For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

166
लोहा ईंट और कंक्रीट का 
व्यवस्थित संग्रह , या
बाॅंस और मकोर के तने की कमानी पर
सागौन के पत्तों का विग्रह?
संगमर्मर और मोजेक से चमकते फर्श पर 
सजे फर्नीचर, कालीन व अन्य चीजें,
या
पीली मिट्टी  और गोबर से लिपे
समतल, चैकोर या गोल गोल भूमि तल,
कामकाजी वस्तुओं को  बाहों में लिये
आॅंगन के किनारे लगे आम पर गाती कोयल?
केवल रात काटने के लिये एकत्रित हुये
और
प्रातः ही अपनी अपनी दिशाओं में गतिशील
यात्रियों की तरह भटकने वालों का आश्रय
या,
मनोभावों में लीन, गुमसुम उदासीन
कक्षों में, पेइंग गेस्ट का उपक्रम?
क्या घर यही है?
नहीं,
तो वह क्या है?
"मौलिक व अप्रकाशित" 

Views: 597

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr T R Sukul on May 26, 2016 at 11:15pm

बिलकुल सही कहा आदरणीया कान्ता जी,  "घर" अब अपनत्व , ममता और स्नेह के वातावरण को खोकर खोखला हो गया है और उसमें  भौतिकता के वैभव की प्रदर्शनी लगाई जाने लगी  है। 

Comment by kanta roy on May 24, 2016 at 3:49pm
सही मायने में युँ कहे तो आदरणीय त्रैलोक्य रंजन जी ,घर वास्तव में खो गया है । स्नेह के मिट्टी से लिपी हुई आँगन से दालाान ,सब विलुप्त हो गये है ।
अब हमने अपने घर के प्रदर्शन की वस्तु बना लिये है ,अब घर बनाम म्यूजियम हो गये है जहाँ प्रदर्शन होता है धन- धान्य और रूतबे की ।परिवार की स्निग्धता दिखावेे की चरमोत्कर्ष पर है जहाँ बचा है पी ओ पी से डिजाईन किया हुआ ,पोला - पोला सा सब कुछ ।
रंगों के विज्ञान पढ़ लिये ,डिजाईनिंग की हर किताब पढ़ लिये और टाँग लिये मंहगे परदे दरो-दीवार पर लेकिन कभी दीवारों की सिसकियां सुनने के लिए वक्त ना निकाल पाये । दो वक्त की सौंधी रोटी में रिश्तों की गुड़ गाँठ ना सहेज पाये । पोला - पोला सा इंसान ,खोखली - खोखली हर मीनार ,फिर भी भ्रम है कि हम महल बना लिये । सादर ।
Comment by Dr T R Sukul on May 19, 2016 at 11:31pm

आदरणीय पवनकुमार  जी , रचना को पसंद करने के लिए बहुत आभार। 

Comment by Dr T R Sukul on May 19, 2016 at 11:30pm

आदरणीय जॉन  गोरखपुरी जी , रचना को पसंद करने के लिए बहुत आभार। 

Comment by Dr T R Sukul on May 19, 2016 at 11:29pm

आदरणीय समर कबीर साहब , रचना पर आपकी उपस्थिति और प्रशंसा पाकर  प्रसन्नता हुई , विनम्र आभार। 

Comment by Dr T R Sukul on May 19, 2016 at 11:28pm

आदरणीय श्यामनारायण वर्माजी, रचना को पसंद करने के लिए बहुत आभार। 

Comment by Pawan Kumar on May 19, 2016 at 1:09pm

बहुत ही सुन्दर रचना
घर की याद आ गयी
आदरणीय हार्दिक बधाई

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 18, 2016 at 6:21pm
वह्ह्ह्ह् आ. बेहद उम्दा रचना बहुत बहुत बधाई।
Comment by Samar kabeer on May 18, 2016 at 2:30pm
जनाब डॉ.टी.आर.शुक्ल जी आदाब,बहुत सुंदर भाव हैं,रचना ख़ूब हुई है, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Shyam Narain Verma on May 18, 2016 at 11:07am
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"नमन मंच 2122 2122 2122 212 जो जहाँ होगा वहीं पर वो खड़ा रह जाएगा ज़श्न ऐसा होगा सबका मुँह खुला रह…"
17 minutes ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
3 hours ago
Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत ही उत्तम और सार्थक कुंडलिया का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई सर"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service