीमारदारी का हमें है दोस्तों
इस बिना पर क्या तुम्हे बीमार होना चाहिए ?
कोशिशें अब तक उरूजी की यहाँ जाया हुईं
हो चुकी मनुहार, अब उपचार होना चाहिए
जंग का मैदां नहीं ये पाठशाला है जनाब
जो यहाँ हो अब, सलीकेदार होना चाहिए
कट चुका फीता चलो मैदान में उतरो सभी
खेल तो इस बार कुछ दमदार होना चाहिए
जी करे जब, यार का दीदार होना चाहिए
इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिए
राम हों या कृष्ण हों या गुरु हों या ईसा मसीह
इस जहां में फिर कोई अवतार होना चाहिए
लेखनी की धार से या विष बुझी तलवार से
जुर्म का जैसे भी हो प्रतिकार होना चाहिए
कर सकें अन्ना हजारे या कि बाबा रामदेव
देश से अब दूर भ्रष्टाचार होना चाहिए
क्यूँ नहीं हम खींच सकते रहबरों की कुर्सियां
खुल के अब इस बात पर इज़्कार होना चाहिए
ज़िक्र इसका इक नहीं सौ बार होना चाहिए
इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिए
बेगुनाही की सजा मिलने लगे जिस दौर में
आपके हांथों गुनह दो चार होना चाहिए
आसमां ओढ़न, बिछौना है जमी जिनके लिए
या खुदा उनको तेरा दीदार होना चाहिए
खत्म तो हो जायेंगे जो मसअले हैं दरमियां
जज़्बएकामिल हो, दिल बेख्वार होना चाहिए
ढो रही कोहसार जो सीने पे हंसकर ये जमीं
दिल भले हो सख्त, लालाजार होना चाहिए
दिल गया तो क्या हुआ गम क्यूँ करें उसके लिए
था उन्ही का, उनका ही अधिकार होना चाहिए
टूटना मंजूर पर झुकना नहीं मंजूर हो
ऐसा अपनी सख्सियत से प्यार होना चाहिए
इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिए,
आदमी को आदमी से प्यार होना चाहिए|
बेईमानी से भले हैं मुफलिसी के रास्ते,
जानेमन सबसे जुदा मेआर होना चाहिए |
जिंदगी है चार दिन की जिंदगी खुल के जियो,
प्यार से जो गर मिले अभिसार होना चाहिए |
सारी दुनिया का समंदर आंसुओं से है बना,
रेत पर गम के निशां हैं ज्वार होना चाहिए|
आस 'अम्बर' की न टूटे प्यास धरती की बुझे,
आशिकी में वो नशा हर बार होना चाहिए |
दुश्मनों में जा बसे वो जो रिसाले यार हैं,
जान की परवा नहीं दीदार होना चाहिए |
शाख पर उल्लू जमे है उल्लुओं से वास्ता,
राज हंसों का करिश्मा यार होना चाहिए |
पा चुके जो देखिये हैं आज सारी नेमतें,
रूह बेचे क्यों कोई व्यापार होना चाहिए|
दौलतों में खेलते हैं आज गद्दार ए वतन,
इनकी गर्दन पर कोई तलवार होना चाहिए |
हैं लुटे वो लोग 'अम्बर', जो अभी मजनू बने,
कह रहे हैं प्यार में गुफ्तार होना चाहिए |
फख्र से इस जुर्म का इकरार होना चाहिए
इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिए
इस जहाँ में कोई तो ग़म ख्वार होना चाहिए
सबके दिल में प्यार ही बस प्यार होना चाहिए
तेज़ चलने के लिए ही मुझसे क्यूं कहते है आप
आप को भी कुछ तो कम रफ़्तार होना चाहिए
ग़मज़दा देखे मुझे औ हंस पड़े बेसाख्ता
क्या भला ऐसा किसी का यार होना चाहिए
उफ़ तेरा तिरछी नज़र से मुस्कुराकर देखना
तीर नज़रों का जिगर के पार होना चाहिए
आदमी को हौसला इक बार होना चाहिये।
इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिये।
ज़िन्दगी की बन्द गलियों में उलझकर रह गया,
अब तो आगे रास्ता बस पार होना चाहिये।
अब हुकूमत बदगुमानी की हदों से पार है,
क्या उसी को अब तलक सरदार होना चाहिये।
अब ख्यालों का नगर मिस्मार होना चाहिए,
इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिये.
हैं बड़े नाज़ुक मिरे महबूब के दस्तो बदन,
उनकी गलियों का मुझे मनिहार होना चाहिये.
उसका दिल है अब ठिकाने या के बेतरतीब है,
नब्ज़ पुरसी को मुझे अत्तार होना चाहिये.
अब शहर की हर ज़बां पर है हमारी दास्ताँ,
इक नहीं इकरार अब सौ बार होना चाहिये.
आज मजनू कह दिया है इस ज़माने ने मुझे,
अब तो लैला का मुझे दीदार होना चाहिये.
अश्कों में डूबा हुआ तो इश्क हो सकता नहीं
इश्क में शमशीर जैसी धार होना चाहिए
हैं यह माना आशिकी नाज़ुक मिजाजी की ज़मीं
पर यह दरिया आग का तो पार होना चाहिए
आशिकी में क्यों कोई बीमार होना चाहिए ?
इश्क का बस ठीक से इज़हार होना चाहिए ....
क्यों छिपाते फिर रहे हो प्यार को ऐ जाने मन
प्यार में तो मौत भी स्वीकार होना चाहिये
इश्क की तहजीब है यह इश्क का ही कायदा
इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिए
इश्क गर धोखा नहीं है तो इबादत है ज़नाब
इश्क से इंसानियत को प्यार होना चाहिए
इश्क का आगाज़ भी अखबार होना चाहिए
इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिए
हो गया है प्यार तो, इकरार होना चाहिए
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए
चाहता है दिल हमेशा ज़िंदगी महकी हुई
पास थोडा सा शमीमे-यार होना चाहिए
खेलती है खेल दुनिया साथ अपने बारहा
ज़िंदगी में आदमी फ़नकार होना चाहिए
यूँ अकेली जान सौ ग़म झेलती है रात दिन
दिल हमेशा के लिए गुलज़ार होना चाहिए
नाज़ुकी इतनी जिगर की,काम की होती नहीं
तीर खाने के लिए तैयार होना चाहिए....
सिर्फ यादों में डुबोना रास अब आता नहीं,
रू-ब-रू दिलदार का दीदार होना चाहिए
आशिकी है धडकनों की एक प्यारी दास्ताँ,
इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिए.
फैसला जो भी हुआ सब आँख सर में रख लिया,
आज लगता है ज़रा इब्सार होना चाहिए.
जो सजाते गर्द किस्मत में रियाया की सदा,
मर्म पे उनके करारा वार होना चाहिए.
जान की बाज़ी लगाते हैं सुकूं देने हमें,
उन जवानों को नमन शतबार होना चाहिए.
दो पलों में आसमां की हर उंचाई नाप ली,
और भी ज्यादा सफ़र पुरखार होना चाहिए.
ज़िन्दग़ी का रंग हर स्वीकार होना चाहिये
जोश हो, पर होश का आधार होना चाहिये
एक नादाँ आदतन खुशफहमियों में उड़ रहा
कह उसे, उड़ने में भी आचार होना चाहिये
साहिबी अंदाज़ उसपे सब्ज़चश्मी या खुदा
साहिबों के हाथ अब अख़बार होना चाहिये
जा गरीबों की गरीबी वोट में तब्दील कर
है सियासी ढंग पर साकार होना चाहिये
बीड़ियों से बीड़ियाँ जलने लगी हैं गाँव में
हर धुँआती आँख में अंगार होना चाहिये
झुर्रियाँ कहने लगीं अब वक़्त उसका थक रहा
उम्र के इस मोड़ पे इतवार होना चाहिये
शब्द होठों पे चढ़े तो आप क्यों चिढ़ने लगे
शब्द का हर होंठ पे अधिकार होना चाहिये
गो’ ये रातें सर्द हैं पर यार इनमें ताब है
मौसमों में है मज़ा, बस प्यार होना चाहिये
तुम हुये तो हो गये हम ज़िन्दग़ीवाली ग़ज़ल
अब लगा हर सुर सनम दमदार होना चाहिये
खैर खाँसी खूँ खुशी पर्दानशीं कब, इश्क़ भी !
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिये
आपके आजू नहीं तो आपके बाजू सही
देखिये ‘सौरभ’ सभी का यार होना चाहिये
इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिये,
दूरियों के बाद भी बस प्यार होना चाहिये
बात है बस एक दिल में प्यार होना चाहिये
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिये
चांद ताकता आसमां से छुप के तेरी हर अदा,
है निशानी इश्क़ की इज़हार होना चाहिये
एक तरफा प्यार बढती बेक़रारी क्या देगी,
बारहा अब चाह बस गुफ़्तार होना चाहिये
चोट मारी है जिगर पे हमसफर ने ख़ाब में,
रु-ब-रु नज़दीक से वार होना चाहिये
जब किसी साये ने छेड़ा झट से बोली रूह भी,
फासला तहज़ीब का सरकार होना चाहिये
ज़ुल्म का दिल भी अलम से तार होना चाहिए
तेज़ इतनी तो लहू की धार होना चाहिए
है बहोत मुख्लिस तो दुनिया समझेगी पागल तुझे
दौर ए हाज़िर में ज़रा ऐयार होना चाहिए
हर तरफ मतलबपरस्ती, रहज़नी, हिर्स ओ हवस
अब तो बेज़ारी का कुछ इज़हार होना चाहिए
खाए जाते हैं वतन को चंद इशरत के ग़ुलाम
अब किसी सूरत हमें बेदार होना चाहिए
जी लिए अब तक बहोत मर मर के लेकिन दोस्तों
हम को अब कल के लिए तैयार होना चाहिए
क्या मज़ा चलने का गर राहों में पेच ओ ख़म न हों
रास्ता थोडा बहोत दुशवार होना चाहिए
नाम पे मज़हब के अब काफी सियासत हो चुकी
अब तअस्सुब का महल मिस्मार होना चाहिए
आँख कह देती है सब लेकिन जुबां भी कुछ कहे
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए
कब तलक 'मुमताज़' बैठें धर के हम हाथों पे हाथ
इन्केसारी छोड़, अब यलग़ार होना चाहिए
घी जलेगा, होम में अंगार होना चाहिए
शेर है तो भाव का शृंगार होना चाहिए
टूट कर अब खून के रिश्ते हमें सिखला रहे
प्रेम हर संबंध का आधार होना चाहिए
कह रहे हैं छंद तुलसी, सूर, मीरा के सदा
इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिए
है चमन की भूख खुशबू से कभी मिटती नहीं
कुछ गुलाबों को यहाँ फलदार होना चाहिए
लग रहा विज्ञान को जिसमें न हों हम तुम जुदा
एक ऐसा भी कहीं संसार होना चाहिए
इस कदर बदबू सियासत से उठे लगता यही
हर सियासतदाँ यहाँ बीमार होना चाहिए
क्यों डरें आतंक से हम? सामना डटकर करें.
सर कटा दें पर सलामत यार होना चाहिए.
आम लोगों को न नेता-दल-सियासत चाहिए.
फ़र्ज़ पहले बाद में अधिकार होना चाहिए.
ज़हर को जब पी सके कंकर 'सलिल' शंकर बने.
त्याग को ही राग का शृंगार होना चाहिए..
दुश्मनी हो तो 'सलिल' कोई रहम करना नहीं.
इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिए.
यार से शिकवा कभी तकरार होना चाहिए,
सिर्फ इतना ही नहीं बस प्यार होना चाहिए|
दर्द बेचैनी तपिश आंसू सभी पी जाएगा,
दिल को दरिया ही नहीं सरदार होना चाहिए|
सारी दुनिया की ख़बर से बाख़बर हो जायेंगें,
बस जरा पेश-ए-नज़र अखबार होना चाहिए|
काले धन को जब्त करके मुफलिसों में बाँट दें,
इस तरह अब ख़त्म भ्रष्टाचार होना चाहिए|
मंजिल-ए-मक़सूद फिर कैसे न चूमेगी कदम,
हमसफ़र बस वक्त की रफ़्तार होना चाहिए|
लूट ले जो रहनुमा बन करके अपने मुल्क को
सर कलम उसका सर-ए-बाज़ार होना चाहिए|
मोहर-ए-खामोशी लबों पर लग गयी है किस लिए,
इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिए|
इल्तजा 'आलोक' की सुन लीजिये परवर दिगार,
वक्त-ए-रुखसत बस तेरा दीदार होना चाहिए|
आर होना चाहिए जी पार होना चाहिए
चार दिन की ज़िंदगी है ; …प्यार होना चाहिए
हर घड़ी हर वक़्त औ’ हर बार होना चाहिए
आदमी ; हर हाल में ख़ुद्दार होना चाहिए
हर घड़ी मनहूसियत चिपकी रहे क्यों शक़्ल से
रेगज़ारों को ज़रा गुलज़ार होना चाहिए
लोग बातें कर रहे थे – चांद पूनम का खिला
मैं ये समझा उनका ही रुख़सार होना चाहिए
जश्ने-दीवाली मने घर-घर में हर दिन आज से
ईद-सा हर दिन हसीं त्यौंहार होना चाहिए
आड़ में मज़हब की , बातें नफ़रतों की जो करे
शर्तिया वो भेड़िया ख़ूंख़्वार होना चाहिए
छेद थाली में करे जो पेट भर लेने के बाद
वह कमीना हिंद का गद्दार होना चाहिए
दुश्मनी को भी छुपाना है हक़ीक़त में ग़लत
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए
दिल में तेरे जो भी है मेरे लिए ; बिंदास कह
क्यों दिल-ए-मा’सूम पर कुछ भार होना चाहिए
कौन कहता है तुझे राजेन्द्र तू दीवान लिख
शे’र चाहे एक कह , …दमदार होना चाहिए
फूंक कर इस अंजुमन में पांव तू राजेन्द्र रख
यां छुपा कोई मुलम्माकार होना चाहिए
रूप होना चाहिये, आकार होना चाहिये|
हर अना, हर सोच का, आधार होना चाहिये|१|
रंग-मस्ती-रोशनी, इसमें भला क्या कुछ नहीं|
ज़िंदगी का नाम तो त्यौहार होना चाहिये|२|
गर तना कमज़ोर हो तो, बढ़ नहीं पाता दरख़्त|
फ़लसफ़ा तालीम का, दमदार होना चाहिये|३|
भीड़ में शामिल रहे, पर भीड़ से हट कर दिखे|
शख़्सियत का रंग, दर्ज़ेदार होना चाहिये|४|
चेतना-संवेदना 'शापित-अहिल्या' बन गयीं|
फिर से कोई 'राम' सा अवतार होना चाहिये|५|
और कितनी मर्तबा इस बात को दोहराऊँ मैं|
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिये|६|
आज तेरे प्यार का इकरार होना चाहिए
इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिए
डूबने का है मजा अपना मोहब्बत मे सनम
क्या जरूरी है की दरया पार होना चाहिए
इश्क है क्या, कैसे समझाऊं ये उसको ए खुदा
उसको भी मेरी तरह बीमार होना चाहिए
देश का सौदा यहाँ हर रोज़ होता है तो फिर
अब इसे संसद नही बाज़ार होना चाहिए
ताज़ मेरे देश का कहता है मुझसे यार अब
पहने जो भी बस उसे खुद्दार होना चाहिए
आए खुद मिलने जमीं से आसमां तो है मजा
कुछ गजब ऐसा यहाँ इस बार होना चाहिए
वीनस जी आपने बहुत ही मेहनत का कार्य किया है, शाबास !!!
बहुत बहुत बधाई इस महती कार्य के लिए |
शुक्रिया बागी जी
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