For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : सवाल एक है लेकिन जवाब कितने हैं

बह्र : १२१२ ११२२ १२१२ २२

हर एक शक्ल पे देखो नकाब कितने हैं

सवाल एक है लेकिन जवाब कितने हैं

 

जले गर आग तो उसको सही दिशा भी मिले

गदर कई हैं मगर इंकिलाब कितने हैं

 

जो मेर्री रात को रोशन करे वही मेरा

जमीं पे यूँ तो रुचे माहताब कितने हैं

 

कुछ एक जुल्फ़ के पीछे कुछ एक आँखों के

तुम्हारे हुस्न से खाना ख़राब कितने हैं

 

किसी के प्यार की कीमत किसी की यारी की

न जाने आज भी बाकी हिसाब कितने हैं

-------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 767

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 6, 2015 at 6:05pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय जवाहर लाल जी

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 1, 2015 at 12:17am

वाह वाह न कहूं तो क्या कहूं ...पहली पंक्ति ने आत्मविभोर कर दिया 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 29, 2015 at 10:05am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय विनय कुमार जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 29, 2015 at 10:05am

शुक्रिया आदरणीय सुनील जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 29, 2015 at 10:04am

शुक्रिया आदरणीय मोहन बेगोवाल जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 29, 2015 at 10:04am

शुक्रिया आदरणीय गोपाल नारायन जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 29, 2015 at 10:04am

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 29, 2015 at 10:03am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश कुमार जी

Comment by विनय कुमार on June 28, 2015 at 11:11pm

// हर एक शक्ल पे देखो नकाब कितने हैं
सवाल एक है लेकिन जवाब कितने हैं // , वाह , वाह , बहुत उम्दा ग़ज़ल , बधाई आदरणीय.

Comment by shree suneel on June 28, 2015 at 6:51pm
हर एक शक्ल पे देखो नकाब कितने हैं
सवाल एक है लेकिन जवाब कितने हैं... बहुत ख़ूब
अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय धर्मेंद्र जी. बधाई हो

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
4 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service