For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पापा बिन ...........!!! (अतुकांत )

नित बैठी रहती हूँ उदास

हर पल आती पापा की याद

सावन में सखियाँ जब

ले कर बायना आती हैं

नैहर की चीजें दिखा-दिखा

इतराती हैं,

तब भर आता है दिल मेरा

पापा की कमी रुलाती है

कहती हैं जब, वो सब सखियाँ

पापा की भर आयीं अंखिया

मेरे बालों को सहलाया था

माथा चूम दुलराया था

सुनती हूँ जब उनकी बतिया

व्यकुल हो गयी मेरी निदिया

मन अधीर हो जाता है

पापा को बहुत बुलाता है

पर खुश देख सखी को

हल्का करतीं हूँ मन को

सज जाती है होठो पर

यादों की पीर

नैनो  से आज फिर छलक आयी

बहती सी नीर

जीवन का रंग कितना

बदल जाता है

पापा बिन सावन का

इक तीज-त्यौहार न भाता है ||

मीना पाठक 

मौलिक अप्रकाशित 

Views: 630

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Meena Pathak on August 11, 2014 at 8:20pm

आ०  गिरिराज जी बहुत बहुत आभार | सादर 

Comment by Meena Pathak on August 11, 2014 at 8:19pm

आदरणीय सौरभ सर ..सादर आभार स्वीकारें 

Comment by Meena Pathak on August 11, 2014 at 8:19pm

मै तो अब इंतजार करती हूँ पापा के सपने का ................बहुत दिन हुए पापा सपने में भी नही आये  

रचना सराहने हेतु आभार आ० राजेश कुमारी जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 10, 2014 at 8:45am

आदरणीया मीना जी , बहुत सुन्दर भाव पूर्ण रचना के लिए बधाईयाँ |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 10, 2014 at 1:17am

भावनाप्रधान रचना के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ, आदरणीया.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 9, 2014 at 9:10pm

बहुत भाव पूर्ण रचना ...मेरा तो दिन बन जाता है जब आज भी पापा मेरे सपने में आते हैं इससे ज्यादा और क्या कहूँ 

Comment by Meena Pathak on August 9, 2014 at 3:47pm

आ० नीरज जी ..आभार स्वीकारें 

Comment by Meena Pathak on August 9, 2014 at 3:46pm

आदरणीय नरेन्द्र जी रचना आप के दिल तक पहुँची ....बहुत बहुत आभार |

Comment by Meena Pathak on August 9, 2014 at 3:45pm

प्रिय जितेन्द्र ..सस्नेह आभार 

Comment by Meena Pathak on August 9, 2014 at 3:44pm

आदरणीय गोपाल नारायन जी सादर आभार स्वीकारें 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service