For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धरती- चंद्रमा का लुका-छिपी महोत्सव

Wednesday, June 15, 2011
धरती- चंद्रमा का लुका-छिपी महोत्सव (एल. आर. गाँधी)

आज पूर्णिमा की रात इस शताब्दी की बहुत विचित्र रात है !
आज की रात शशि....अवनी संग लुका- छिपी का खेल खलेंगे.
लो शशि छुप गए और धरा दबे पाँव अपने प्रेमी को ढूंढ रही है. रवि चुप चाप इस खेल को निहार रहे हैं . तीनो आज रात सदियों के बाद लम्बी छुट्टी पर उत्सव मना रहे हैं . चंद्रमा अपनी प्रेमिका की व्याकुलता को निहार उसकी ही छाया में छिपा आश्चर्य चकित हो श्वेत से भगवा हुआ जा रहा है..... सूर्य देव लुका छिपी के इस खेल को देख गर्म आहें भर रहे हैं.
उत्सव का शुभारम्भ मध्य रात्रि के ११.५३ मिनट पर हुआ और सूर्य देव ने मंच सञ्चालन का जिम्मा सम्हाल लिया है. धरा ने आँख बंद कर ली और चंद्रमा धरा के ही आंचल में चुप बैठे. अनादी काल से अपने ही एक पाँव पर गोलाकार नृत्य में निमग्न धरा अपने प्रियतम दिनकर की परिक्रमा में तल्लीन है और दिनकर भी निरंतर निहारते हुए अपनी ऊर्जा की पुष्प वर्षा कर उसे अखंड सौभाग्यवती भव की मंगलआशीष से आनंदित कर रहे हैं.
ऐसे ही अनंत काल से शशि अपनी प्रियतमा धरा की परिकर्मा कर उसे लुभाने के असफल प्रयास में लगे हैं. और धरा उसे अपना हितैसी- शुभ चिन्तक मित्र मात्र मान कर संतुष्ट है. अरे भई शशि आयु और आकार में उससे कंही छोटा जो है ! कहाँ दिनकर की तन मन में आग लगा देने वाली गर्मी जो धरा के रोम रोम को रोमांचित कर दे और कहाँ शशि की बर्फानी ठंडक .... दिन भर दिनकर की तपिश के सम्भोग से धरा का अंग अंग जब थक हार कर बेसुध हो जाता है तो चंद्रमा अपनी शीतल चांदनी की चादर ओढा कर धरती को एक सचे मित्र वत - प्रेमी का आभास दिलाता है.
खगोलविद आज रात विशालकाय दूरबीनों से इस महापर्व का नज़ारा देख , श्रृष्टि के इन प्राचीनतम प्रेमियों की रासलीला से पैदा होने वाली उथलपुथल की विवेचना में लगे हैं. और हमारी ज्योतिष शास्त्री अपने परलोक की चिंता से त्रस्त अपने जातकों को चन्द्र ग्रहण के बुरे -अच्छे प्रभावों से सचेत करने में व्यस्त हैं.

Views: 358

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 24, 2011 at 10:39am
प्रकृति में बहुत कुछ होते रहते है इनमे से कुछ घटनायें सुखद होते है तो कुछ दुखद, पिछले दिनों चन्द्र ग्रहण पर आधारित आपका यह पोस्ट बहुत ही जिवंत बन पड़ा है | बधाई आपको इस आलेख हेतु |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई, पदों की संख्या को लेकर आप द्वारा अगाह किया जाना उचित है। लिखना मैं भी चाह रहा था,…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए है।हार्दिक बधाई। भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ । "
8 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, हार्दिक धन्यवाद  आभार आपका "
8 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद  आभार आदरणीय अशोक भाईजी, "
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभाजी "
8 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी बहुत सुन्दर भाव..हार्दिक बधाई इस सृजन पर"
10 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह..बहुत ही सुंदर भाव,वाचन में सुन्दर प्रवाह..बहुत बधाई इस सृजन पर आदरणीय अशोक जी"
10 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service