धरती माँ की गोद में, फिर आया नववर्ष,
प्यार मिला माँ बाप से, जीवन में उत्कर्ष |
भाई सब देते रहे, मुझको प्यार असीम,
मित्र मिले संसार में, रहिमन और रहीम |
आई बेला साँझ की, समय गया यूँ बीत,
इतने वर्षों से यही, समय चक्र की रीत |
बचपन बीता चोट खा, माँ बापू बेचैन,
पूर्व जन्म के कर्म थे, भोगूँ मै दिन रेन |
मिला मुझे संयोग से,सात जन्म का प्यार,
मेरे घर परिवार से, दूर हुआ अँधियार |
दुर्बल तन बलवान मन, रहूँ वैद्य से दूर,
संतोषी मन भाव से, ह्रदय प्रेम भरपूर |
सरस्वती भण्डार से, मिला मुझे कुछ ज्ञान,
विद्वजनों की राह से, ठीक हुए दिनमान |
गुरुजन को मै दे सकूँ, क्या ऐसी सौगात,
सूरज सम्मुख दीप की, क्या कोई औकात |
जय हो वीणा वादिनी भरे भाव भरपूर,
सौरभ सा खिलता रहे, मेरे मन का नूर |
सत्तर की दहलीज पर, करो अगर स्वीकार
मुक्त ह्रदय से कर रहा, मै सबका आभार |
(मार्गदर्शक आद श्री योगराज प्रभाकर जी और श्री सौरभ पाण्डेय जी को समर्पित)
(मौलिक व अप्रकाशित)
-लक्ष्मण रामानुज लडीवाला
Comment
आ० लक्ष्मण जी ,बहुत ही सुन्दर दोहे ..हर दोहा शानदार ..हार्दिक बधाई आपके दोहों पर हार्दिक बधाई आपकी लगन और प्रयास पर ..हार्दिक बधाई आपकी सफलता पर ..आप सच में नव हस्ताक्षरों के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं |सादर
हार्दिक आभार आपका श्री गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी -
जन्म दिवस पर आपका, मिल जाए आशीष
आभारी हूँ आपका, भली करे जगदीश |
बहुत सुंदर और अनुपम रचना अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई............. |
सादर...................
आदरणीय योगराज भाई जी, इस मंच से और विशेषकर आप और आद सौरभ जी, डॉ प्राची जी जैसे विद्वजनों के प्रति आज मै अपने जन्मदिन पर हृदयतल से हार्दिक आभार व्यक्त करना अपना दायित्व मान इस मंच के प्रति करना श्रद्धा स्वरूप ही दोहे रचे है | प्रभु आपस में सद्भाव बनाए रखे, इसी कामना के साथ आपका बहुत बहुत आभार
हार्दिक आभार श्री सोमेश कुमार जी
लडीवाला जी
इतने अच्छे दोहे आपने लिखे कि मन मगन हो गया i आपने शिल्प में सुधार पा लिया है i यह आपके जज्व्बे का कमाल है जो सीखना चाहता है i मित्र ऐसे ही लिखते रहे i आप की कलम दूर तक जायेगी i
दोहों के माध्यम से इस मंच को जो शब्दांजलि दी है, स्तुत्य है। हार्दिक बधाई आ० लडीवाला जी।
SUNDER DOHON KE MADHYM SE AAP NE APNI JIVAN YATRA KA SUNDER VRNN KIYA HAI ,BDHAI SVIKAR KREN
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