For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पिछड़ा आदमी **( लघुकथा---जानकी बिष्ट वाही। )

" लगता है कोई छोटा सा स्टेशन है ये ? क्यों रुकी होगी ? सुपर फ़ास्ट ट्रेन तो रूकती नहीं ऐसे स्टेशनों पर?"

एसी.कोच में देश-विदेश की राजनीति ,अर्थव्यवस्था ,फ़िल्मी दुनिया , फैशन ,रेप भ्रूण हत्या, स्त्री विमर्श, जेनरेशन गैप , किसान आत्महत्या ,अराजकता , तलाक अन्तरिक्ष मिशन और आरक्षण पर से होती गरमागरम बहस से थक चुके अनुज ने खिड़की से बाहर का ज़ायज़ा लेते हुए कहा।पर किसी ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया सिवाय मोनिता के,वह उत्सुकता से बाहर देखने लगी।

छुट्टियों में घर लौटते छात्र-छात्राओं का ये समूह अपने पहरावे और रंग-ढंग से, मुँह में चाँदी और सोने के चम्मच की पैदाइश लग रहा था।

अंदर बिखरी उमंग, जिंदादिली और खिलखिलाहट के बीच अब सबका ध्यान मोनिता की ओर गया।

" मोनिता ! ऐसा क्या दिख गया बाहर ,जो अंदर के लोगों को भूल गई हो ?"
मोनिता को छेड़ते हुए ,खिलंदड़ी टीना के ये बोलते ही पूरा कोच कहकहों से भर गया।

" मैं उसे देख रही हूँ ।"

मोनिता ने बाहर एक ओर इशारा करते हुए कहा। ये सुनते ही सबकी
नज़र जहाँ ठहरी वह एक आदमी था जो ज़मीन पर पोटली रखे एक हाथ से डंडे का सहारा लिए सिर झुकाये बैठा हुआ ज़मीन की तरफ़ देख कर कुछ सोचता सा लग रहा था।उसके वर्षों के श्रम से तपे शरीर की एक -एक नस थकान से भरी लग रही थी।उसकी जर्जर हालत देख लग रहा था मानों वह जिंदगी के साथ घिसट रहा हो।

" कौन है ये मोनिता ?"
टीना ने फिर छेड़ते हुए कहा।

" अब मोनिता ने सबको गहरी नज़र से देखा और बोली -

" तुम लोग अभी तक जो इतनी बहस कर रहे थे देश को लेकर ,वो असली भारत का चेहरा नहीं है ।"

" ओ हो! तो तुमने कहाँ देख लिया असली भारत को ?"

समवेत स्वर उभरा।

" बाहर देखो ! वह अर्ध नग्न , पिछड़ा, सा, जर्जर हालत वाला, अपने घुटनों में झुका हुआ आदमी । वह सही मायनों में प्रतिनिधि है इस देश का।"

इधर सुपर फ़ास्ट ट्रेन रफ़्तार के साथ नई पीढ़ी चेहरों पर कई प्रश्न छोड़ गई। उधर सोच में डूबा असली भारत का चेहरा कहीं पीछे छूटता चला गया।

जानकी बिष्ट वाही
मौलिक एवम् अप्रकाशित
27/7/17
नॉएडा-उत्तर प्रदेश

Views: 647

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nita Kasar on August 2, 2017 at 3:18pm
जिन्है हम अन्नदाता कहते है वे ही समस्याग्रस्त है।काश ! उनकी बेहतर स्थिति के लिये कुछ कार्य किये जाते ।उम्दा कथा के लिये बधाई आद० जानकी वरिष्ठ वाही जी ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on July 30, 2017 at 11:29pm
मित्र-मंडली के साथ यात्रा में हम ऐसे अनुभव से भी गुजरते हैं। बेहतरीन शैली में बढ़िया प्रवाहमय संवाद के साथ बढ़िया कटाक्ष करती रचना के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीय जानकी बिष्ट वाही जी। दूसरे अनुच्छेद के भाव इशारों में कहते हुए कम शब्दों में कहा जा सकता है मेरे विचार से।

मिट्टी के लड्डू को प्लास्टर ऑफ पेरिस के लेप और सुनहरे रंगों से रंग कर उसे सोने का लड्डू कह कर दुनिया को दिखा कर बेवकूफ नहीं बना सकते। तकनीकी और वैज्ञानिक विकास के साथ विदेशियों को आकर्षित करने के लिए भारत को औद्योगिक और तकनीकी तौर पर चमकाया जा रहा है बस। अंदर ७०फीसदी असली भारत उपरोक्त अनुसार ही तो है।
Comment by Janki wahie on July 29, 2017 at 8:31am
कथा पसन्द करने के लिए हार्दिक आभार आ. मोहम्मद आरिफ़ जी।
Comment by Mohammed Arif on July 28, 2017 at 5:09pm
आदरणीया जानकी वाही जी आदाब, अच्छे और कसे कथानक , बेहतरीन संक्षिप्त संवादों वाली और कटाक्षपूर्ण लघुकथा । असली भारत तो किसानों की ख़ुदकुशी , कचरा बीनते बच्चों और बेरोज़गार युवाओं में बसता है । प्रधान सेवक को इन सबकी कहाँ है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आ, मेदानी जी, कृपया देखेंकि आपके मतल'अ में स्वर ' उका' की क़ैद हो गयी है, अत:…"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ग़ज़ल में कुछ दोष आदरणीय अजय गुप्ता जी नें अपनी टिप्पणी में बताये। उन्हे ठीक कर ग़ज़ल पुन: पोस्ट कर…"
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय निलेश नूर जी, आपकी ग़ज़ल का मैं सदैव प्रशंसक रहा हूँ। यह ग़ज़ल भी प्रशंसनीय है किंतु दूसरे…"
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी, पोस्ट पर आने और सुझाव देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। बशर शब्द का प्रयोग…"
7 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्ते ऋचा जी, अच्छी ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई। अच्छे भाव और शब्दों से सजे अशआर हैं। पर यह भी है कि…"
9 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय दयाराम जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। बधाई आपको  अच्छे मतले से ग़ज़ल की शुरुआत के लिए…"
9 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रास्ता  घर  का  दूसरा  तो  नहीं  जीना मरना अलग हुआ तो…"
9 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"2122 1212 22 दिल को पत्थर बना दिया तो नहीं  वो किसी याद का किला तो नहीं 1 कुछ नशा रात मुझपे…"
12 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ग़ज़ल अंत आतंक का हुआ तो नहींखून बहना अभी रुका तो नहीं आग फैली गली गली लेकिन सिर फिरा कोई भी नपा तो…"
12 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार नीलेश भाई, एक शानदार ग़ज़ल के लिए बहुत बधाई। कुछ शेर बहुत हसीन और दमदार हुए…"
14 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार जयहिंद रायपुरी जी, ग़ज़ल पर अच्छा प्रयास हुआ है। //ज़ेह्न कुछ और कहता और ही दिलकोई अंदर मेरे…"
14 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ज़िन्दगी जी के कुछ मिला तो नहीं मौत आगे का रास्ता तो नहीं. . मेरे अन्दर ही वो बसा तो नहीं मैंने…"
15 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service