122 122 122 122
जो कहते थे उनको इशारा बहुत है
वो सुनते नहीं कुछ , पुकारा बहुत है
ऐ तन्हाई आ मेरी जानिब चली आ
कि यादों को तेरा सहारा बहुत है
तबीयत से इक फूँक भारो तो यारों
जलाने को दुनिया, शरारा बहुत है
ये मजहब का ठेका हटा लो यहाँ से
सुकूँ के लिये भाई चारा बहुत है
फलक बोस इमारत उन्हें हो मुबारक --- गगन चुम्बी
मुझे टूटी छ्त का सहारा बहुत है
ऐ साक़ी सुबू तू पिला दे किसी को
मुझे जाम आँखो का प्यारा बहुत है
तेरा शुक्रिया ग़म हमेशा कहूंगा
तपा के , रुला के , निखारा बहुत है
मुझे और खुशियाँ न देना ख़ुदाया
मुझे एक तेरा नज़ारा बहुत है
**********************************
मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
जिंदाबाद! जिंदाबाद! जिंदाबाद! गजल हुयी है!अभिनन्दन आदरणीय!
आदरणीय वीनस भाई , एक लब्मे अरसे के बाद आपसे '' खुश दिया '' मिला । मन प्रसन्न है । और अच्छा कह सकूँ इसका प्रयास करता रहूँगा । आपका बहुत आभार ।
आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , आपकी स्नेहिल सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ।
आदरणीया राजेश जी , हौअला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया , टंकण त्रुटि बताने का आभार ।
वाह जनाबे आली दिल खुश कर दिया
बहुत प्यारी ग़ज़ल कही है
बहुत बढ़िया , बहुत सुन्दर अनुज
ऐ तन्हाई आ मेरी जानिब चली आ
कि यादों को तेरा सहारा बहुत है
बहुत सुन्दर ग़ज़ल हुई आ० गिरिराज जी ,
जो कहते थे उनको इशारा बहुत है
वो सुनते नहीं कुछ , पुकारा बहुत है----वाह्ह्ह
ऐ तन्हाई आ मेरी जानिब चली आ
कि यादों को तेरा सहारा बहुत है---क्या कहने
तबीयत से इक फूँक भारो तो यारों--फूँक मारो ....टंकण त्रुटी को ठीक कर लें
जलाने को दुनिया, शरारा बहुत है
फलक बोस इमारत उन्हें हो मुबारक
मुझे टूटी छ्त का सहारा बहुत है---बहुत खूब
दिल से बधाई आपको
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online