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काहे रे जीवनबैरी जीवनबैरी पी ...
 
बच्चन के कपडा फाटल फाटल ,
पडल बाड तू गटर गटर , 
छोड़ के इ तू बढ़िया से जी ,
काहे रे जीवनबैरी जीवनबैरी पी ...
 
साम होते तू पागल पागल ,
कईसन रोग इ लागल लागल , 
आच्छा रहित की पिअते घी  ,
काहे रे जीवनबैरी जीवनबैरी पी ... 
 
मँह चाटत बा कुकुर कुकुर ,
तू देखत बाड़े टुकुर टुकुर , 
अइसन जीवन पर छी छी छी ,
काहे रे जीवनबैरी जीवनबैरी पी , 
 
तोहरा से बढ़िया बबलू मुन्ना ,
रोज बढ़त बारन दुन्ना दुन्ना , 
रवी पप्पू से कुछउ सीखी ,
काहे रे जीवनबैरी जीवनबैरी पी.. .
 

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Replies to This Discussion

bahut badiya va.......sir

kulluvi

dhanyavad sir ji

गुरु जी बहुते नीमन लिखलीं|

मुह चाटत बा कुकुर कुकुर ,
तू देखत बाड़े टुकुर टुकुर ,
एकदम सही| पियला के बाद क इहे स्थिति हो जाला|
आच्छा रहित की पिआती घिव 
बढ़िया नसीहत भी देहले हईं|

dhanyavad bhai aashish ji

Hamesha aisan bahute niman likhale bani. 

dhanyavad neelam di

तोहरा से बढ़िया बबलू मुन्ना ,
रोज बढ़त बारन दुन्ना दुन्ना vah bahut badhiya guruji 

dhanyavad brij bhushan ji

कोलकाता के अबकी के प्रवास दौरान, बीस तारीख जनौरी, शुक्करवार दिना, रवि भाई, रउआ आ शकूर भाई से भेंट एगो यादगार मौका रहुए.  मुलाकात घरिया एह रचना के पहिलुका रूप रेखा से रउआ हमरा परिचित करौले रहनीं.  जइसन सभका पता बा, ई रचना के मूल ढंग ’कोलावरी डी..’  कुछ अउरिये ह ऽ.  बाकिर रउआ त दारू के खिलाफ़ ओही सुर में एगो मूहिम के ढंग दे देले बानी.  भाई, बहुत-बहुत बधाई.

 

dhanyavad bhaiya hausla badhawe khatir

मँह चाटत बा कुकुर कुकुर ,
तू देखत बाड़े टुकुर टुकुर ,
अइसन जीवन पर छी छी छी ,
काहे रे जीवनबैरी जीवनबैरी पी ,
"सुध-बुध खो के पीये वालो को होश में आने के बाद उनके लिए ये एक अक्षा संदेश !!!!!!!!!!!!!


!!!!! वाह गुरु जी वाह गुरु जी......

dhanyavad sanjay ji

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"जय हो.. "
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"वाह .. एक पर एक .. जय हो..  सहभागिता हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय अशोक…"
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"क्या बात है, आदरणीय अशोक भाईजी, क्या बात है !!  मैं अभी समयाभाव के कारण इतना ही कह पा रहा हूँ.…"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, आपकी प्रस्तुतियों पर विद्वद्जनों ने अपनी बातें रखी हैं उनका संज्ञान लीजिएगा.…"
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"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी सहभागिता के लि हार्दिक आभार और बधाइयाँ  कृपया आदरणीय अशोक भाई के…"
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"आदरणीय अखिलेश भाई साहब, आपकी प्रस्तुतियाँ तनिक और गेयता की मांग कर रही हैं. विश्वास है, आप मेरे…"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, इस विधा पर आपका अभ्यास श्लाघनीय है. किंतु आपकी प्रस्तुतियाँ प्रदत्त चित्र…"
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"आदरणीय मिथिलेश भाईजी, आपकी कहमुकरियों ने मोह लिया.  मैंने इन्हें शमयानुसार देख लिया था…"
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"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार.…"
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"   आदरणीय मिथिलेश जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से आभार.…"
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"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
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