For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरे जीवन में वो मौसम, वो दिन और रात कहाँ..

मेरे जीवन में वो मौसम, वो दिन और रात कहाँ,

जो भिगो दे मुझे वो प्यार की बरसात कहाँ।

तेरी बातों में हर इक बात भूल जाते थे,

भला अब तुझमे वो पहली सी हंसीं बात कहाँ।

यूँ तो अब भी तू वही है, ये शब-ओ-रोज़ वही,

दरमियाँ अपने मगर पहले से हालत कहाँ।

देखके तुझको बस तुझमे ही सिमट जाते थे,

अब सिमटने के लिए दिल में वो जज़बात कहाँ।

प्यार के नाम पे चुनते रहे कांटे हरदम,

मेरे दामन में कोई फूलों की सौगात कहाँ।

सज के तारों में जवां रात जो आई थी उषा,

तेरे अरमानों की वो खो गयी बारात कहाँ।

उषा पाण्डेय.

अप्रकाशित व मौलिक.

Views: 482

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 30, 2014 at 1:41pm

अच्छी और  भावपूर्ण गजल पर भाई  शिज्जू "शकूर" और  मिथिलेश वामनकर की  फमाइश सार्थकता ही प्रदान करेगी | रचना के लिए बधाई  आदरणीया उषा पाण्डेय जी 

Comment by somesh kumar on December 30, 2014 at 11:39am

प्यार के जज्बात में डूबी हुई रचना |अच्छे और सादे लफ़्ज इसे ज़्यादा लोगों तक पहुंचाते हैं| थोड़ा सुझावों पर ध्यान दीजिए| सुंदर और सार्थक आपकी कलम से पढ़ने को मिलेगा ऐसा यकीन है 

Comment by Hari Prakash Dubey on December 29, 2014 at 10:58pm

आदरणीया उषा पाण्डेय जी इस सुन्दर रचना पर हार्दिक बधाई आपको !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 29, 2014 at 10:44pm

आदरणीया उषा जी आपकी किसी पहली रचना से गुजर रहा हूँ. भावाभिव्यक्ति  अच्छी है लेकिन वज्न का पता न होने से रचना तक पहुँच नहीं पा रहा हूँ यदि आप बह्र  भी बता दें तो आनंद और बढ़ जाएगा 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 29, 2014 at 10:20pm

आदरणीया उषा जी रचना अच्छी है यदि बह्र का उल्लेख कर दें तो लुत्फ़ और बढ़ जाये

Comment by Usha Pandey on December 29, 2014 at 8:51pm

गोपाल जी इस हौसलाफजाई के लिए सादर धन्यवाद.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 29, 2014 at 7:58pm

ऊषा जी

 मुझे गजल बहुत अच्छी लगी i  सादर i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
2 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
4 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
4 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
6 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"विषय पर सार्थक दोहावली, हार्दिक बधाई, आदरणीय लक्ष्मण भाईजी|"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाईसुशील जी, अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।  इसकी मौन झंकार -इस खंड में…"
20 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"दोहा पंचक. . . .  जीवन  एक संघर्ष जब तक तन में श्वास है, करे जिंदगी जंग ।कदम - कदम…"
20 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
20 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"उत्तम प्रस्तुति आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"दोहा अष्टक***हर पथ जब आसान हो, क्या जीवन संघर्ष।लड़-भिड़कर ही कष्ट से, मिलता है उत्कर्ष।।*सहनशील बन…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सादर अभिवादन।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service