For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-23 (Now closed with 762 replies)

जय हिंद साथियो !

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-23 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है |  प्रस्तुत चित्र कुम्हार की घूमती हुई चाक पर कच्ची मिट्टी को संवारते हुए दो हाथ दिखाई दे रहे हैं |  आज के परिवेश में घूमती हुई समय धुरी पर इस समाज को ऐसे ही हाथों की आवश्यकता है जो कि उसे उचित दिशा व सही आकार दे सकें | जिस प्रकार से तेज आंच में तपकर ये बर्तन समाज के लिए उपयोगी हो जाते हैं ठीक उसी प्रकार से हम सब भी निःस्वार्थ कर्म और साधना की तेज आंच में तपकर अपने देश व समाज के लिए अत्यंत उपयोगी हो सकते हैं |  अब आप सभी को इसका काव्यात्मक मर्म चित्रित करना है !

*चित्र गूगल से साभार

अनगढ़ मिट्टी चाक पर, करते हाथ कमाल.

समय धुरी पर हाथ दो, सबको रहे संभाल..

कच्ची मिट्टी ही सदा, लेती है आकार.

फन में माहिर हाथ ही, करते बेड़ा पार..

तो आइये, उठा लें अपनी-अपनी लेखनी, और कर डालें इस चित्र का काव्यात्मक चित्रण, और हाँ.. आपको पुनः स्मरण करा दें कि ओ बी ओ प्रबंधन द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि यह छंदोत्सव सिर्फ भारतीय छंदों पर ही आधारित होगा, कृपया इस छंदोत्सव में दी गयी छंदबद्ध प्रविष्टियों से पूर्व सम्बंधित छंद के नाम व प्रकार का उल्लेख अवश्य करें | ऐसा न होने की दशा में वह प्रविष्टि ओबीओ प्रबंधन द्वारा अस्वीकार की जा सकती है |


नोट :-
(1) 19 फरवरी तक तक रिप्लाई बॉक्स बंद रहेगा, 20 फारवरी से 22  फारवरी तक के लिए Reply Box रचना और टिप्पणी पोस्ट हेतु खुला रहेगा |

सभी प्रतिभागियों से निवेदन है कि रचना छोटी एवं सारगर्भित हो, यानी घाव करे गंभीर वाली बात हो, रचना मात्र भारतीय छंदों की किसी भी विधा में प्रस्तुत की जा सकती है | हमेशा की तरह यहाँ भी ओबीओ के आधार नियम लागू रहेंगे तथा केवल अप्रकाशित एवं मौलिक सनातनी छंद ही स्वीकार किये जायेगें | 

विशेष :-यदि आप अभी तक www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें| 

अति आवश्यक सूचना :- ओ बी ओ प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि "ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव"  अंक-23, दिनांक 20  फरवरी से 22 फरवरी  की मध्य रात्रि 12 बजे तक तीन दिनों तक चलेगा  जिसके अंतर्गत इस आयोजन की अवधि में प्रति सदस्य अधिकतम तीन पोस्ट अर्थात प्रति दिन एक पोस्ट दी जा सकेंगी, नियम विरुद्ध व निम्न स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए प्रबंधन सदस्यों द्वारा अविलम्ब हटा दिया जायेगा, जिसके सम्बन्ध में किसी भी किस्म की सुनवाई नहीं की जायेगी |


मंच संचालक
श्री अम्बरीष श्रीवास्तव

(सदस्य प्रबंधन समूह)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम 

Views: 14422

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

महत्वपूर्ण जानकारी दी आपने सर । इस प्रकार की शंका सदैव मन में होती है कि हिन्दी की कविता में उर्दू और अन्य भाषाओं के शब्द कितने और किस सीमा तक प्रयोग किये जा सकते हैं ।

"हम हिन्दी भाषा को व्यावहारिक भाषा ही रहने दें" । इस पंक्ति से शंका का समाधान हो गया । प्रणाम ।

भाई आशीषजी, हिन्दी के विकास काल को जानना इस क्रम में रोचक होगा.

हम अपनी भाषा को सांस्कारिक करें लेकिन अव्यावहारिक नहीं, इसी उद्येश्य से आदरेया वेदिका की शंका पर इन दोहों को उद्धृत किया ताकि हाथ कंगन को आरसी क्या की कहावत चरितार्थ हो जाये. इस प्रयास से आपको भाषा की व्यंजना के स्तर पर लाभ हुआ यह अधिक महत्त्वपूर्ण है.

सादर धन्यवाद

bahut hi sargarbhit dhang se aadarniy Saurabh ji ne shanka ka samadhan kar diya..हम हिन्दी भाषा को व्यावहारिक भाषा ही रहने दें.

sadhuwad

स्वागत है आदरणीय तुषार जी, बहुत ही सुंदर प्रयास.कुण्डलिया का निम्न विधान आपके लिए निश्चय ही उपयोगी साबित होगा...

कुण्डलिया छंद –  इसमें छ: पंक्तियाँ होती हैं . प्रथम शब्द ही अंतिम शब्द होता है. शुरु की दो पंक्तियाँ दोहा होती हैं अर्थात 13 ,11 मात्राएँ .अंत में एक गुरु और एक लघु.

अंतिम चार पंक्तियाँ रोला होती हैं अर्थात 11 ,13 मात्राएँ. दोहे का अंतिम चरण ही रोले का प्रथम चरण होता है ..

अब इस आयोजन में प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों का पुन: अवलोकन करने से सम्भवत: सभी संशय दूर हो जायेंगे. सादर...

परवरिश चाक समान है, शिशु माटी के तुल्य

ममता प्राण समान है, है सबसे अमूल्य...sunder bhaw

आदरणीय मंच संचालकजी, चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-23  में मेरी प्रथम प्रस्तुति दोहा छंद  सादर प्रस्तुत है 
 
सधे हाथ हों साथ 

आता है संसार में, बालक एक अबोध ।

माली कैसे सींचता, उस पर निर्भर पौध ।।
  - - - - - - - - - - - - - - - - - - --- - -
हम दोनों के हाथ में, माटी कच्चा माल ।
निपुण हाथ जिसके रहे, करते बही कमाल ।।
  - -- - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -
कच्ची मिटटी एक सी, नहीं ज़रा भी भिन्न ।
यह कला कुम्हार करे, मूरत बने अभिन्न ।।
- - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - 
जिसका मन पर संतुलन, समय धुरी पर हाथ।
अंगुली धुरी पर रहे, कुदरत  भी दे   साथ  ।।
   - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -
श्रम संयम के योग से, मिटटी ले आकार ।
एक कला का पारखी,  दूजे का व्यापार   ।।
   - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -
मन में भर संवेदना, धरे चाक पर हाथ ।
उभरे मूरत भाव ले, सदे हाथ हो साथ ।।
  - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - 
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला 

आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद लड़ीवाला जी 

दोहों पर यह सुन्दर प्रयास हुआ है....

आता है संसार में, बालक एक अबोध ।

माली कैसे सींचता, उस पर निर्भर पौध ।।...यह दोहा बहुत बढ़िया है..
सुन्दर भावों से चित्र को शब्द देनें के लिए बधाई.
सादर.

दिल से हार्दिक आभार डॉ प्राची बहन, आपका अनुमोदन मेरे रचना कर्म को प्रोत्साहित करता है सादर 

आदरणीय बहुत सुंदर दोहे गज़ब के भाव भरे हैं सभी में आपको हार्दिक बधाई 

दोहों को सराह कर प्रमाणपत्र देने के लिए हार्दिक आभार अदरेया राजेश कुमारी जी 

आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी, आपकी प्रस्तुत प्रविष्टि आपकी सतत कोशिशों का नतीजा है. एक-दो स्थानों की शिल्पगत त्रुटियों को छोड़ दिया जाय तो आपके दोहों में उच्च भाव बह रहे हैं. इस हेतु सादर बधाई .. .

अधोलिखित पंक्तियों को देखियेगा -

यह कला कुम्हार करे, मूरत बने अभिन्न = यही कला कुम्हार की, मूरत बने अभिन्न

अंगुली धुरी पर रहे,  कुदरत भी दे साथ  =  सधी रहें फिर उँगलियाँ, कुदरत भी दे साथ

ये मेरे प्रथम दृष्ट्या सुझाव भर हैं. इनसे भी बेहतर पंक्तियाँ संभव हैं.

सादर

आदरणीय सौरभ जी,आप द्वारा जिस तरीके से टिपण्णी कर रचना कर्म में बढ़ने के लिए प्रेरित करते है,उसके आगे नतमस्तक हूँ ।इस दोहे में आपने शिल्प में सुधार कर गेयता बढ़ा दी है और मुझे संज्ञान हुआ, इसके लिए दिल से आभार, साधुवाद, सादर !

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"ख़्वाबों के मुकाम (लघुकथा) : "क्यूॅं री सम्मो, तू झाड़ू लगाने में इतना टाइम क्यों लगा देती है?…"
1 hour ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"स्वागतम"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"//5वें शेर — हुक्म भी था और इल्तिजा भी थी — इसमें 2122 के बजाय आपने 21222 कर दिया है या…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, बहुत अच्छी ग़ज़ल है आपकी। इस हेतु बधाई स्वीकार करे। एक शंका है मेरी —…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"धन्यवाद आ. चेतन जी"
3 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय ग़ज़ल पर बधाई स्वीकारें गुणीजनों की इस्लाह से और बेहतर हो जायेगी"
4 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बधाई स्वीकार करें आदरणीय अच्छी ग़ज़ल हुई गुणीजनों की इस्लाह से और बेहतरीन हो जायेगी"
4 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय ग़ज़ल मुकम्मल कराने के लिये सादर बदल के ज़ियादा बेहतर हो रहा है…"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, आपने मेरी टिप्पणी को मान दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश जी, मेरी शंका का समाधान करने के लिए धन्यवाद।"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुकला जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service