For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चाँद आकाश में खो गया - हिन्दी गजल (एक प्रयास)

मुतदारिक मुसद्दस सालिम

212     212          212

सो गया सो गया सो गया

चाँद आकाश  में खो गया I

 

ढूंढते  थे जिसे  उम्र भर

लो यहीं था अभी तो गया I

 

प्यार का बीज मन में मेरे

कोई चुपके से आ बो गया I

 

नैन जबसे  उलझ ये गये

चैन ना जाने क्या हो गया I

 

चोट खाया  बहुत प्यार में

वो  दिवाना अभी जो गया I

 

था  सहारा बहुत  प्यार से  

दूर लेकिन  चला वो गया I

 

नेह-गंगा  सलिल आज तो  

पाप ‘गोपाल’ का धो गया I

 

(मौलिक व अप्रकाशित)  

Views: 1510

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 2, 2015 at 4:41pm

आदरणीय अनुज

अब गजल आप ही से तो सीखना है . बस कमियां बताते रहिये . सादर .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 2, 2015 at 1:43pm

आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , बहुत सुन्दर गज़ल कही है आपने , आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

बस -- चैन ना जाने क्या हो गया  -- इस मिसरे मे ना  गड़बड करहा है ,अगर कहें तो ?   चैन को जाने क्या हो गया ,  सोच लीजियेगा ॥

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 2, 2015 at 11:53am

आ० मोहन सेठी जी

आपका बहुत बहुत शुक्रिया. सादर.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 2, 2015 at 11:52am

आ० वामनकर जी

आपका सबक मैंने याद कर लिया . आपकी हर गजल में प्रतीक्षा रहेगी . स्नेह ऐसे ही बनाये रखिये. सादर.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 2, 2015 at 11:50am

आ० महिमा श्री जी

आपकी संस्तुति मेरे लिए  मायने रखती है . सादर .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 2, 2015 at 11:49am

सुशील सरना जी

आपके स्नेह का आभारी हों . सादर.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 2, 2015 at 11:48am

आ० वंदना जी

आपका शत शत आभार .  सादर.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 2, 2015 at 11:47am

आ० प्रतिभा त्रिपाठी  जी

बहुत बहुत आभार .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 2, 2015 at 11:46am

आ० सौरभ जी

आपकी कृपा फलवती हो . सादर .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 2, 2015 at 11:45am

आ० विजय सर !

आपका अतिशय आभार .  सादर .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
19 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service