For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मन में लड्डू फूटा (लघुकथा)

"भैया डीजल देना"

"कितना दे दूँ भाईसाब ?"
"अरे भैया दे दो दस पन्द्रह लिटर, देख ही रहे हो आजकल लाईट कितनी जा रही है|  रोज-रोज दूकान के चक्कर कौन लगाये|"
"हा भाईसाब इस सरकार ने तो हद कर दी है|" जैसे उसके दुःख में खुद शामिल है दूकानदार
शाम को वही दूकानदार आरती करते वक्त- "हे प्रभु अपनी कृपा यूँ ही बनाये रखना| यदि साल भर भी ऐसे ही सरकार को बुद्धि देते रहे तो बच्चे की पढ़ाई पूरी हो ही जायेगी प्रभु"

**********************************************

सविता मिश्र

"मौलिक व अप्रकाशित"


Views: 963

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shyam Narain Verma on October 17, 2014 at 10:27am

सुंदर लघु कथा के लिए बधाई ....................

Comment by savitamishra on October 16, 2014 at 7:38pm

सन्देश भाई सत्य बात कहीं आपने ..दिल से आभार आपका पसंद करने के लिए कहानी

Comment by savitamishra on October 16, 2014 at 7:37pm

विनय भाई बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by savitamishra on October 16, 2014 at 7:36pm

गणेश भैया सादर शुक्रिया इस सुझाव का ....बहुत बहुत आभार तहेदिल से !

Comment by savitamishra on October 16, 2014 at 7:35pm

संध्या sis आभार आपका दिल से

Comment by savitamishra on October 16, 2014 at 7:31pm

आदरणीय विजय भैया बहुत बहुत शुक्रिया ..सादर नमस्ते

Comment by विनय कुमार on October 16, 2014 at 12:23pm

किसी की मुसीबत तो किसी की ख़ुशी | बढ़िया लघुकथा..


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 16, 2014 at 12:20pm

लघुकथा का निहितार्थ एकदम स्पष्ट निकलकर आ रहा है, इस लिहाज से लघुकथा सफल है, यदि तकनिकी शिल्प पर बात की जाय तो डीजल की मात्रा लीटर में न कह के "दो गैलन भर दो" किया जाता, पाठक क्वांटिटी का अंदाजा लगा लेते, वैसे भी १५ लीटर में जेनसेट कितना चलेगा ।
खैर, लघुकथा अच्छी हुई है, इसके लिए बधाई स्वीकार करें।

Comment by संदेश नायक 'स्वर्ण' on October 16, 2014 at 9:03am

माननीया सविता जी,
सारगर्भित अभिव्यक्ति । किसी एक का दुःख किसी दूसरे के सुख का कारण हो ही जाता है । हम सब ऐसे ही तो एक दूसरे के पूरक हैं । हार्दिक अभिनन्दन ।

Comment by Dr.sandhya tiwari on October 16, 2014 at 8:47am
Ati uttam

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
yesterday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service