For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मगर क्यों रोज फिर मेरी दवायें भी बदलती हैं

1222 1222 1222 1222
---------------------------------------------------------------
जहाँ में वक्त के माफिक हवायें भी बदलती हैं
नजर पर मत भरोसा कर निगाहें भी बदलती हैं
..
बहारों से लगाकर दिल अभी पगला गया है तू
खिजाँ से दोस्ती करले फिजायें भी बदलती हैं
..
लगे जो आज अपना सा पता क्या कब मुकर जाये
नये जब यार मिल जायें , दुआयें भी बदलती हैं
..
कभी चाँदी ,कभी सोना ,कभी नोटों,के बिस्तर पर
मुहब्बत तड-फडाती है ,वफायें भी बदलती हैं
..
मुझे मालूम है मेरा अभी तक मर्ज है वो ही
मगर क्यों रोज फिर मेरी दवायें भी बदलती हैं
..
तजुर्बा है मेरा लम्बा ,कहानी है मेरी अपनी
समय के साथ दुनिया की दिशायें भी बदलती हैं

उमेश कटारा
मौलिक व अप्रकाशित

 

Views: 667

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by umesh katara on March 16, 2015 at 8:26am

आदरणीय maharshi tripathi जी बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by umesh katara on March 16, 2015 at 8:26am

आदरणीय Hari Prakash Dubey जी बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by umesh katara on March 16, 2015 at 8:26am

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 16, 2015 at 4:23am
आदरणीय उमेश जी बहुत बेहतरीन और उम्दा ग़ज़ल हुई है। सभी अशआर बहुत उम्दा निकाले है । फिज़ाएँ दुआएँ और दवाएँ वाले शेर कमाल के हुए है। इन पर दिल से दाद हाज़िर है।
Comment by Hari Prakash Dubey on March 16, 2015 at 3:46am

आदरणीय उमेश कटारा जी सुन्दर ग़ज़ल है ,बधाई आपको ! सादर

Comment by maharshi tripathi on March 15, 2015 at 9:48pm

लगे जो आज अपना सा पता क्या कब मुकर जाये
नये जब यार मिल जायें , दुआयें भी बदलती हैं,,,,,,,,,,बहुत खूब आ. umesh katara जी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
17 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
17 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
Monday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
Monday
Chetan Prakash commented on Dharmendra Kumar Yadav's blog post ममता का मर्म
"बंधु, नमस्कार, रचना का स्वरूप जान कर ही काव्य का मूल्यांकन , भाव-शिल्प की दृष्टिकोण से सम्भव है,…"
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"अच्छे दोहे हुए हैं, आदरणीय सरना साहब, बधाई ! किन्तु दोहा-छंद मात्र कलों ( त्रिकल द्विकल आदि का…"
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service