For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ भोजपुरी काव्य प्रतियोगिता" अंक - 2

भोजपुरी साहित्य प्रेमी लोगन के सादर प्रणाम,

जइसन कि रउआ लोगन के खूब मालूम बा, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार अपना सुरुआते से साहित्य-समर्थन आ साहित्य-लेखन के प्रोत्साहित कर रहल बा ।

एही कड़ी में भोजपुरी साहित्य-लेखन विशेष क के काव्य-लेखन के प्रोत्साहित करे के उद्येश्य से रउआ सभ के सोझा एगो अनूठा आ अंतरजाल प भोजपुरी-साहित्य के क्षेत्र में अपना तरहा के एकलउता लाइव कार्यक्रम ले के आ रहल बा जवना के नाम बा "ओबीओ भोजपुरी काव्य प्रतियोगिता"

तीन दिन चले वाली ई ऑनलाइन प्रतियोगिता तिमाही होले, जवना खातिर एगो विषय भा शीर्षक दिहल जाला । एही आधार प भोजपुरी भाषा में पद्य-रचना करे के बा । एह काव्य प्रतियोगिता में रउआ सभे अंतरजाल के माध्यम से ऑनलाइन भाग ले सकत बानी अउर आपन भोजपुरी पद्य-रचना के लाइव प्रस्तुत क सकत बानी । साथहीं, प्रतिभागियन के रचना पर आपन मंतव्य दे सकत बानीं भा निकहा सार्थक टिप्पणी क सकत बानी |

जे सदस्य प्रतियोगिता से अलग रह के आपन रचना प्रस्तुत कईल चाहत बाड़े, उनुकरो स्वागत बा, आपन रचना "प्रतियोगिता से अलगा" लिख के प्रस्तुत कर सकेलें |

भोजपुरिया भाषी लोगन के संगे बड़का दिक्कत बा कि उ लोग भोजपुरी बोले में लजाला, जब बतकही करेवाला भोजपुरी बोल समझ लेत बा त फेनु बोले में का दिक्कत ? जब भोजपुरी माई भाषा ह, फेनु बोले में काहे हिचकिचाई ? शान से बोलीं, मन से बोली, आपन भोजपुरी बहुते मीठ भाषा , त आई एही मुदा के एह प्रतियोगिता के विषय बनावल जाव अउरो एके काव्यात्मक अभिव्यक्ति कईल जाव ....

प्रतियोगिता के विषय :  "मन से बोलीं भोजपुरी"

अवधि : प्रतियोगिता दिनांक 29 मई दिन बुधवार लागते सुरु होखी आ 31 मई दिन शुक्रवार के रात 12 बजे ख़तम हो जाई।

पुरस्कार :

त्रि-सदस्यीय निर्णायक मण्डल के निर्णय के आधार प विजेता रचनाकारन के नाँव के घोसना कइल जाई ।

प्रथम - रु 1001/- अउर प्रमाण पत्र
द्वितीय - रु 551/-अउर प्रमाण पत्र
तृतीय - रु 501/-अउर प्रमाण पत्र

पुरस्कार राशि (भारत में भुगतेय चेक / ड्राफ्ट द्वारा) अउर प्रमाण पत्र, खलिहा भारत के पता प भेजल जाई ।

पुरस्कार के प्रायोजक

(1) Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali
A leading software development Company

(2) गोल्डेन बैंड इंटरटेनमेंट (G-Band)
(A leading music company)
H.O.F-315, Mahipal Pur-Ext. New Delhi.

नियम 

1- रचना भोजपुरी भाषा में होखे के चाहीं |

2- रचना के कथ्य आ लिहाज अइसन होखे जे सपरिवार पढ़ल आ सुनल जा सके ।

3- रचना "मौलिक आ अप्रकाशित" होखे के चाहीं । माने रचना केहू दोसर के ना आपन लिखल होखे अउर रचना कवनो वेब साईट चाहे ब्लॉग पर पहिलहीं से प्रकाशित नत होखे ।

4- प्रतिभागी कवि आपन रचना काव्य के कवनो विधा में अधिका से अधिका कुल तीन हाली दे सकत बाड़न । ध्यान अतने राखे के बा जे रचना के स्तर बनल रहे । माने अधिका लिखे का फेरा में रचना के गुणवत्ता ख़राब नत होखे |

5- बेकार अउर नियम विरुद्ध रचना बिना कवनो कारण बतवले मंच संचालक / ओबीओ प्रबंधन दल द्वारा हटावल जा सकेला ।

6- अबही Reply बॉक्स बंद रही जवन ठीक कार्यक्रम प्रारंभ होत यानी तारीख २९ मई लागते खोल दियाई अउर 31 मई खतम भइला प बंद क दीहल जाई |

7- अगर रउआ कवनो कारने आपन रचना समय से पोस्ट करे में असमर्थ बानीं त आपन रचना ई-मेल के जरिये admin@openbooksonline.com पर भेज दिहीं | राउर रचना एडमिन OBO का ओर से राउर नाँवें पोस्ट क दीहल जाई। ओइसे कोशिश ईहे करीं जे राउर रचना रउए पोस्ट करीं । ई सुविधा खलसा ओबीओ सदस्य लोगन खातिर बा ।

8- जौन रउआ अबहीं ले ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नईखी जुड़ल त www.openbooksonline.com पर जाके sign up कइ OBO के मुफ्त सदस्यता ले लिहीं आ भोजपुरी साहित्य समूह के ज्वाइन करीं |

9- अधिका जानकारी खातिर रउआ मुख्य-प्रबंधक के ई-मेल admin@openbooksonline.com पर मेल करीं । चाहे मोबाइल नंबर 09431288405 पर संपर्क क सकत बानीं |

             मंच संचालक
           सतीश मापतपुरी
(प्रबंधक भोजपुरी साहित्य समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 5716

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

वाह वाह आदरणीय दूसरा प्रयास भी जोरदार 

सुगम सुघर मधु रस सम बानी 
बोलहि जन  भोजपुरी जानी 
देस  विदेस जँह जँह  रह  लोगा 
मीठी  मधुर  बानी  सुख  भोगा 
बहुत सुन्दर एक बार पुनः बधाई हो सादर 

आदरणीय कुशवाहा जी, का कही, बस अइसन लागत बा जईसे तीत खईला के बाद शीतल पानी भेटा गईल होखे, निक रचना लागल, बधाई सवीकार करी । 

प्रथम प्रयास

इ बिदेसी बिया से न फूल देसी फुलाई

अब पछुआ बयार रउरा लइ गयल बहाई

 

बदल वेश भूषा भइया इतरा के डोलल

जइसे देसी कुतिया मराठी बोल बोलल

रउरा तौ आपन माटी अब गयल भुलाई

इ बिदेसी बिया से न फूल देसी फुलाई

 

अंगरेजी में कहेला अब बाई टाटा

बचुआ अब फैशन मा, बाप का कहे पापा

काहे लजाला भइया बोले म तू माई

इ बिदेसी बिया से न फूल देसी फुलाई

 

काहे लजाला बोले में अपन भाखा

सुगंध से माटी के महकल बा ई भाखा

ई भोजपुरी त बा पहिचान आपन भाई

इ बिदेसी बिया से न फूल देसी फुलाई

                    - बृजेश नीरज

(मौलिक व अप्रकाशित)

भाई बृजेश जी, राउर साहित्यिक प्रयास पर मन मुग्ध बा.

ई एगो अइसन प्रयास बा जे सही समय प सही ढंग से भइल बा. जहवाँ भोजपुरी बोलनिहार लोग पता ना दुका-दुका में अझुराइल बा लोग कि हमरा भइंसिया प काहें बोललऽ .. बात लागला के अनेरिया बिसय प छिरियाइल बा लोग, रउआ चुप मार साहित्य साधना क रहल बानीं. माँ शारदा एह उत्साह आ प्रयास के गति देसु.

शुभेच्छाएँ

 

 

 

भाई बृजेश जी, आपके साहित्यिक प्रयास पर मन मुग्ध है.

यह एक ऐसा प्रयास है जो सही समय पर सही ढंग से हुआ है. जहाँ भोजपुरी बोलने वाले लोग पता नहीं कहाँ-कहाँ उलझे हुए हैं कि मेरी भैस पर उसने फिकरे क्यों कसे..  बात लगती है जैसे निकृष्ट विषय चर्चा कर रहे हैं, आप चुपचाप साहित्य साधना कर रहे हैं. माँ शारदे इस उत्साह और प्रयास को गति दें.

शुभेच्छाएँ

आदरणीय सौरभ जी आपका हार्दिक आभार! आपके स्नेह, आशीष और मार्गदर्शन से ही मुझे बल मिलता है।

आदरणीय बृजेश जी 

काहे लजाला बोले में अपन भाखा

सुगंध से माटी के महकल बा ई भाखा

ई भोजपुरी त बा पहिचान आपन भाई................वाह वाह 

बहुत उत्कृष्ट भाव है. 

पूरी रचना बहुत शानदार है... बहुत बहुत बधाई 

आदरणीया प्राची जी आपका हार्दिक आभार! 

काहे लजाला बोले में अपन भाखा

सुगंध से माटी के महकल बा ई भाखा

ई भोजपुरी त बा पहिचान आपन भाई

इ बिदेसी बिया से न फूल देसी फुलाई

प्रिय ब्रजेश जी 

सस्नेह 

कह देले मन की बतिया 

बधाई 

सादर 

आदरणीय प्रदीप जी आपका हार्दिक आभार!

सुन्दर रचना आदरणीय बृजेश जी, अपनी भाषा बोलने को प्रेरित करती सुन्दर रचना. सादर बधाई स्वीकारें.

आदरणीय रक्ताले जी आपका हार्दिक आभार!
सबसे मजेदार बात यह कि जिस भाषा की मैं यहां वकालत कर रहा हूं उसे मैं खुद ठीक से नहीं जानता।

क्या यही प्यार है .. हाँ ..हाँ, यही प्यार है.. .

भाषा के प्रति प्यार उसका सम्मान है

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"सादर अभिवादन।"
13 seconds ago
Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई सर"
15 hours ago
Admin posted discussions
18 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत खूब, बहुत खूब ! सार्थक दोहे हुए हैं, जिनका शाब्दिक विन्यास दोहों के…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
yesterday
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
yesterday
AMAN SINHA posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
Wednesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service