For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुंडलिया छंद - लक्ष्मण लडीवाला

गांधी जी की कल्पना, हो सकती साकार, 

राम राज्य इस देश में, ले सकता आकार |

ले सकता आकार, करे सब मिल तैयारी

मन में हो संकल्प,नहीं फिर मुश्किल भारी

लक्ष्मण कर विश्वास,चले अब ऐसी आंधी

भ्रष्ट तंत्र हो नष्ट, तभी खुश होंगे गांधी ||

(4)

ऊँचा कद इंसान का, नहीं ह्रदय में भाव 
कागज़ खुशबू दे नहीं, दिखे नहीं सद्भाव | 
दिखे नहीं सद्भाव, स्नेह हिवडे से मिलता
नेह न बरसे भाव, प्यार फिर कैसे टिकता
लक्षमण करे न काम,तभी मस्तक हो नीचा 
माँ को आवे लाज, झुका सिर करे न ऊँचा |

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 563

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 3, 2014 at 11:56am

पहली कुण्डलिया अत्यंत प्रभावी बन पडी है, आदरणीय.

दिल से बधाई लें.

 

दूसरी कुण्डलिया से निम्नलिखित पदों के भाव स्पष्ट नहीं हुए.

दिखे नहीं सद्भाव, स्नेह हिवडे से मिलता
नेह न बरसे भाव, प्यार फिर कैसे टिकता
लक्षमण करे न काम,तभी मस्तक हो नीचा 
माँ को आवे लाज, झुका सिर करे न ऊँचा |

सादर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 28, 2014 at 7:16pm

कुंडलिया छंद पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री गिरिराज भंडारी जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 28, 2014 at 7:15pm

छंद पसंद करने के लिए आभार आपका श्री बृजेश नीरज जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 28, 2014 at 7:14pm

हार्दिक आभार श्री आशुतोष मिश्रा जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 27, 2014 at 9:18pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई , दोनो कुंडलिया लाजवाब हैं , बधाइयाँ ॥

Comment by बृजेश नीरज on May 27, 2014 at 7:40pm

बहुत सुन्दर! आपको बहुत-बहुत बधाई!

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 27, 2014 at 9:27am

बिलकुल सही कहा आपने | छंद सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री सुरेन्द्र कुमार शुक्ला भ्रमर जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 27, 2014 at 9:25am

आपका हार्दिक आभार श्री रमेश कुमार चौहान जी 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 26, 2014 at 3:33pm

आदरणीय लक्षमन जी सुंदर कुण्डले के लिए तहे दिल बधाई सादर

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 26, 2014 at 3:08pm

मन में हो संकल्प,नहीं फिर मुश्किल भारी

लक्ष्मण कर विश्वास,चले प्रगति की आंधी

भ्रष्ट तंत्र हो नष्ट, तभी प्रसन्न हो गांधी ||

सुन्दर रचना और अच्छा सन्देश ...आदरणीय लडीवाला जी काश ऐसा संकल्प सब लें
भ्रमर ५

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
34 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय यूफोनिक अमित जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
35 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब  अच्छी ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार करें।"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, ग़ज़ल अभी और मश्क़ और समय चाहती है। "
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"जनाब ज़ैफ़ साहिब आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें।  घोर कलयुग में यही बस देखना…"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"बहुत ख़ूब। "
9 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
10 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपके सुझाव बेहतर हैं सुधार कर लिया है,…"
10 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमित जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका इतनी बारीक़ी से समझने बताने और ख़ूबसू रत इस्लाह के लिए,ग़ज़ल…"
10 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"ग़ज़ल — 2122 2122 2122 212 धन कमाया है बहुत पर सब पड़ा रह जाएगा बाद तेरे सब ज़मीं में धन दबा…"
11 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"2122 2122 2122 212 घोर कलयुग में यही बस देखना रह जाएगा इस जहाँ में जब ख़ुदा भी नाम का रह जाएगा…"
11 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service