For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

परीक्षा, फर्जीवाड़ा और छत्तीसगढ़

ऐसा लगता है, जैसे छत्तीसगढ़ की परीक्षाओं का, फर्जीवाड़ा और विवादों से चोली-दामन का साथ है। तभी तो प्रदेश में होने वाली अधिकांश परीक्षाओं में किसी न किसी तरह से धब्बा लगा ही जाता है। छग में शिक्षा नीति जिस तरह लचर है, उसी का खामियाजा होनहार छात्रों व उनके अभिभावकों को भुगतना पड़ रहा है। प्रदेश के लिए परीक्षाओं में फर्जीवाड़ा की बात कोई नई नहीं रह गई है, यही कारण है कि छग से दूसरे राज्यों में जाकर पढ़ने वाले प्रतिभावान छात्रों को ‘हेय’ की दृष्टि से देखा जाता है, यह किसी भी सूरत में विकास पथ पर आगे बढ़ रहे राज्य के लिए ठीक नहीं है। माना यही जाता है कि जब शिक्षा की नींव ही कमजोर होगी तो फिर कोई भी प्रदेश कभी उन्नति नहीं कर सकता। छग में परीक्षाओं में हुई गफलत की परत जब खुलती हैं तो ऐसा लगता है, जैसे यहां की शिक्षा के लिए फर्जीवाड़ा ही पहचान बन गया है। जब शिक्षा के मामले में छग की बात अन्य राज्यों के समक्ष होती है, वहां इसे दोयम दर्जे में गिना जाता है और इस तरह छग की प्रतिभाएं, शर्मसार होती हैं। शायद उन बातों का ख्याल इस राज्य की सरकार को नहीं है, ऐसा होता तो सरकार अब तक कठोर नीति बना चुकी होती। केवल कुछ लोगों पर मामूली कार्रवाई की गाज गिराकर, राज्य में शिक्षा की गिरती साख को नहीं बचाया जा सकता ? इसके लिए समय रहते सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

छत्तीसगढ़ की शिक्षा क्षेत्र में फर्जीवाड़े की बात करें तो सबसे पहले बारी आती है, राज्य लोक सेवा आयोग अर्थात पीएससी की। छग राज्य बनने के कुछ साल बार जब पहली बार पीएससी की प्रतियोगी परीक्षा आयोजित हुई तो प्रदेश की प्रतिभाओं को लगा कि अब उन्हें अपनी काबिलियत दिखाने का बेहतर अवसर मिला है, मगर जब पीएससी का रिजल्ट आया, उसके बाद ही राज्य लोक सेवा आयोग, उसकी परीक्षा नीति व पूरा तंत्र ही सवालों के घेरे में आ गए। दरअसल, उस समय जिस तरह से फर्जीवाड़ा उजागर हुआ, उससे प्रदेश का नाम बदनाम तो हुआ ही, साथ ही यहां की प्रतिभाओं की मंशा को भी आघात लगा और प्रतिभाओं की प्रगति पर निश्चित ही विराम लग गया। देश के कई राज्यों में पीएससी की परीक्षा आयोजित की जाती है, लेकिन अब तक ऐसी धांधली का कहीं भी पता नहीं चला है। इससे लगता है कि यहां परीक्षा लेने की प्रणाली कितनी लचर है और उसका किस तरह कुछ तत्वों द्वारा बेजा इस्तेमाल किया जाता है ? पीएससी की साख एक बार गिरी, उसके बाद से यह उपर नहीं उठ सकी है और शायद ही यह काला धब्बा, छत्तीसगढ़ कभी धो पाएगा ? पीएससी के परीक्षा तंत्र को हर दृष्टि से बेहतर व व्यापक माना जाता है, मगर यही छत्तीसगढ़ है, जहां जितनी फर्जीवाड़ा हो जाए, वह कम है ? पीएससी भी उन परीक्षा गिरोह के सामने पंगु नजर आया और राज्य के नाम एक काला अध्याय भी दर्ज हो गया। पीएससी की परीक्षा में गड़बड़ी का जैसे ही खुलासा हुआ, उसके बाद मीडिया भी चौकस हो गया और देखते ही देखते परत- दर-परत फर्जीवाड़े का रहस्य उजागर होते गए। इधर पीएससी की परीक्षा लेने की नीति पर अभी भी सवाल उठते रहते हैं और प्रतियोगी युवाओं द्वारा आंदोलन भी किए जाते रहे हैं, मगर फिर भी तंत्र में छाई भर्राशाही खत्म नहीं हो रही है। छग में परीक्षा आयोजन तथा उसके लिए बनाई जाने वाली नीति के लिए पीएससी अक्सर विवादों में रहा है। अभी भी कई परीक्षाएं इन्हीं विवादों के कारण नहीं ली जा पा रही है। ऐसे में निश्चित ही प्रतिभाओं को ही नुकसान हो रहा है। उन्हें कौन सा फर्क पड़ने वाला है, जो एसी कमरों में बैठकर बेहतर नीति निर्धारण करने का दावा करते हैं, भले ही उनकी लापरवाही के चलते, बाद में घपलेबाजी व फर्जीवाड़ा की स्थिति निर्मित हो जाए।

दूसरे फर्जीवाड़े ने तो छग को ही नहीं, बल्कि देश की शिक्षाविदों को हिलाकर रख दिया। 2008 में बारहवीं की बोर्ड परीक्षा में फर्जीवाड़ा का जिस तरह खुलासा हुआ, उसके बाद तो प्रदेश व माध्यमिक शिक्षा मंडल की परीक्षा व्यवस्था पर ढेरों प्रश्न चिन्ह लग गए और एक ऐसा दाग लग गया, उसे भी शायद कभी धोया नहीं जा सकता। जैसा, मंडल ने मीडिया में खुलासा किया है कि बारहवीं की मेरिट सूची में गड़बड़ी कर जांजगीर-चांपा जिले के बिर्रा स्थित स्कूल से ‘पोराबाई’ टॉप कर गई और शिक्षा मंडल की आंख के नीचे वह सब कर गई, जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी। इसके बाद सवाल भी लोगों के जेहन में कौंधने लगा कि क्या ऐसा कारनामा पहले से चलते आ रहा था ? वैसे इस बरस मंडल की परीक्षा व्यवस्था की हालत जितनी लचर थी, वैसी कभी नहीं रही। 10 वीं बोर्ड की परीक्षा की मेरिट सूची में भी गड़बड़ी सामने आई, वह भी जांजगीर-चांपा जिले में। इन दोनों मामलों में दर्जनों लोगों को आरोपी बनाया गया है। फिलहाल, ये मामले न्यायालय में लंबित है।


इस बरस प्रदेश में परीक्षा आयोजन की जो व्यवस्था थी, वह भी शिक्षा मंडल का किया धराया था। अकेले, जांजगीर-चांपा जिले में ही 172 परीक्षा केन्द्र बनाकर रेवड़ी के तौर पर निजी स्कूलों को केन्द्र बांटे गए थे। जिसका नतीजा नकल के तौर पर सामने आया। यह बात प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था के लिए शर्म की बात होनी चाहिए कि प्रदेश के कुछ चुनिंदा जिलों, खासकर जांजगीर-चांपा, सरगुजा में किस तरह समूह में नकल होती है और यहां नकल माफिया कैसे काम करते हैं, इसे देखने देश की राजधानी से भी कुछ लोग पहुंचे ? परीक्षा केन्द्रों के अलावा राज्य में निजी स्कूलों की बाढ़ आ गई है, गली-मोहल्लों में इस तरह स्कूल खोलने अनुमति दी गई है, जैसे कोई दुकानदारी हो। प्रदेश के अधिकतर इलाकों में संचालित निजी स्कूलों के पास तय मापदंड के अनुसार कोई सुविधा नहीं है। यदि स्कूलों की अनुमति देने के पहले जांच हो तथा नियम-कायदों का पालन किया जाए तो कुछ चुनिंदा स्कूल ही अनुमति के काबिल मिलेंगे। उसके कारण भी है, क्योंकि अधिकांश स्कूल एक-दो कमरे में ही संचालित हो रहे हैं और इसकी जांच हो रही है, मगर केवल कागजों में। इसके लिए हमारे अफसरशाही भी जिम्मेदार है, जो शिक्षा माफिया को पनपने का पूरा अवसर देते हैं और शिक्षा का मंदिर इन्हीं अफसरों की कारस्तानियों के कारण दुकान की तरह रोज बढ़ रहे हैं।
दूसरी ओर प्रदेश में स्कूली शिक्षा में नकल की प्रवृत्ति इन्हीं कारणों से बढ़ी। इसमें भी राज्य की नीति ही जिम्मेदार रही। राज्य में शिक्षाकर्मी के हजारों पद निकाले गए और शुरूआती कुछ बरसों तक प्रतिशत के आधार पर नौकरी देने की परिपाटी चली। इसी का परिणाम रहा कि नकल एक घातक बीमारी के रूप में सामने आया। शिक्षाकर्मी बनने के लिए प्रतिशत का महत्व बढ़ गया था, किन्तु जब बाद में व्यापमं द्वारा परीक्षा आयोजित की जाने की लगी तो फिर ऐसी करतूतों पर कुछ हद तक लगाम लग सकी, पर वही ढाक के तीन पात। जो ढर्रा चल रहा था, उसमें फेरबदल तो हुआ, लेकिन भर्राशाही पर विराम नहीं लग सका।

छग में व्यापमं की परीक्षाओं में काला छिंटा लगता रहा है, लेकिन इस बात का खुलासा खुले तौर पर नहीं हो रहा था। इस बार अभी 19 जून को प्री-पीएमटी की परीक्षा होनी थी, उसके पहले शाम को पेपर लीक होने का जैसे ही खुलासा हुआ, उन बातों को बल मिल गया कि व्यापमं भी  अब विश्वसनीय नहीं है ? यहां गौर करने वाली बात यह है कि पीएमटी की यह दूसरी बार परीक्षा थी, मगर व्यापमं के अफसरों द्वारा किसी तरह ऐहतियात नहीं बरती गई और उसका नतीजा, एक बार फिर प्रदेश के लिए काला अध्याय बनकर सामने आया। भले ही, सरकार ने आनन-फानन में व्यापमं अध्यक्ष व नियंत्रक को हटा दिया हो और तमाम जांच की बात कही जा रही हो, मगर इतना तो जरूर है कि प्रदेश में छाया फर्जीवाड़ा का कुंहासा कैसे छंट पाएगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं है ? प्री-पीएमटी फर्जीवाड़े के मामले में कुछ ओहदेदार लोगों के बच्चों का नाम भी सामने आने की चर्चा है, उसके बाद तो चर्चा का बाजार गर्म हो गया है। इस परीक्षा में धब्बा लगने के बाद पुराने दिनों में लगे काले धब्बे की टीस का दर्द भी ताजा हो गया है।

ऐसा नहीं है कि छग में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, प्रदेश के होनहार, दूसरे राज्यों समेत विदेश में भी अपनी क्षमता का जौहर दिखा रहे हैं। यह सब फर्जीवाड़े, निश्चित ही हमारी शिक्षा व्यवस्था व नीति की पोल खोलती है, क्योंकि शिक्षा की बदहाली दूर करने सरकार ही सजग न हो तो ऐसे फर्जीवाड़े का सिलसिला भला कैसे रूक सकता है ? हमारा तो यही कहना है कि अब तो राज्य सरकार के नीति नियंताओं को चेत जाना चाहिए, क्योंकि बार-बार फर्जीवाड़ा होता रहा तो अपनी आने वाली पीढ़ी को हम क्या जवाब देंगें ? क्या इतना बताने में हमें शर्म नहीं आएगी कि शिक्षा क्षेत्र में बस फर्जीवाड़ा ही हमारी उपलब्धि है ? इन हालात से निपटना होगा, नहीं तो प्रदेश की प्रतिभाएं सिसकती रहंेगी व दम तोड़ती रहेंगी। यह तो तय है कि जब तक गड़बड़ी व फर्जीवाड़ा होते रहेंगे, तब तक प्रतिभाएं जी-जी कर मरती रहेंगी।


राजकुमार साहू
लेखक जांजगीर, छत्तीसगढ़ में इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकार हैं। पिछले दस बरसों से पत्रकारिता क्षेत्र से जुड़े हुए हैं तथा स्वतंत्र लेखक, व्यंग्यकार तथा ब्लॉगर हैं।

जांजगीर, छत्तीसगढ़
मोबा . - 098934-94714

Views: 256

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी , इस प्रयोगात्मक लघुकथा से इस गोष्ठी के शुभारंभ हेतु हार्दिक…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service