For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

“माँ !  मैं तुम्हारे और दोनों भाइयों के हाथ जोडती हूँ, मुझे कुछ पैसे दे दो या दिलवा दो.. भगवान् के लिए मदद करो.. चार दिनों बाद बेटी की शादी है..”

“देखो दीदी..! .. हमने हर समय तुम्हारा बहुत साथ दिया है.. यहाँ तक कि तुम्हारी दोनों बेटियों की शादी का पूरा खर्च वहन करने की सोचे थे. बेटे को भी काम-धंधे पर लगवा देंगे..  लेकिन तुमने निकम्मे जीजाजी.. और लोगो के कहने पर हम पर ही मुकदमा दायर कर दिया.. ? क्या तो हिस्सा पाने की खातिर ?!! ”

“माँ, तुम तो कुछ बोलो, तुम्ही समझाओ न.. इन दोनों को.. ”

“ बेटी..! मैं क्या समझूँ.. मैं क्या समझाऊँ ? यह सब तो तुम्हें सोचना था. ये जो तेरे भाइयों को पैसा मिला है न.. वो बाँध में जमीनों के डूबने के ऊपर पुनर्स्थापन का पैसा है..   और, मुझे तो इन्हींके साथ रहना है.. “

जितेंद्र  'गीत'
(मौलिक व्   अप्रकाशित )

   

Views: 669

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 22, 2014 at 8:13am

आपको रचना पसंद आई, लेखनकर्म सार्थक हुआ आदरणीय विजय निकोर जी. आपका ह्रदय से आभार

सादर!

Comment by vijay nikore on June 19, 2014 at 1:46pm

आपकी लघु कथा बहुत ही अच्छी लगी। बधाई, आदरणीय जितेन्द्र जी।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 18, 2014 at 11:57am

रचना पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया हेतु आपका ह्रदय से आभारी हूँ आदरणीय सौरभ जी, स्नेह व् मार्गदर्शन बनाये रखियेगा

सादर!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 18, 2014 at 2:14am

एक सार्थक प्रस्तुति के लिए हृदय से धन्यवाद, जितेन्द्र भाई.. .

शुभेच्छाएँ

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 12, 2014 at 11:15pm

आपका बहुत बहुत आभार आदरणीया अन्नपूर्णा दीदी

सदर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 12, 2014 at 11:14pm

आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु आपका हार्दिक आभार आदरणीय गिरिराज जी

सादर!

Comment by annapurna bajpai on June 12, 2014 at 7:26pm

 सुंदर लघु कथा !! बहुत बधाई आपको प्रिय जितेंद्र जी । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 12, 2014 at 5:47pm

आदरणीय जितेन्द्र भाई , सच मे आज समाज मे नारी की की स्थिति ऐसी ही है , जाये तो किधर जाये । सुन्दर सार्थक पस्तुति के लिये बधाइयाँ ॥

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 12, 2014 at 1:53pm

आपका हार्दिक आभार आदरणीय डा. गोपाल जी

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 12, 2014 at 1:52pm

आपकी बधाई सहर्ष स्वीकार है आदरणीया डा. प्राची जी, आपका हार्दिक आभार

सादर!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
5 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
5 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
5 hours ago
Dharmendra Kumar Yadav posted a blog post

ममता का मर्म

माँ के आँचल में छुप जातेहम सुनकर डाँट कभी जिनकी।नव उमंग भर जाती मन मेंचुपके से उनकी वह थपकी । उस पल…See More
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
Nov 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 30
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"सीख ...... "पापा ! फिर क्या हुआ" ।  सुशील ने रात को सोने से पहले पापा  की…"
Nov 30
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आभार आदरणीय तेजवीर जी।"
Nov 30
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।बेहतर शीर्षक के बारे में मैं भी सोचता हूं। हां,पुर्जा लिखते हैं।"
Nov 30
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।"
Nov 30
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Nov 30

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service