For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वफ़ा ढूंढा करोगे लोगों में ( © परी ऍम. 'श्लोक' )

१ २ २ २ १ २ १ २ २ २
पुकारा तुम करोगे लोगों में
मुझे ना पा सकोगे लोगों में

चले जायेंगे जां तेरी लेकर
बने बुत से जियोगे लोगों में

कटेगा भी नहीं सफ़र तन्हा
बेहिस चलते रहोगे लोगों में

मेरे जाने के बाद मुद्दत तक
मेरा रास्ता तकोगे लोगों में

मिलेगी फिर नहीं कभी जानाँ
वफ़ा ढूंढा करोगे लोगों में

© परी ऍम. 'श्लोक'

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 882

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 8, 2015 at 6:39pm

वाह .. अच्छा अभ्यास चल रहा है, परीजी..

शुभेच्छाएँ

Comment by वीनस केसरी on July 5, 2015 at 1:59am

वाह शानदार ग़ज़ल थी ....
सुधार के बाद और शानदार हो गयी है ...

Comment by Pari M Shlok on July 4, 2015 at 12:58pm
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आपका तहे दिल से शुक्रिया शुभकामनाओं के लिए व हमारे अनुरोध पर यहाँ उपस्थित हो टिप्पणी देने के लिए :)

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 4, 2015 at 12:44pm

आ परी जी, बहुत बढ़िया संशोधन.... संशोधन के बाद अशआर निखर गए है -

पुकारा तुम करोगे लोगों में
नहीं फिर पा सकोगे लोगों में ..........बेहतरीन

कटेगा भी नहीं सफ़र तन्हा
भटकते तुम फिरोगे लोगों में ............ भटकते का बढिया प्रयोग .... शानदार शेर 

मेरे जाने के बाद मुद्दत तक
मेरा रस्ता तकोगे लोगों में ...... बढ़िया शेर.....दिल से दाद हाज़िर 

आपके सीखने का उत्साह और लगन देखकर सकारात्मक आभास हो रहा है और यकीन है कि आपके अभ्यास के क्रम में बेहतरीन ग़ज़लों से मंच समृद्ध होगा. शुभकामनायें 

सादर 

Comment by Pari M Shlok on July 4, 2015 at 11:11am
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के शेर दर शेर सुझाव के बाद हमने ग़ज़ल में सुधार किया है वो तीन शेर जिसमें गलती थी उसे ठीक करके कमेंट में डाल रहे हैं आप सब की राय चाहिए मिथिलेश वामनकर जी से अनुरोध है कि कृपया वो बतायें क्या सुधार की कोशिश सही रही।


पुकारा तुम करोगे लोगों में
नहीं फिर पा सकोगे लोगों में (1)

कटेगा भी नहीं सफ़र तन्हा
भटकते तुम फिरोगे लोगों में (3)

मेरे जाने के बाद मुद्दत तक
मेरा रस्ता तकोगे लोगों में (4)

© परी ऍम. 'श्लोक'
Comment by Pari M Shlok on July 3, 2015 at 9:36am
आपके द्वारा दिए गया लिंक पढ़ कर और जानकारी हासिल करेंगे मिथिलेश वामनकर जी शुक्रिया लिंक भेजने के लिए !
Comment by Pari M Shlok on July 3, 2015 at 9:34am
डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी हम अच्छे से नियम पढ़ेंगे बेशक बहुत ज़रूरी है नियम कायदे ग़ज़ल के जान लेना अच्छी ग़ज़ल कह पाने को। मार्गदर्शन हेतु शुक्रिया सर ...!
Comment by Pari M Shlok on July 3, 2015 at 9:31am
MAHIMA SHREE ji बहुत बहुत आभार।
Comment by Pari M Shlok on July 3, 2015 at 9:29am
shree suneel जी टिप्पणी के लिए दिल से आभार
Comment by shree suneel on July 2, 2015 at 9:25pm
पुकारा तुम करोगे लोगों में
मुझे ना पा सकोगे लोगों में.. ख़ूब.. ख़ूब.
ख़ूबसूरत ग़ज़ल कही आपने आदरणीया. बधाइयाँ आपको.
बाकी.. गुणीजनो ने की राय आपके पास है हीं.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service