For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रेम धुन

प्रिय मोहन
नाचत मन राधा
वेणुका धुन

विरह

टूटती आस
साजन घर नाहीं
फागुन मास

बुरी प्रथा

लोभी इंसान
लाचार हुआ बाप
लौटी बारात

डर

रात पहर
गरज रहें मेघा
सहमे मन


मजबूरी

यहाँ से वहाँ
आज कुछ ना मिला
भूखा सो गया

कृष्ण जन्म

भादो की रैना
मन में उत्सुकता
भयो जनम्

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 567

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pawan Kumar on September 4, 2014 at 10:07am

"""आदरणीय  गिरिराज भंडारी  जी, सादर अभिवादन! प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार! """


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 1, 2014 at 4:01pm

आदरणीय पवन भाई , सभी हाइकु सुन्दर रचे हैं , दिली बधाइयाँ स्वीकार करें |

Comment by Pawan Kumar on August 28, 2014 at 5:58pm

"आदरणीया सविता मिश्रा जी  सादर अभिवादन! प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार! 

Comment by Pawan Kumar on August 28, 2014 at 5:53pm

"" आदरणीय सुरेन्द्र जी, प्रोत्साहन हेतु बहुत बहुत धन्यवाद ।"" "

Comment by savitamishra on August 27, 2014 at 9:49pm

बहुत बढ़िया

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 27, 2014 at 6:59pm

यहाँ से वहाँ
आज कुछ ना मिला
भूखा सो गया

सुन्दर हाइकु ........बधाई  पवन जी 

Comment by Pawan Kumar on August 27, 2014 at 5:06pm

" आदरणीय श्याम नरायन वर्मा जी, प्रोत्साहन हेतु बहुत बहुत धन्यवाद ।"" 

Comment by Pawan Kumar on August 27, 2014 at 5:03pm

""आदरणीया राजेश कुमारी जी  सादर अभिवादन! प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार! 

Comment by Pawan Kumar on August 27, 2014 at 5:00pm

आदरणीय डा0 गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी सादर अभिवादन.....
आप सबके उत्साहवर्धन से बहुत बल मिलता है .... और हमेशा कोशिश रहेगी कि कोशिशें जरिये-अल्फाज़ नुमायाँ हो।

Comment by Shyam Narain Verma on August 27, 2014 at 10:20am
" अच्छी प्रस्तुति आदरणीय ,बधाई ................. "

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"ग़ज़ल — 212 1222 212 1222....वक्त के फिसलने में देर कितनी लगती हैबर्फ के पिघलने में देर कितनी…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"शुक्रिया आदरणीय, माजरत चाहूँगा मैं इस चर्चा नहीं बल्कि आपकी पिछली सारी चर्चाओं  के हवाले से कह…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:। तरही मुशाइरा…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
5 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
9 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
16 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
16 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
16 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
16 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
16 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service