For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

MAHIMA SHREE's Discussions (1,151)

Discussions Replied To (928) Replies Latest Activity

"दुनियाँ में सद् मार्ग, दिखाने वाले दुर्लभ मीठ लगे या तीत,सत्य कह देते सौरभ वाह आदरणी…"

MAHIMA SHREE replied Jun 10, 2013 to "ओ बी ओ लाइव महा-उत्सव" अंक - 32(Now closed with 1027 Replies)

1027 Jun 12, 2013
Reply by MAHIMA SHREE

"जी आदरणीय.. हमेशा कोशिश रहेगी ."

MAHIMA SHREE replied Jun 10, 2013 to "ओ बी ओ लाइव महा-उत्सव" अंक - 32(Now closed with 1027 Replies)

1027 Jun 12, 2013
Reply by MAHIMA SHREE

"तुम्हारे शब्द उसकी परिधि कम करते हैं ! वो बढ़ा लेती है अपनी मुस्कुराहटें !   और लगभग…"

MAHIMA SHREE replied Jun 10, 2013 to "ओ बी ओ लाइव महा-उत्सव" अंक - 32(Now closed with 1027 Replies)

1027 Jun 12, 2013
Reply by MAHIMA SHREE

"क्या बात है .. आदरणीया गीतिका जी .. बिलकुल अलग हटकर प्रस्तुति .. और बड़ा आनंद  भी आया…"

MAHIMA SHREE replied Jun 9, 2013 to "ओ बी ओ लाइव महा-उत्सव" अंक - 32(Now closed with 1027 Replies)

1027 Jun 12, 2013
Reply by MAHIMA SHREE

"हींग लगे न फिटकरी, धंधा भाये खूब ।इनकी चांदी हो गई, निर्धन जाता डूब ।। ठग बैठा पोशाक…"

MAHIMA SHREE replied Jun 9, 2013 to "ओ बी ओ लाइव महा-उत्सव" अंक - 32(Now closed with 1027 Replies)

1027 Jun 12, 2013
Reply by MAHIMA SHREE

"पहन मुखौटा घूमते, आया पास चुनाव, खेती बो विश्वास की, तापे खूब अलाव ।    मीठा मंतर मा…"

MAHIMA SHREE replied Jun 9, 2013 to "ओ बी ओ लाइव महा-उत्सव" अंक - 32(Now closed with 1027 Replies)

1027 Jun 12, 2013
Reply by MAHIMA SHREE

"ऐसे भी सितम अब तो ढाने लगे हैँ लोग,देकर जख्म दिल को मुस्कुराने लगे हैँ लोग   अपना है…"

MAHIMA SHREE replied Jun 9, 2013 to "ओ बी ओ लाइव महा-उत्सव" अंक - 32(Now closed with 1027 Replies)

1027 Jun 12, 2013
Reply by MAHIMA SHREE

"आदरणीय अशोक सर ..नमस्कार बहुत ही सरलता से आपने हमसब के मन में चुभती  बातों को  दोहे…"

MAHIMA SHREE replied Jun 9, 2013 to "ओ बी ओ लाइव महा-उत्सव" अंक - 32(Now closed with 1027 Replies)

1027 Jun 12, 2013
Reply by MAHIMA SHREE

"चंद सिक्कों के लिए, बेचा किए अपना ज़मीर, चंद सिक्के भीख दे, दानी कहाने आ गए।   लूटकर…"

MAHIMA SHREE replied Jun 9, 2013 to "ओ बी ओ लाइव महा-उत्सव" अंक - 32(Now closed with 1027 Replies)

1027 Jun 12, 2013
Reply by MAHIMA SHREE

"कल तलक जो लोग रेशम थे, सभीएक दिन में कैसे खद्दर हो गए    पीटते हैं सर, जो अब तक फूल…"

MAHIMA SHREE replied Jun 9, 2013 to "ओ बी ओ लाइव महा-उत्सव" अंक - 32(Now closed with 1027 Replies)

1027 Jun 12, 2013
Reply by MAHIMA SHREE

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. जयहिंद रायपुरी जी, अभिवादन, खूबसूरत ग़ज़ल की मुबारकबाद स्वीकार कीजिए।"
1 hour ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेंद्र जी, सादर अभिवादन  आपने ग़ज़ल की बारीकी से समीक्षा की, बहुत शुक्रिया। मतले में…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हमको न/गर में गाँव/ खुला याद/ आ गयामानो स्व/यं का भूला/ पता याद/आ गया। आप शायद स्व का वज़्न 2 ले…"
3 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीय। देखता हूँ क्या बेहतर कर सकता हूँ। आपका बहुत-बहुत आभार।"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय,  श्रद्धेय तिलक राज कपूर साहब, क्षमा करें किन्तु, " मानो स्वयं का भूला पता…"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"समॉं शब्द प्रयोग ठीक नहीं है। "
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हर सिम्त वो है फैला हुआ याद आ गया  ज़ाहिद को मयकदे में ख़ुदा याद आ गया यह शेर पाप का स्थान माने…"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"तन्हाइयों में रंग-ए-हिना याद आ गया आना था याद क्या मुझे क्या याद आ गया लाजवाब शेर हुआ। गुज़रा हूँ…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शानदार शेर हुए। बस दो शेर पर कुछ कहने लायक दिखने से अपने विचार रख रहा हूँ। जो दे गया है मुझको दग़ा…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मिसरा दिया जा चुका है। इस कारण तरही मिसरा बाद में बदला गया था। स्वाभाविक है कि यह बात बहुत से…"
6 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"खुशबू सी उसकी लाई हवा याद आ गया, बन के वो शख़्स बाद-ए-सबा याद आ गया। अच्छा शेर हुआ। वो शोख़ सी…"
6 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हमको नगर में गाँव खुला याद आ गया मानो स्वयं का भूला पता याद आ गया।१। अच्छा शेर हुआ। तम से घिरे थे…"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service