For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय मित्रों !

आप सभी का हार्दिक स्वागत है ! शिक्षा हमारे जीवन का अति महत्वपूर्ण अंग है क्योंकि यही हमारा चरित्र निर्माण करती है, हमारा आत्मविश्वास बढ़ती है  साथ-साथ हमारे व्यक्तित्व को भी सही दिशा प्रदान  करती हुई हमारे जीवन में सुगंध ही सुगंध बिखेर देती है|  वस्तुतः हमारा संपूर्ण व्यक्तित्व ही इस बात पर निर्भर करता है कि हमने किस स्तर की शिक्षा प्राप्त  की है ...दोस्तों ! अशिक्षा तो एक अभिशाप की तरह है परन्तु शिक्षा प्राप्त करने हेतु उम्र बिल्कुल बाधक नहीं होती. इसी को मद्देनज़र रखते हुए सर्वसहमति से  इस बार  'चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता अंक -६' हेतु  ऐसे चित्र का चयन किया है जिसमें यह स्पष्ट रूप से यह परिलक्षित हो रहा है कि शिक्षा तो किसी भी उम्र में प्राप्त की जा सकती है !    

आइये तो उठा लें आज अपनी-अपनी कलम, और कर डालें इस चित्र का काव्यात्मक चित्रण !  और हाँ आप किसी भी विधा में इस चित्र का चित्रण करने के लिए स्वतंत्र हैं ......


नोट :-

(1) १५ तारीख तक रिप्लाई बॉक्स बंद रहेगा, १६ से १८ तारीख तक के लिए Reply Box रचना और टिप्पणी पोस्ट करने हेतु खुला रहेगा |

 

(2) जो साहित्यकार अपनी रचना को प्रतियोगिता से अलग  रहते हुए पोस्ट करना चाहे उनका भी स्वागत हैअपनी रचना को"प्रतियोगिता से अलग" टिप्पणी के साथ पोस्ट करने की कृपा करे 

 

(3) नियमानुसार "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता अंक- के प्रथम व द्वितीय स्थान के विजेता इस अंक के निर्णायक होंगे और उनकी रचनायें स्वतः प्रतियोगिता से बाहर रहेगी |  प्रथम, द्वितीय के साथ-साथ तृतीय विजेता का भी चयन किया जायेगा |  

 

 सभी प्रतिभागियों से निवेदन है कि रचना छोटी एवं सारगर्भित हो, यानी घाव करे गंभीर वाली बात हो, रचना पद्य की किसी विधा में प्रस्तुत की जा सकती है | हमेशा की तरह यहाँ भी ओ बी ओ  के आधार नियम लागू रहेंगे तथा केवल अप्रकाशित एवं मौलिक रचना ही स्वीकार की जायेगी  |

विशेष :-यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें

 

अति आवश्यक सूचना :- ओ बी ओ प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता अंक-तीन दिनों तक  चलेगी, जिसके अंतर्गत आयोजन की अवधि में प्रति सदस्य   अधिकतम तीन पोस्ट ही दी जा सकेंगी,, साथ ही पूर्व के अनुभवों के आधार पर यह तय किया गया है कि  नियम विरुद्ध व निम्न स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए प्रबंधन सदस्यों द्वारा अविलम्ब हटा दिया जायेगा, जिसके सम्बन्ध में किसी भी किस्म की सुनवाई नहीं की जायेगी |



Views: 14220

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

होनहार बिटिया जी, होय गई है सयानी,

दादी अम्मा को पढ़ना, पोती सिखाय रही |

 

वाह गणेश भैया वाह...बहुत ही बढ़िया लिखा है आपने...जय हो आपकी...

वाह भाई  ! वाह !


वाह-वाह भाई बागी, कविताई नेह पागी, 
सभी को लगन लागी, जोश भरपूर है.

अक्षरों से जोड़ें पाई, बहूबेटी मन भाई
एकता ही सिखलाई, चहुँ ओर नूर है

बूढ़ी-बूढ़ी देखो दादी, अधनंगी सूती खादी,
फिर भी न थकी-मादी, पढ़ना जरूर है.

श्याम पट्ट अँधियारा, स्लेट का भी रंग कारा,
अक्षर दें  उजियारा, मिटता गुरूर है ..

काम नहीं कोई मुश्किल

( प्रतियोगिता से अलग )

 

देख लिया है - जान लिया है, काम नहीं कोई मुश्किल.

गर इन्सान ठान ले मन में, तो हर प्रश्न का मिलता हल.

 

मेहनत अपनी रंग ला रही, उम्र के हम मोहताज़ नहीं.

जो चाहेंगे - वो कर लेंगे, नामुमकिन कोई काज नहीं.

बीत गयी जो - बात गयी वो, अब मुट्ठी में है हर पल.

गर इन्सान ठान ले मन में, तो हर प्रश्न का मिलता हल.

 

पढ़ना - लिखना सीख रहे हैं, अंगूठा नहीं लागायेंगे.

बीडीओ -सीओ, सेठ - महाजन, अब नहीं मूर्ख बनायेंगे.

कल था जितना स्याह हमारा, उतना जगमग होगा कल.

गर इन्सान ठान ले मन में, तो हर प्रश्न का मिलता हल.

 

काला अक्षर भैंस बराबर, अब ये कहावत बेमानी.

हम अब पढ़ सकते हैं सब कुछ, चाहे कविता- लेख - कहानी.

जब से अक्षर - बोध हुआ है, पढ़ने की मन में हलचल.

गर इन्सान ठान ले मन में, तो हर प्रश्न का मिलता हल.

 

गीतकार -- सतीश मापतपुरी

लगन से ही मिलता हल..बहुत अच्छी रचना, सतीश जी....बधाई !

 

''जब से अक्षर - बोध हुआ है, पढ़ने की मन में हलचल.

गर इन्सान ठान ले मन में, तो हर प्रश्न का मिलता हल.''

शुक्रिया शन्नो जी

//मेहनत अपनी रंग ला रही, उम्र के हम मोहताज़ नहीं.

जो चाहेंगे - वो कर लेंगे, नामुमकिन कोई काज नहीं.

बीत गयी जो - बात गयी वो, अब मुट्ठी में है हर पल.

गर इन्सान ठान ले मन में, तो हर प्रश्न का मिलता हल.//

 

क्या जहने हैं सतीश भाई  - बहुत सुन्दर ! सत्य कहा यदि मनुष्य दृढ निश्चय कर ले रो कुछ भी असंभव नहीं है ! दिए गए चित्र को जिस ख़ूबसूरती से आपने परिभाषित किया हैं उसके लिए आपको हार्दिक बधाई देता हूँ ! 

आपकी सराहना मिल गयी - मेरा श्रम सार्थक हुआ ....................... दिल से आभार आदरणीय

//गर इन्सान ठान ले मन में, तो हर प्रश्न का मिलता हल.//

आपकी इन पंक्तियों ने बहुत बल दिया है,  आभार ...

भाई सतीशजी, आपकी इस गेय कविता पर मेरी अनेकानेक बधाइयाँ स्वीकारें.

आपकी आत्मीय सराहना से अवर्णनीय बल मिला है मित्रवर ............. सादर आभार

सादर

 


आदरणीय मापतपुरी जी, बहुत ही उम्दा गीत. एक एक पंक्ति दृढ संकल्प और नव-चेतना का संचार करती प्रतीत होती है. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये.

धरम भाई, दिल से आभार

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. रचना बहन, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। भाई अमित जी के सुझाव भी अच्छे हैं।…"
40 minutes ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"जी भाई  मैं सोच रही थी जिस तरह हम "हाथ" ,"मात ",बात क़वाफ़ी सहीह मानते…"
44 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"पाँचवें शेर को यूँ देखें वो 'मुसाफिर' को न भाता तो भला फिर क्योंकर रूप से बढ़ के जो रूह…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई संजय जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. रचना बहन, तर की बंदिश नहीं हो रही। एक तर और दूसरा थर है।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए बहुत बहुत बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"कर्म किस्मत का भले खोद के बंजर निकला पर वही दुख का ही भण्डार भयंकर निकला।१। * बह गयी मन से गिले…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार बहुत अच्छा प्रयास तहरी ग़ज़ल का किया आपने बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की…"
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ही ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये एक से एक हुए सभी अशआर और गिरह…"
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बेहतरीन ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये मक़्ता गिरह ख़ूब, हर शेर क़ाबिले तारीफ़…"
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"2122 1122 1122 22/112 घर से मेले के लिए कौन यूँ सजकर निकलाअपनी चुन्नी में लिए सैकड़ों अख़्तर निकला…"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service