For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा : शातिर (गणेश जी बागी)

                      र्षिता क्लास की सबसे खुबसूरत लड़की थी, अधम, रंजित और उसकी मित्र मंडली, सभी उससे दोस्ती के लिए लालायित रहते थे किन्तु वह तो बस अपने काम से काम रखती थी. एक दिन हर्षिता को अकेला देख रंजित उससे बोला,
“हर्षिता मैं तुम्हे अपनी बहन बनाना चाहता हूँ क्या तुम मुझे अपना भाई होने का अधिकार दोगी ?”
माँ बाप की इकलौती बेटी हर्षिता रंजित को भाई के रूप में पाकर बहुत ख़ुश हो गयी. अब उसका उठना बैठना रंजित के साथ-साथ उसके दोस्तों के साथ भी होने लगी.
                   हर्षिता कब अधम के साथ प्यार कर बैठी उसे पता भी नहीं चला और एक दिन वह सभी वर्जनाओं को तोड़ बैठी.
क्लास में आज एक और खुबसूरत लड़की ने एडमिशन ली थी. रंजित मुस्कुराते हुए बोला,
“अबे साले अधम, इस बार भाई बनने की बारी तेरी है”

(मौलिक व अप्रकाशित)
पिछला पोस्ट =>अतुकांत कविता : संवेदना

Views: 1072

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by shashi bansal goyal on July 5, 2015 at 12:21pm
आद0 गणेश बागी जी बहुत ही सशक्त और प्रभावी रचना हुई है । बधाई ।
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 5, 2015 at 12:04am

यह आपकी कलम का ही जादू है आदरणीय बागी जी. आम घटना को सफल लघुकथा बना दिया. बहुत बहुत बधाई स्वीकारें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 4, 2015 at 11:05pm
आदरणीय बागी सर बहुत बेहतरीन और सफल लघुकथा। पंच लाइन एक जोरदार झटका देने में सफल। इस प्रस्तुति पर आपको हार्दिक बधाई। नमन

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 4, 2015 at 10:34pm

प्रिय आदित्य कुमार जी, आपको लघुकथा अच्छी लगी यह जान मुझे भी अच्छा लगा, आभार आपका.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 4, 2015 at 10:33pm

आदरणीया कांता रॉय जी, आप स्वयम अच्छी लघुकथा लेखिका हैं, आपसे सराहना पाने से लघुकथा सार्थक हो गयी, इस प्रोत्साहन हेतु बहुत बहुत आभार.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 4, 2015 at 10:27pm

लघुकथा पर उपस्थित होने हेतु आभार आदरणीय मोहन सेठी जी.

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on July 4, 2015 at 10:03pm
//अबे साले अधम, इस बार भाई बनने की बारी तेरी है// कथा के अंत में पँहुचते ही पाठक को 440 वोल्ट का झटका लगता है और वह सन्न रह जाता है। उफ क्या सोच बन गयी है आज के यूवा की।
कथा के शीर्षक को सार्थक करती लाजवाब और जबरदस्त लघुकथा। आदरणीय गणेशजी बागी सर इस अनुपम रचना के लिये दिल से बधाई स्वीकार करे।
Comment by Aditya Kumar on July 4, 2015 at 6:46pm

पोल खोल दी सर आपने।  बहुत सही... बधाई स्वीकार करें अग्रज 

Comment by kanta roy on July 4, 2015 at 6:23pm
ओह ! बेहद गम्भीर और आज के परिवेश में युवाओं के बहकते सोच का यथार्थ चित्रण आपने इस लघुकथा किया है आदरणीय गणेश जी बागी जी .... सधे हुए आपके अपने ही अंदाज़ हमेशा की तरह लाजवाब लघुकथा हुई है । बधाई
Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on July 4, 2015 at 5:51pm

प्रभावी ...एक दम दिल पे लगती है चोट ....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service