For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-१२( Now Closed )

परम आत्मीय स्वजन,

बिना किसी भूमिका के पेश है इस माह का तरही मिसरा, अदब की दुनिया में जनाब शाहिद माहुली किसी तआर्रुफ के मोहताज़ नहीं हैं, यह मिसरा भी उन्ही की एक ख़ूबसूरत गज़ल से लिया गया है|

आओ मिल जुल के कोई बात बनाई जाए 
फाइलातुन फइलातुन फइलातुन फेलुन
२१२२   ११२२ ११२२ २२
बहरे रमल मुसम्मन मख्बून मुसक्कन

कफिया: आई (बनाई, सजाई, मिटाई, उठाई...आदि आदि)
रदीफ: जाए

 
विनम्र निवेदन: कृपया दिए गए रदीफ और काफिये पर ही अपनी गज़ल भेजें| यदि नए लोगों को रदीफ काफिये समझाने में दिक्कत हो रही हो तो आदरणीय तिलक राज कपूर जी कि कक्षा में यहाँ पर क्लिक कर प्रवेश ले लें और पुराने पाठों को ठीक से पढ़ लें| 


मुशायरे की शुरुआत दिनाकं २५ जून दिन शनिवार के लगते ही हो जाएगी और दिनांक २७ जून दिन सोमवार के समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा |


नोट :- यदि आप ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के सदस्य है और किसी कारण वश "OBO लाइव तरही मुशायरा" अंक-12 के दौरान अपनी ग़ज़ल पोस्ट करने मे असमर्थ है तो आप अपनी ग़ज़ल एडमिन ओपन बुक्स ऑनलाइन को उनके इ- मेल admin@openbooksonline.com पर २५ जून से पहले भी भेज सकते है, योग्य ग़ज़ल को आपके नाम से ही "OBO लाइव तरही मुशायरा" प्रारंभ होने पर पोस्ट कर दिया जायेगा,ध्यान रखे यह सुविधा केवल OBO के सदस्यों हेतु ही है |

फिलहाल Reply बॉक्स बंद रहेगा, मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ किया जा सकता है |
"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ

मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह

Views: 10103

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion


आज नफरत की ये दीवार गिराई जाए. 

आओ मिल-जुल के कोई बात बनाई जाये. 

 

देखो दुनिया में ये तकदीर अहम है यारों,

छोड़ इसको यहीं तदवीर बनाई जाए.

 

वो भी अपना न लें अन्याय के आगे अनशन,

सारे बच्चों को यही बात सिखाई जाये.

 

सोंच जो नाज़ से पाले हैं सभी नें बच्चे,

आस उनसे न किसी रोज लगाई जाये.

 

यार झगड़ो न कभी जाति पंथ मज़हब पर,

तुम्हारे दिल में जली आग बुझाई जाये.  

 

मुल्क में मेल अमन चैन प्यार कायम कर,

आज दुनिया को नयी राह दिखाई जाये.

 

--अम्बरीष श्रीवास्तव 

वाह... वाह... अम्बरीश जी!
शानदार और जानदार ग़ज़ल हेतु बधाई.

यार झगड़ो न कभी जाति धर्म मज़हब पर,

तुम्हारे दिल में जली आग बुझाई जाये. 

यहाँ 'धर्म' के स्थान पर 'पंथ' होना चाहिए.

'धर्मं स: धारयेत' जो धारण किये जाने योग्य (श्रेष्ठ, सर्व हितकारी, सर्वकालिक) है, वही धर्म है. पंथ की स्वीकार्यता सीमित है धर्म की शाश्वत.

स्वागत है आदरणीय आचार्य जी ! आपका सुझाव बहुत भाया.....वह मेरे लिए आदेश की तरह है .....ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका इस सम्पूर्ण हृदय से आभार.......:))

आपके आदेशानुसार धर्म' के स्थान पर 'पंथ' शब्द संशोधन करा दिया गया है |


आदरणीय अम्बरीषजी, आपने सही किया. 

 

समर्थन देने के लिए आभार मित्रवर !

इस धर्म शब्द की नासमझों द्वारा बहुत बखिया उघेड़ी गयी है.

धर्म को मद्भग्वद्गीता में भगवान् ने कर्त्तव्य के लिहाज से भी प्रयुक्त किया है. और इसे अगर स्वीकार कर लिया जाए तो सारा कन्फ्यूजन समाप्त हो जाए.

सत्य वचन मित्रवर !  कर्तव्य ही सर्वोपरि है ........:))

//सोंच जो नाज़ से पाले हैं सभी नें बच्चे,

आस उनसे न किसी रोज लगाई जाये.//

मुझे इस अशआर ने सबसे अधिक प्रभावित किया. बधाई कुबूल करें.

 

 

आदरणीय सौरभ जी! आस जब टूटती है तो व्यक्ति भी टूटकर बिखर सा जाता है ......जिस तरह समस्त पक्षी अपने बच्चों के उड़ने तक उनका भरपूर पालन पोषण व संरक्षण करते हैं ...परन्तु बाद में उनसे कोई भी उम्मीद नहीं रखते .......ठीक वैसे ही मानव यदि अपने बच्चों से आस लगाना छोड़ दे तो बहुत से दुखों  का निराकरण स्वतः  हो जाएगा !

सराहना के लिए आपका हृदय से आभार मित्र !


 

बात सोरहोआने सच. चौबीसो कैरेट टंच.

गाँव के गाँव, रिश्ते-रिश्ते, परिवार-परिवार, व्यक्ति-व्यक्ति तबाहोबरबाद हुए हैं... अव्यावहारिक आशाओं और उम्मीदों के चलते.

कर्त्तव्य/धर्म को निभाने की शिक्षा पर अमल करना सिखा दिया जाय तो बच्चे खुद-ब-खुद अपने बड़े-बुजुर्गों की ख़ैर करने लगते हैं.

//कर्त्तव्य/धर्म को निभाने की शिक्षा पर अमल करना सिखा दिया जाय तो बच्चे खुद-ब-खुद अपने बड़े-बुजुर्गों की ख़ैर करने लगते हैं.//
बहुत सही कहा आपने ! हम सभी को इसे अमल में लाना ही होगा !
हरेक शे'र पुरअसर है. विशेषकर मतला (गिरह का शे'र) और अंतिम शे'र के जज्बात पसंद आये. हार्दिक बधाई अम्बरीश जी.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
17 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
17 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service