For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तेरी बातें (कविता)____मनोज कुमार अहसास

पढ़ा है दर्द की आँखों में तराना तेरा
तुझको मालूम हो शायद मेरा बेरंग सफ़र
मैंने हर लम्हा तेरी याद को पेशानी दी
तुझपे कुर्बान रही मेरी अकीदत की नज़र


मैं सुलगता हूँ तेरा साथ निभाने के लिए
हलाकि कुछ भी नही बाकि है जलने को इधर
ख़त्म हो चुकी इक रस्म की सांसो के लिए
ज़बी हर लम्हा ढूंढती है तेरी रहगुजर


तुझको पा लेना किसी हाल में मुमकिन ही न था
तुझको खोने की तमन्नाये उठी पर कैसे
जब थे मजबूर किसी बात की परवाह न थी
आज इन जमते हुए क़दमों को है डर कैसे


कितने बरसो तक छुपाया है जिनको सीने में
हाय! वें ज़ख़्म नुमायां ना कहीं हो जाये
तुझसे एक लफ़्ज़ गर जुड़ गया रुस्वाई का
इससे बेहतर है ये साँस दफ़न हो जाये


कितनी मजबूर हवाओ की निगहबानी है
जिनकी हर साँस में अहसास दरक जाते है
सर्द लगती है अंधेरो में झुलसती गर्मी
लफ़्ज़ जबभी तुझे छूते है बहक जाते है


इसलिए दिल की कोई बात बताने के लिए
अब मेरे दोस्त मेरे पास कोई राह नहीं
आखिरी बात तुझे कहने की तलब है ये
तू रहे खुश सदा जा मुझको तेरी चाह नहीं


हर तरफ मेरी अदावत की हवा चलती है
देख, आते है मेरा ज़ुर्म बताने वाले
पर तुझको मालूम है मेरी गुनहगारी का
ओ ज़माने भर को मुझे अच्छा बताने वाले


जी में आता है आज कोई फ़साना लिख दूँ
खत्म होने में नहीं आती है तेरी बातें
और सोचता हु सीधे सादे बयानों में कहूँ
तेरी बातें ,तेरी बाते ,बस तेरी बातें


मौलिक और अप्रकाशित

Views: 930

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by मनोज अहसास on August 11, 2015 at 4:49pm
आदरणीया तनूजा जी
बहुत आभार
सादर
Comment by मनोज अहसास on August 11, 2015 at 4:45pm
आदरणीय गिरिराज सर
बहुत आभार
आपका मार्गदर्शन मिलता रहे निरंतर
यही चाह है
आशीर्वाद बनाये रखें
सादर
Comment by Tanuja Upreti on August 11, 2015 at 1:13pm

भावों से परिपूर्ण रचना हेतु बधाई मनोज जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 11, 2015 at 10:32am

आदरणीय मनोज भाई , अच्छी भाव पूर्ण कविता हुई है , आपको दिली बधाइयाँ । गज़ल की तरह कविता ( नज़्म ) मे भी सभी पंक्तियाँ क एक ही बहर ( मात्रा क्रम ) मे होनी  चाहिये , तभी गेयता आ सकती है , इस लिहाज से कुछ कमियाँ हैं , आप चाहें तो सुधार कर लीजियेगा। 

Comment by मनोज अहसास on August 10, 2015 at 6:44pm
बहुत आभार आदरणीया प्रतिभा जी
सादर
Comment by pratibha pande on August 10, 2015 at 6:40pm
तेरी बातें ,तेरी बातें ,बस तेरी बातें ,वाह वाह और बस वाह ख़ूबसूरत रचना आ०मनोज जी
Comment by pratibha pande on August 10, 2015 at 6:31pm
तेरी बातें ,तेरी बातें, बस तेरी बातें ,वाह ,वाह बस वाह ... खूबसूरत रचना आ०मनोज कुमार जी
Comment by pratibha pande on August 10, 2015 at 6:20pm
तेरी बातें ,तेरी बातें बस तेरी बातें .....वाह ,वाह और बस वाह ....बढ़िया रचना मनोज कुमार जी
Comment by मनोज अहसास on August 10, 2015 at 5:42pm
आदरणीय मिथिलेश सर
बहुत आभार
आपने मुझे फिर एक स्पष्ट मार्गदर्शन दिया है
दरअसल मुझे इस तरह की रचनाओ में बहर विधान पालन के विषय में जानकारी नहीं है
क्या यह ग़ज़ल की तरह ही होता है?
या कोई अंतर है
आपके मार्गदर्शन की सदैव ज़रूरत है
स्नेह बनाये रखें
सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 10, 2015 at 4:47pm

आदरणीय मनोज भाई जी, आपकी रचना की पंक्तियाँ इस वज्न  2122-- 1122-- 1122-- 22 पर है इसलिए जो बेबह्र थी उन्हें सुधारने का प्रयास किया था यदि इन सुझाओं से आपके भाव बहक रहे है तो आप अपने अनुसार इस बह्र में पंक्तियों को जांच कर सुधार कर लीजिये. यह भी अवश्य है कि बिना सुधारे रचना में लयात्मकता नहीं आ पाएगी और बार बार लय बाधित होगी. सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
Admin posted discussions
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
Monday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
Monday
Chetan Prakash commented on Dharmendra Kumar Yadav's blog post ममता का मर्म
"बंधु, नमस्कार, रचना का स्वरूप जान कर ही काव्य का मूल्यांकन , भाव-शिल्प की दृष्टिकोण से सम्भव है,…"
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"अच्छे दोहे हुए हैं, आदरणीय सरना साहब, बधाई ! किन्तु दोहा-छंद मात्र कलों ( त्रिकल द्विकल आदि का…"
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service