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जय हिंद! दोस्तों !

अंक -११ की अपार सफलता के बाद 'चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता अंक -१२ में आप सभी का हार्दिक स्वागत है!  

मानवता के लिए मर-मिटने वालों में सबसे पहला नाम ‘हिन्दुस्तान’ का है | देश- प्रेम के साथ-साथ यहाँ के नौजवानों में सभी के प्रति सहृदयता व आपसी-सहयोग की भावना अद्वितीय है जिसके लिए  ये अपनी जान तक दांव पर लगा देते हैं | यही नौजवान जब हमारी सेना में आते हैं तो हमारी सेना इनके इस जज्बे को किस हद तक निखार देती है ! इसका एक नमूना इस बार के चित्र के माध्यम से आपके समक्ष है !

जरा एक नजर तो डालिए इस बार के चित्र पर !  क्या यह स्वयं परिभाषित नहीं है !

 

 मन न्यौछावर देश पर, तन की क्या परवाह.

ऐसा जज्बा है कहीं ? मुँह से निकले वाह..


आइये तो उठा लें आज अपनी-अपनी कलम, और कर डालें इस चित्र का काव्यात्मक चित्रण !  

और हाँ! पुनः आपको स्मरण करा दें कि ओ बी ओ प्रबंधन द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि

यह प्रतियोगिता सिर्फ भारतीय छंदों पर ही आधारित होगी  

साथ-साथ इस प्रतियोगिता के तीनों विजेताओं हेतु नकद पुरस्कार व प्रमाण पत्र  की भी व्यवस्था की गयी है ....जिसका विवरण निम्नलिखित है :-


"चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता हेतु कुल तीन पुरस्कार 
प्रथम पुरस्कार रूपये १००१
प्रायोजक :-Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali
A leading software development Company 

 

द्वितीय पुरस्कार रुपये ५०१
प्रायोजक :-Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali

A leading software development Company

 

तृतीय पुरस्कार रुपये २५१
प्रायोजक :-Rahul Computers, Patiala

A leading publishing House

नोट :-

(1) १७ तारीख तक रिप्लाई बॉक्स बंद रहेगा, १८  से २० तारीख तक के लिए Reply Box रचना और टिप्पणी पोस्ट करने हेतु खुला रहेगा |

(2) जो साहित्यकार अपनी रचना को प्रतियोगिता से अलग  रहते हुए पोस्ट करना चाहे उनका भी स्वागत है, अपनी रचना को"प्रतियोगिता से अलग" टिप्पणी के साथ पोस्ट करने की कृपा करे | 

(3) नियमानुसार "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता अंक-११ के प्रथम व द्वितीय स्थान के विजेता इस अंक के निर्णायक होंगे और नियमानुसार उनकी रचनायें स्वतः प्रतियोगिता से बाहर रहेगी |  प्रथम, द्वितीय के साथ-साथ तृतीय विजेता का भी चयन किया जायेगा | 


सभी प्रतिभागियों से निवेदन है कि रचना छोटी एवं सारगर्भित हो, यानी घाव करे गंभीर वाली बात हो, रचना पद्य की किसी विधा में प्रस्तुत की जा सकती है | हमेशा की तरह यहाँ भी ओ बी ओ  के आधार नियम लागू रहेंगे तथा केवल अप्रकाशित एवं मौलिक कृतियां ही स्वीकार किये जायेगें | 

विशेष :-यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें|  

अति आवश्यक सूचना :- ओ बी ओ प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता  अंक-१२ , दिनांक १८  मार्च  से २० मार्च की मध्य रात्रि १२ बजे तक तीन दिनों तक चलेगी, जिसके अंतर्गत आयोजन की अवधि में प्रति सदस्य   अधिकतम तीन पोस्ट ही दी जा सकेंगी साथ ही पूर्व के अनुभवों के आधार पर यह तय किया गया है कि  नियम विरुद्ध व निम्न स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए प्रबंधन सदस्यों द्वारा अविलम्ब हटा दिया जायेगा, जिसके सम्बन्ध में किसी भी किस्म की सुनवाई नहीं की जायेगी |

 

  • मंच संचालक: अम्बरीष श्रीवास्तव

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आदरणीय सौरभ सर... दोहे शिल्प और कथ्य की दृष्टि में कहाँ ठहरते हैं इस पर आपकी प्रतिक्रिया का आकांक्षी हूँ.. किस जगह पर सुधार वांछित है सो कृपया जरूर सूचित करें.. यही प्रार्थना 

आपके सभी दोहे संयत और निर्दोष होते गये हैं.

अरीदमन अक्षरी/हिज्जे  के लिहाज से अरिदमन होता है.  फिर तो उक्त दोहा पुनः मात्रा-दोष से युक्त हो जायेगा.  कृपया देख लें भाई दुष्यंतजी. 

आदरणीय  भाई सौरभ जी मझे तो 'अरिमर्दन' का प्रयोग उचित लग रहा है !

सटीक सुझाव, भाईजी !

अनुमोदन के लिए आभारी हूँ !

वाह वाह..   

अरिदलन से अरिमर्दन, दोष हुआ है दूर 
ओ बी ओ पर सीख लो, अवसर हैं भरपूर 
//अरिदलन से अरिमर्दन, दोष हुआ है दूर //
अरिमर्दन, तज अरिदलन,  दोष हुआ है दूर 
इसका प्रतिस्थापन  भी हो गया है ....जय हो जय हो .....:-))

जय हो ... क्या कहने सुधार में भी सुधार :)))) जय ओ बी ओ

जय ओ बी ओ .....;-)))))

भाई बागी जी आप सही हैं क्योंकि सदा अग्रणी वीर में ११ ही मात्राएँ  हैं  !

दुष्यंत जी, जहाँ तक मुझे मालूम है आधे अक्षरों की गणना अपने से पूर्व आ रहे अक्षर के साथ की जाती है/ यदि पूर्व आ रहा अक्षर लघु हो तो अर्ध अक्षर गिना जाएगा और अगर पहले ही गुरु हो तो नही गिना जाएगा/ मैने कहीं भी नीचे लगाने वाले र को गिनती मे नही देखा है जैसे प्रजा, प्रभाव आदि शब्दों मे इसे नही गिना जाता जबकि प भी यहाँ लघु है और उच्चारण भी प के बाद ही हो रहा है/ इस लिए मैने आपको देख लेने का सुझाव दिया था/ क्योंकि मैं बहुत विश्वास से इसे सही या ग़लत नही कह सकता/  अधिकारी विद्वानों से पुष्टि कर लें/ सादर 

आदरणीय रघुविंद्रजी, आप शत् प्रतिशत् सही हैं. किन्तु आप यह भी देखिये कि जो उदाहरण आप दे रहें वह उन शब्दों की मात्राओं का है जिसका प्रारम्भ ही संयुक्ताक्षर है, यथा, प्रजा, प्रभाव आदि.  परन्तु,  सुप्रभात जैसे शब्दों में सु पर मात्रा दो होगी, पर एक की,  भा पर पुनः दो की  तथा पर एक की मात्रा होगी.

सादर

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"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
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"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
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