For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

122 - 122 - 122 - 122 - 122 - 122 - 122 - 122 (16-रुक्नी)

---------------------------------------------------------------------------

गुजारिश नहीं है, नवाजिश नहीं है, इज़ाज़त नहीं है, नसीहत नहीं है

ज़माना हुआ है बड़ा बेमुरव्वत,  किसी को किसी की जरूरत नहीं है

 

किनारे दिखाई नहीं दे रहें है, चलो किश्तियों के जनाज़े उठा लें,

यहाँ आप से है समंदर परेशाँ, यहाँ उस तरह की निजामत नहीं है

 

जमीं आसमां को सदा दे न पाई, उठे बादलों को बरसना सिखा दे,

ज़रा जोर से बोल दे आसमां को, जमीं को कभी ये इज़ाज़त नहीं है

 

भुलाने न देंगे पुरानी कहानी, सुनाने चले बस इबारत नई हम,  

हमारी कहन है ज़रा सी निराली, मगर ये हमारी बगावत नहीं है

 

चलो आज बच्चे बने देख ले हम, हंसी है बला क्या, खुशी है बला क्या,

खुदा ने बनाया जहां ये निराला, यहाँ दिल दुखाना रिवायत नहीं है

 

बदलता ज़माना, बदलते मरासिम, बदलती हकीकत, बदलते इरादे,

हवा भी नई है फिजा भी नई है, मगर ज़िन्दगी की ज़मानत नहीं है

 

ज़रा दरमियाँ दूरियों को मिटा के, बचा ले मरासिम हमीं आज लेकिन,

हुनर वो नहीं है, अदा वो नहीं है, सलीका नहीं वो नजाकत नहीं है

 

कहीं बुतपरस्ती, कहीं है जियारत, तिजारत हुई है कहीं मजहबों की,

शिवाला बहुत है, मिली मस्जिदें भी, मगर आदमी में अकीदत नहीं है

------------------------------------------------------------
(मौलिक व अप्रकाशित)    © मिथिलेश वामनकर 
------------------------------------------------------------

 

 

बह्र-ए-मुतक़ारिब मुइज़ाफ़ी मुसम्मन सालिम (16-रुक्नी)

अर्कान – फऊलुन/फऊलुन/फऊलुन/फऊलुन/फऊलुन/फऊलुन/फऊलुन/फऊलुन

वज़्न –   122 / 122 / 122 / 122 / 122 / 122 / 122 / 122

Views: 1330

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 30, 2014 at 11:51pm

ह्रदय की गहराइयाँ अतल 

आभार मानती पल पल 

धन्यवाद सोमेश भाई 

पसंद की आपने ग़ज़ल 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 30, 2014 at 11:47pm

आदरणीय  Hari Prakash Dubey जी आपके उत्साह वर्धन और सराहना के लिए बहुत बहुत आभार, हार्दिक धन्यवाद...सदा स्नेह बनाये रखे।

Comment by somesh kumar on December 30, 2014 at 11:14pm

तेरी गजल/हाँ तेरी गजल /तेरी गज़ल पे दिल जाए मचल 

Comment by Hari Prakash Dubey on December 30, 2014 at 10:58pm

आदरणीय मिथिलेश जी  ,गज़ब ,आनंद आ गया ,हार्दिक बधाई !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 30, 2014 at 9:16pm
आदरणीय गिरिराज सर केवल सीखने के उद्देश्य से रचना पोस्ट करता हूँ इसलिए त्रुटियों पर मुझे आगाह अवश्य किया कीजिये, निवेदन है। आपकी सराहना को सदैव नमन।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 30, 2014 at 8:32pm

आदरणीय मिथिलेश भाई , बहुत खूबसूरत गज़ल हुई है , वाह वा !! क्या बात है , हर शे र लाजवाब हैं , इस लिये किसी को कोट नही कर रहा हूँ , बस बधाई बधाई बधाई ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 30, 2014 at 8:24pm
आदरणीय गिरिराज सर, शिज्जु भाई जी, अनुराग भाई जी और खुर्शीद भाई जी की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा है। शिल्प पर टिप्पणी प्राप्त हो तो सीखने भी मिलेगा।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 30, 2014 at 8:21pm
आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव सर आपके उत्साह वर्धन और सराहना से अभिभूत हूँ सदा स्नेह बनाये रखे।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 30, 2014 at 8:04pm

वामनकर  जी

धीर धीरे बस मुरीद होता जा रहा हूँ i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 30, 2014 at 7:37pm

आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी, लम्बी बह्र की ये ग़ज़ल आपको पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ. इस बह्र के 16 रुक्नी पर पहला प्रयास है, प्रयास की सराहना के लिए आपका बहुत बहुत आभार, हार्दिक धन्यवाद... सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service