For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फसल [ कविता अतुकांत ]

मेरी बेटी ने गमले में

लॉलिपॉप बो दिया हैI

खुद को पूरा भिगो कर

पानी भी देती है

मिठास की लहलहाती फसल का

इंतज़ार कर रही है I

पगली ने उस दिन

कागज़ का तिरंगा भी बो दिया था

कि  ढेर सारे तिरंगे 

ढेर सारा देश प्रेम उगेगा I

बच्चों की बातें  हैं 

ऐसी ही बेतुकी  ,नासमझ I

हम तो बड़े हैं ,समझदार हैं

हम थोड़ी करते हैं विश्वास 

इन बातों पर ,हैं ना ?

मौलिक व् अप्रकाशित 

Views: 655

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by pratibha pande on November 24, 2015 at 10:50pm

रचना पर उत्साहवर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 23, 2015 at 6:59pm

अत्यंत सान्द्र प्रस्तुति केलिए हार्दिक बधाइयाँ, आदरणीय प्रतिभाजी. सही कहूँ तो बहुत दिनों बाद मंच पर इतनी गहन रचना आयी है और मैं उससे गुजर रहा हूँ. लाक्षणिकता का इतना सार्थक प्रयोग हुआ है कि यह रचना एकदम से चकित करती हुई हृदय में बस जाती है.  आपकी अभिव्यक्तियों से हम एक-एक कर गुजर रहे हैं, मानों ये हमें अपने में गहरे उतरने की आवाज़ लगा रही हों. 

आप प्रयासरत रहें, आदरणीया प्रतिभाजी. आपका सतत प्रयास आपकी अभिव्यक्तियों की सहजता और स्पष्टता का कारण बनता जायेगा.  

अलबत्ता, बेतुकि   को बेतुकी कर लें 

हार्दिक शुभकामनाएँ  

Comment by pratibha pande on November 23, 2015 at 4:36pm

आदरणीय मिथिलेश जी ,सराहना के लिए हार्दिक आभार आपका , 'बेतुकि? क्या ये शब्द सही नहीं ?

Comment by pratibha pande on November 23, 2015 at 4:33pm

आदरणीय श्याम नारायण जी ,उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार 

Comment by pratibha pande on November 23, 2015 at 4:32pm

आदरणीय सतविंदर जी रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 23, 2015 at 3:35pm

शानदार कविता. कथ्य का मर्म जिस सघनता से शाब्दिक हुआ है, बस दिमाग झन्ना गया है. बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर आपको आदरणीया प्रतिभा जी. 

'बेतुकि?'

Comment by Shyam Narain Verma on November 20, 2015 at 3:40pm
बहुत ही सूंदर प्रस्तुति , हार्दिक बधाई आपको ।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 19, 2015 at 8:16pm
बहुत भावपूर्ण एवम् सुंदर रचना ।हार्दिक बधाई आदरणीय प्रतिभा जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . रोटी

दोहा पंचक. . . रोटीसूझ-बूझ ईमान सब, कहने की है बात । क्षुधित उदर के सामने , फीके सब जज्बात ।।मुफलिस…See More
3 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा पंचक - राम नाम
"वाह  आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही सुन्दर और सार्थक दोहों का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
दिनेश कुमार posted a blog post

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार ( गीत )

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार( सुधार और इस्लाह की गुज़ारिश के साथ, सुधिजनों के…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

दोहा पंचक - राम नाम

तनमन कुन्दन कर रही, राम नाम की आँच।बिना राम  के  नाम  के,  कुन्दन-हीरा  काँच।१।*तपते दुख की  धूप …See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई, पदों की संख्या को लेकर आप द्वारा अगाह किया जाना उचित है। लिखना मैं भी चाह रहा था,…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए है।हार्दिक बधाई। भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ । "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service