For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

V.M.''vrishty''
Share on Facebook MySpace

V.M.''vrishty'''s Friends

  • Samar kabeer
 

V.M.''vrishty'''s Page

Profile Information

Gender
Female
City State
U.p
Native Place
Gorakhpur
Profession
Student
About me
Love simplicity

V.M.''vrishty'''s Blog

इंतेज़ार

इंतज़ार!
उसके आने का!
की आकर रोक लेगा....
मेरे बहते अश्रुधार को!
थकान...दर्द..
उदासी..तड़प..
समेट लेगा सब
अपनी बाहों में!!
मेरी नाराजगी का बुलबुला
फूट जाएगा..
उसकी छुवन से!!
शाम हुई!
हुआ इंतेज़ार पूरा!
वो आया!
और कर गया अधूरा!
उसका आना
सच था...
या सपना??
मार गया मुझे!
उसका
अपरिचित सा मिलना!!


मौलिक व अप्रकाशित

Posted on January 9, 2019 at 2:34pm — 5 Comments

बरसात

ये नाज़ुक से नगीने-
जिनसे करके श्रृंगार,
इठलाता है,
सदाबहार!
यूँ तो
बहुत शीतल हैं..
मखमली हैं !
पर इन्हें छूते ही,अधरों से,
जिस्म में
आग सी जली है!
ये एहसास कुछ
जाना पहचाना-सा है !
तेरे अधरों की तरह
इनमें भी,,
मयखाना-सा है!

मौलिक व अप्रकाशित

Posted on October 20, 2018 at 1:06pm

जलती मुस्कुराहटें

कुछ
छिल रहा है!
भीतर-भीतर!
दुख रहा..
नासूर जैसा!!
क्या है ये!
तुम्हारी चुप्पी?
या मेरी उदासी ??
नस-नस में
बेचैनियाँ!
घड़ी-घड़ी घबराहटें !!
क्यों पड़ी हैं आज ?
जलते तवे पर...
रोटियों की जगह-
मेरी मुस्कुराहटें!!

मौलिक व अप्रकाशित

Posted on October 16, 2018 at 9:16pm — 8 Comments

काली स्याही

सजल आँखें,,बोझल मन !
अनुत्तरित प्रश्न ! टूटता बदन !
कुछ फिक्र ! कुछ लाचारी !
कुछ चाही...........,
कुछ अनचाही जिम्मेदारी !
ये कहानी थी कभी शामों की!
पर अब,,न जाने क्यों...
सूरज सर पे चमकता है,
फिर भी रातों का अंधेरा,,
आँखों से नहीं छंटता है ।
मैं लिख रही दास्तान---
बदलते हुए हालात की !
कि अब सफेद सुबहों में,
घुली है............
काली स्याही...रात की....!


मौलिक व अप्रकाशित

Posted on October 15, 2018 at 12:24pm — 9 Comments

Comment Wall

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

  • No comments yet!
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
15 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
15 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
15 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
16 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
21 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service