For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" एक चीख " एक सच्ची घटना .. Dr Nutan Gairola

ये कैसा महिला का महिला के प्रति प्यार ?
एक चीख मेरे कानो में गूंजती है ..बात छह महीने पहले की है ..जबकि एक चीख की आवाज पर मैं  अपने चेम्बर से बाहर निकली तो पाया - दर्द में पीड़ित महिला को, जो आठ माह के गर्भ से थी काफी रक्तस्त्राव की वजह से पीली पड़ी हुवी  थी | मैं  स्त्रीरोग विशेषज्ञ होने की वजह से इमरजेंसी के समय अल्ट्रासाउंड भी करती हूँ | उसका अल्ट्रासाउंड करते

 समय मन में विचार आ रहे थे और चिंता थी  कि  किस तरह से रक्तस्त्राव

Me - Dr Nutan                             को रोका जाये तभी उसकी सास और खुद मरीज की आवाज कान में आई कि  जरा ध्यान से करियेगा अल्ट्रासाउंड  | मैंने कहा कि  आप चिंता न करिएगा कहीं कोई कमी नहीं  की जाएगी | सास ने कुछ फुसफुसाने के अंदाज में कहा ..जरा ध्यान से देखिएगा .. मुझे आश्चर्य हुवा कि  ये कौन से ध्यान की बात कर रहे है .. मैंने पूछा क्या चाहते है आप मुझसे .. तो वो बोली की देखिये की पेट में शिशु लड़का है कि लड़की .. मैं हतप्रभ रह गयी .. मैंने कहा जो है वो भगवान् का दिया है आप ऐसी अमानवीय बातें  न करें  .. मरीज की और बच्चे की स्तिथि खराब है किस तरह से उन्हें  ठीक किया जाये बस अभी यही सवाल है .. आप देख रहीं हैं कि मरीज तकलीफ में है .. फिर भी आप ऐसी बात कर रहीं  हैं  .. तभी मरीज भी बोली..नहीं डॉक्टर साहब हाथ जोडती हूँ ..बताइए की ( पेट की और इशारा कर ) ये क्या है ? .....ओह .. तो आप लोगो को अपने और बच्चे के स्वास्थ से कोई मतलब नहीं | मैंने अपना काम किया | अल्ट्रासाउंड का प्रोब वापस मशीन पर रखा और स्टाफ को आर्डर देने लगी की ये इंजेकशन लगाओ .. और दवाई का परचा बनाया .. मरीज की सास जी को बुलाया गया .. वह मुझसे लड़ पड़ी कि  आप बतायें  कि वो  क्या है..? मैंने उन्हें  बताया कि यह कार्य मैं नहीं करती हूँ | मैंने दवाई का परचा बनाया चुपचाप परचा सरकाया और कहा मरीज की हालत ठीक नहीं है कृपया ये दवाई उसे दिलवा दे और अस्पताल में भरती करवा दें...उन्हें सघन चिकित्सीय संरक्षण की जरुरत है .... वह (सास ) बोली आप बता नहीं रही हैं  क़ि क्या है .. हमने पहले भी कहीं  बाहर से अल्ट्रासाउंड करवाया है.. उन डॉक्टर ने बताया है क़ि लड़का है तब हमने इस बच्चे को रखा है..और देखिये मैंने देवी से मनौती  भी मांगी है पुरे नौ दिन का नवरात्रि का व्रत रखा है .. पर आप चुप हैं  तो इसका मतलब है क़ि पेट में लड़की है.. फिर हम क्यों इस के लिए दवाई लें |..मैंने कहा - मैं मरीज की  बीमारी की डाइग्नोसिस  और उस हिसाब से इलाज हेतु  अल्ट्रासाउंड करती हूँ |लड़का लड़की को देखने के लिए नहीं और आपने पूर्व में किसी डाक्टर से दिखवाया है ..ये आप और वो समझ सकते है पर मुझे तो मरीज को और पेट के शिशु को ठीक करना है और यह भी कि लड़की की कितनी जरूरत है समाज को कितना महत्व है लड़की का ..समझाया ..लड़की को पढाया लिखाया जाये तो वो प्रेम स्नेह की प्रतिमूर्ति होगी और  लडकों से कम न होगी किसी भी क्षेत्र में  और ये भी बताया कि तुमने जिस देवी का व्रत लिया है वह भी स्त्री है .....पर वो मरीज और उसकी सांस कहने लगे की चाहे कुछ भी हो इलाज तभी लेंगे जब की ये गर्भ में शिशु पुत्र हो.. सास कहने लगी की मैं  तो अपने बेटे की दूसरी शादी करवा दूंगी किन्तु आश्चर्य यह भी हुवा कि खुद बहु भी सास का साथ देती रही कि लड़की होगी तो मैं  नदी में कूद लगा दूंगी | मेरे लिए बड़ी असमंजश की स्तिथि थी  | मैंने कहा इन्हें  भर्ती कर दो आप हॉस्पिटल में .. सास और बहु साथ साथ बोले लड़का होगा तभी भर्ती.... ..यह एक बहुत दुःख भरी शर्मनाक सामाजिक सोच थी... जिसका मैं  सामना कर रही थी | किसी तरह से मैंने फिर उन्हें  सेम्पल से मुफ्त की दवाई दिलवाई ताकि महिला और बच्चा बिना दवाई के गंभीर न हो जाये और वो सास बहु वापस घर चले गए | मैं  समाज में लोगो की इतनी संकुचित मानसिकता पर दुखी हो गयी...


एक चीख - चार दिन बाद फिर वही चीख और हो हल्ला ..अबकी बार देखा बहुत सारे लोग महिला को घेरे हुवे थे और वह दर्द से बेहाल चिल्ला रही थी ..मुझे देखते ही साथ चिल्लाई डॉक्टर मुझे बचा लो मुझे बचा लो . यह वही मरीज थी जो चार दिन पहले सुरक्षित तरीके से इलाज लेने के लिए तैयार न हुई थी ...

                                                                                                                      Me n Pt-- Foetal monitaring                         उसकी वही रुढ़िवादी सास भी साथ थी .. बहुत स्तिथि गंभीर थी .. घर में चार दिन से दाई काफी प्रयाश कर चुकी थी और खून भी काफी जाया हो चुका था .. वह एक जटिल  केस में तब्दील हो चुका था ..तुरंत ऑपरेशन थीएटर में शिफ्ट किया गया और बहुत तेज़ी से इलाज  किया गया सधे हाथों से और औजारों से और दवाई से और चाक से और वह एक नीला पड़ा हुवा शिशु था जो की शिथिल पड़ चूका था ..सांस नहीं ले रहा था और कोई आवाज नहीं थी उसकी | वह उस महिला के इच्छाओ के अनुरूप पुत्र ही था | लेकिन एकदम निस्तेज और शिथिल इतना कि  बच्चे का शरीर झूल रहा था | नवजात को बचाना था .. कार्डियक मसाज की, ऑक्सीजन दी गयी, नाभि से दवाइयां इंजेक्ट की गयी , मुंह और श्वास नली से पानी खिंचा गया और कृत्रिम शवास दी गयी,तथा वातानुकूलन का सम्पूर्ण ख्याल रखते हुवे कोशिश की गयी और बाल रोग विशेषज्ञ की बुला दिया गया ..तभी हमारी मेहनत सफल हुवी और बच्चा खुल के रोने लगा | और उसका रंग भी गुलाबी होने लगा | मेरे और मेरे साथ कार्यरत अन्य सभी लोगो क चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ पड़ी |

एक चीख के साथ हमारा मुस्कुराना रुक गया | मरीज कह रही थी की ये बच्चा मुझे नहीं चाहिए इसे आप लोग अपने पास रखिये | स्टाफ नर्स बोली शुभशुभ बोलो बच्चा बड़ी मेहनत के बाद रो पाया है और आपकी इच्छा के मुताबिक बेटा हुवा है | मरीज बोली इस तरह की आवाज लड़की की होती है | आप लोग मुझसे झूठ बोल रहे है | इसे नाली में फैंक दो .. हम एक दुसरे का मुंह देखते रह गए | मन तो किया की एक तमाचा जड़ दो किस तरह से हम मेहनत कर रहे हैं , किस तरह से जीवन मिल पाया और यह उसको नाली  में फैंकने की बात कर रही है ..उसको चुप करना जरूरी था क्यूंकि वह ४ दिन से स्ट्रेस में थी | बच्चे को उसके हाथ में दिया और वह फिर ख़ुशी से तालियाँ बजाने लगी | मरीज को शिफ्ट करना था .. सो बच्चे को अच्छी तरह से कपडे में लपेटा गया और मैं ऑपरेशन थियेटर से बाहर निकली और बधाई कहते हुवे जैसे ही बच्चा, बच्चे की दादी के हाथ पकड़ाना चाहा वह छिटक कर दूर जा खड़ी हुई |

 

एक चीख गूंजी की ये बच्चा हमें नहीं चाहिए .. हम इसे गोद नही लेंगे .. मैंने कहा आपके लिए ख़ुशी की बात है ..सब कुछ अंत में ठीक हो गया ..बच्चे में जान आ गयी .. आप इसे अपनी गोद में ले लें .आपका नाती हुवा | वह बोली - आप झूठ बोल रही है | इस बच्चे को हम न पालेंगे इसे आप ही रखिये | मैं भौचक्की रह गयी | मैंने बच्चे के चाचा को आवाज लगायी ..बच्चे को पकड़ो तो वह भी न आगे आया | तब मैंने कठोर आवाज में कहा के अगर इस तरह से करोगे तो मुझे आपके विरूद्ध कठोर कदम उठाने पड़ेंगे और यह आपका भतीजा है मैंने खुलासा किया दुबारा | तो चाचा जैसे ही बच्चे को पकड़ने के लिए आगे बड़ा ..दादी चिल्लाई ..पकड़ना मत पहले देख कि  क्या है | उनकी बातों से मेरा सर शर्म झुक गया | जब उन्होंने बच्चा नहीं पकड़ा तो मैं उनके कमरे के बिस्तर में बच्चे को रख आई और सोचा की देखती हूँ अब क्या करते हैं  | मैंने देखा की वो दूर दूर से ही बच्चे के पास गए और दूर से नफरत से बच्चे के कपडे पलटने लगे और जब उन्होंने देखा की यह एक पुत्ररत्न है ..ख़ुशी से वहाँ गूंज उठी ...

"एक चीख"और इस एक चीख के साथ मेरे दिमाग में हजारो प्रश्न दौड़ने लगे | क्या यह समाज का दर्पण है ? आज भी हमारे समाज में ऐसे लोगो की कमी नहीं जो इन मनोविकारों  से त्रस्त हैं ... पुरुष और महिलाओ में भेद है .. समाज में रहने वाले कई लोग ऐसे है जिन्हें  पुत्र चाहिए.. पुत्री हो या ना हो.. पुत्री को गर्भ में ही कुचलने की साजिशें रची जाती हैं   और पैदा हो जाये तो क्या ठिकाना कि कहाँ नाली में फैंक दी जाये  और पाली भी जाये तो पुत्री होने का खामियाजा भुगतती रहे जिंदगी भर ....उपेक्षित और तानों के बीच ..... कब होगा यहाँ समानता का व्यवहार .. ऐसा नहीं की आज सभी की सोच ऐसी है | फिर भी अभी ऐसा सोचने वालो का अनुपात कुछ कम नहीं ..... यह चीख आज भी मेरे मन मस्तिष्क में गूंजती है ..कि अगर वह नवजात शिशु बच्ची होती तो क्या मिलता उसको जीवन में.. ऐसे परिवार में कन्या होने पर जीवन भर यंत्रणा .. और महिला ही महिला पर ऐसे अत्याचार क्यों करती है ? सास बहु पर और माँ गर्भ में पल रही कन्या शिशु पर ...और ये भी कि देवी कि पूजा तो करते है जो कि नारी का स्वरुप है फिर इस स्वरुप को अपनाने में हिचकते क्यों है...और कहते है कि " यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते , रम्यनते तत्र देवता "

मेरी डायरी से - अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर लिखी .. एक कहानी लेख

Views: 997

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विवेक मिश्र on March 6, 2011 at 12:26am
डा. नूतन जी. आपका लेख पढने के बाद उस महिला और उसके परिवारजनों के लिए मन गुस्से से भर उठा. अफ़सोस होता है कि इस दौर में भी, जब लड़के-लड़कियाँ हर दिशा में कदम से कदम मिलाकर साथ-साथ चल रहे हैं, ऐसे लोग मौजूद हैं जो पुत्र और पुत्री में इतना भेदभाव करते हैं. जाने हम कब सुधरेंगे...
Comment by Dr Nutan on March 5, 2011 at 12:50am
Arun ji aapka bahut bahut dhanyvaad ... Aap jaise yuvak hee is soch ko samaaj se hatane ke liye mahila kaa sath de t samaj kee is mansikta par rok lag sakti hai... aapka punah dil se aabhaar...
Comment by Abhinav Arun on February 19, 2011 at 7:10pm
डॉ नूतन जी आपने बिलकुल सही  सामाजिक परिदृश्य का उदाहरण प्रस्तुत किया हैं | आज हम चाहे कितना ही आगे बढ़ने का दंभ भर लें परन्तु हमारे भीतर लड़के और लड़की को लेकर भेद मौजूद है | परन्तु अब स्त्री हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है और कम से कम शहरों में सोच कुछ बदल रही है | आप जैसे निष्ठावान चिकित्सक इसमें बड़ी भूमिका निभा सकते हैं |
Comment by Dr Nutan on February 9, 2011 at 3:19pm
वंदना जी.... आपका आभार कि आपने हमारे ब्लॉग पर इस लेख को पसंद किया और पढ़ा.... आपने सही कहा खुद को आधुनिक कैसे कह सकते है हम .... मेरा भी यही मानना है कि इतनी संकीर्ण सोच के साथ हम आधुनिक नहीं हो सकते ...सादर
Comment by Dr Nutan on February 7, 2011 at 8:37am

धन्यवाद आशीष जी !!

 

अभी भी स्त्री की दशा में सुधार नहीं ... बाह्य तौर पर सब सामान्य सा दिखता हो लेकिन अभी वर्षों से चली आ रही आंतरिक सोच में पूर्ण बदलाव आने में समय लगेगा....

Comment by आशीष यादव on February 7, 2011 at 8:22am
यह हमारे देश की कितनी बड़ी विडंबना है की जिस भारत देश में नारियों की पूजा होती है वहां पुत्री जन्म पर इस तरह के हाहाकार मचाते है| सच में इसे पढ़ कर तो यही लगता है अब भी हम कितने पीछे है| इसी भारत देश में ये कहा जाता है की बड़े बड़े दुष्टों का विनाश करने के लिए नारि-शक्ति का आह्वाहन किया जाता था, और आज की दशा| मन में एक क्लेश होने लहता है|
जिस नारी की पूजा होती थी कलियुग में स्थिति उलट हो गयी है|
दो पंक्तियाँ मै प्यारेलाल 'कवि जी' की प्रस्तुत करना चाहता हूँ|

महत्ता नारी की कलियुग में निराधार हुई,
पुरुष के चंगुल की है सदियों से  शिकार हुई|
मगर वो असली रूप में है जब की आ जाये,
मिटा संज्ञा अबला की काल बन के छा जाए||

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
22 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
22 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
22 hours ago
Dharmendra Kumar Yadav posted a blog post

ममता का मर्म

माँ के आँचल में छुप जातेहम सुनकर डाँट कभी जिनकी।नव उमंग भर जाती मन मेंचुपके से उनकी वह थपकी । उस पल…See More
22 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
Nov 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 30
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"सीख ...... "पापा ! फिर क्या हुआ" ।  सुशील ने रात को सोने से पहले पापा  की…"
Nov 30
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आभार आदरणीय तेजवीर जी।"
Nov 30
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।बेहतर शीर्षक के बारे में मैं भी सोचता हूं। हां,पुर्जा लिखते हैं।"
Nov 30
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।"
Nov 30
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Nov 30

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service