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दिगंबर नासवा's Discussions (471)

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"शुक्रिया सर ..."

दिगंबर नासवा replied Jan 26, 2019 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-103

690 Jan 26, 2019
Reply by Samar kabeer

"शुक्रिया शेख साहब ..."

दिगंबर नासवा replied Jan 26, 2019 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-103

690 Jan 26, 2019
Reply by Samar kabeer

"शुक्रिया मोहतरम कबीर साहब ... अस्ल ठीक शब्द है ... मात्राओं अनुसार भी ..."

दिगंबर नासवा replied Jan 26, 2019 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-103

690 Jan 26, 2019
Reply by Samar kabeer

"बहुत ही अच्छा प्रयास है ... कहन मौलिक है ... शिल्प उस्तादों के सानिध्य से आ जाएगा ..…"

दिगंबर नासवा replied Jan 26, 2019 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-103

690 Jan 26, 2019
Reply by Samar kabeer

"बहुत कमाल के शेर ... सादगी से बुने शेर ... सारे निशान वक़्त ने ... बेहतरीन शेर है ग़ज़ल…"

दिगंबर नासवा replied Jan 26, 2019 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-103

690 Jan 26, 2019
Reply by Samar kabeer

"बहुत सुन्दर ग़ज़ल मंजू जी ...  मतला लाजवाब ... मुझसे खता हुयी थी ... एक सादगी से बुना…"

दिगंबर नासवा replied Jan 26, 2019 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-103

690 Jan 26, 2019
Reply by Samar kabeer

"लाजवाब ग़ज़ल है राज़ साहब ...  हर शेर दाद के काबिल ... "

दिगंबर नासवा replied Jan 26, 2019 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-103

690 Jan 26, 2019
Reply by Samar kabeer

"बहुत अच्छा प्रयास है अमित जी ... उस्तादों की बातों अनुसार निखार आता रहेगा ...  बहुत…"

दिगंबर नासवा replied Jan 26, 2019 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-103

690 Jan 26, 2019
Reply by Samar kabeer

"बहुत खूब ... मूरख हूँ मेरा ज्ञान ... बहुत ही कमाल का शेर हुआ है ... मैं शहर कांच का…"

दिगंबर नासवा replied Jan 26, 2019 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-103

690 Jan 26, 2019
Reply by Samar kabeer

"बहुत खूबसूरत आगाज़ इस मुशायरे का ... नफरत की काली काली घटाएं मुझे न दे ... आमीन ... ए…"

दिगंबर नासवा replied Jan 25, 2019 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-103

690 Jan 26, 2019
Reply by Samar kabeer

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Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"खुशबू सी उसकी लाई हवा याद आ गया, बन के वो शख़्स बाद-ए-सबा याद आ गया। अच्छा शेर हुआ। वो शोख़ सी…"
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Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हमको नगर में गाँव खुला याद आ गया मानो स्वयं का भूला पता याद आ गया।१। अच्छा शेर हुआ। तम से घिरे थे…"
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