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पराजय कभी इतनी बड़ी नही होती कि ,
आदमी का मनोबल छीन ले जाये ...
हमेशा नए ख्वाब देखो
नक्षत्रों पर भरोसा रखो
कभी भी ' तथास्तु ' कह सकते हैं ...
इस विश्वास से ये सबक सीखो
बुरी बात कभी मुँह से मत निकालो .
बहुत दबे पाँव चलना होता है
मुसीबतें रास्ता रोके खड़ी होती हैं ,
लक्ष्य - भेद उम्र भर का मसला होता है ......
सारथी का चयन भी नही होता आसान
दुर्योधन पूरी सोच पर कब्ज़ा जमाये खड़ा होता है !

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Comment by prabhat kumar roy on March 29, 2011 at 6:41am
पराजय कभी इतनी बड़ी नही होती कि ,
आदमी का मनोबल छीन ले जाये
Grand words initiating a vary good poem of poetess RASHMI PRABHA.
Comment by neeraj tripathi on March 8, 2011 at 11:54am
लक्ष्य - भेद उम्र भर का मसला होता है.... sundar kavita...
Comment by Dr Nutan on March 5, 2011 at 12:42am
bahut sundar soch... aur sundar abhivyaqti..
Comment by seema singhal on March 3, 2011 at 3:28pm

बुरी बात कभी मुँह से मत निकालो .
बहुत दबे पाँव चलना होता है
मुसीबतें रास्ता रोके खड़ी होती हैं ,

बहुत ही गहन भाव लिये बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

Comment by rashmi prabha on March 2, 2011 at 12:42pm
शुक्रिया
Comment by दिगंबर नासवा on March 2, 2011 at 12:19pm
गहन अभिव्यक्ति ....
Comment by rashmi prabha on March 1, 2011 at 9:04pm
शुक्रिया ...
Comment by Veerendra Jain on March 1, 2011 at 7:28pm

हमेशा नए ख्वाब देखो
नक्षत्रों पर भरोसा रखो
कभी भी ' तथास्तु ' कह सकते हैं ...

 

waah waah .... Rashmi ji... bahut hi behatarin kavita ...bahut bahut badhai aapko...


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 28, 2011 at 7:44pm

रश्मि जी बेहद उम्द्दा भाव को समेटे , थोड़े में बहुत कुछ कह सकने  में सक्षम है यह कविता,

 

सारथी का चयन भी नही होता आसान
दुर्योधन पूरी सोच पर कब्ज़ा जमाये खड़ा होता है !  वाह वाह क्या बात है , बड़ी दूर तक की सोच है , आपकी लेखनी को नमन |

 

बहुत बहुत बधाई इस बेहतरीन अभिव्यक्ति पर |

Comment by Abhinav Arun on February 27, 2011 at 6:52pm
एक गहन और सशक्त कथ्य की कविता | शुभकामनाएं !!

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