ताप प्रचण्ड
उफनाई नदियाँ
तपता भादों |
पथिक भूला
अंतर्मन व्यथित
तिमिर घना |
पथ ना सूझे
पिए नित गरल
कंठ भुजंग |
अल्हड़ नदी
मदमस्त लहरें
नईया डोले |
भजन राम
बसे छवि मन में
नित निहारू |
मनमोहिनी
चंदा सा मुख देख
खुशी मन में |
मीना पाठक
मौलिक /अप्रकाशित
Comment
आदरणीय भ्रमर जी , आदरणीया शशि जी , आदरणीय जवाहर लाल जी आप सभी का हृदय तल से आभार | सादर
हाइकू पसन्द करने के लिए आभार प्रिय जितेन्द्र जी ..सस्नेह
अल्हड़ नदी
मदमस्त लहरें
नईया डोले |
बहुत ही सुन्दर!
सुन्दर हाइकु मीना जी हार्दिक बधाई
अल्हड़ नदी
मदमस्त लहरें
नईया डोले | यह बहुत अच्छा लगा सुन्दर बिम्ब उकेरा है आपने
पथिक भूला
अंतर्मन व्यथित
तिमिर घना |
पथ ना सूझे
पिए नित गरल
कंठ भुजंग |
आदरणीया मीना जी एक से बढ़ एक हाइकू सब के लिए बधाई
भ्रमर ५
सभी हायकू बहुत सुंदर लिखे आपने आदरणीया मीना दीदी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये
आ० लक्ष्मण भाई बहुत बहुत आभार
आदरणीय सौरभ सर हार्दिक आभार स्वीकारें | सादर
आ० नरेंद्र जी , आ० सविता जी , प्रिय कल्पना जी बहुत बहुत आभार आप सभी का
आदरणीय सत्यनारायण जी रचना सराहने हेतु आभार स्वीकारें
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